खुशकिस्मती से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा-खासा है, लेकिन पिछले लगातार चार हफ्ते से इसमें धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है. 9 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में भारत के रिजर्व बैंक के मुद्रा भंडार में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई और यह गिरकर 606 अरब डॉलर का रह गया.

भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति को लेकर निश्चिंत होकर बैठ जाना सही नहीं होगा

कोरोना महामारी के बाद वैश्विक उत्पादन के धीरे-धीरे सामान्य होने की कोशिशों को बढ़ रही खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति का तगड़ा झटका लगा है. खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख ने विश्व अर्थव्यवस्था के लिए स्पष्ट और साक्षात खतरा करार दिया है.

यूक्रेन संघर्ष से हुए नुकसान का पूरा आकलन किया जाना अभी बाकी है. सच यह है कि भारत समेत ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष के समाधान से ऊर्जा और खाद्य कीमतों में नरमी आने की उम्मीद के आसरे बैठी हैं.

सरकारों में ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों का पूरा बोझ उपभोक्ताओं पर लादने को स्थगित करने की प्रवृत्ति होती है. यह एक प्रेशर कुकर को पूरी आंच पर विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है ज्यादा समय तक रखे रहने जैसा है. दक्षिण एशिया और लैटिन विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है अमेरिका की छोटी अर्थव्यवस्थाएं पहले ही विदेशी मुद्रा संकट के मुहाने पर पहुंच चुकी हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर ऊर्जा और खाद्य की शुद्ध आयातक है.

FDI में जबरदस्त उछाल, इतना बढ़ गया भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - July 22, 2021 / 03:43 PM IST

FDI में जबरदस्त उछाल, इतना बढ़ गया भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

किसी देश की एक इकाई, जो भारत के साथ एक भूमि सीमा साझा करती है या जहां भारत में निवेश का लाभकारी स्वामी स्थित है या ऐसे किसी देश का विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है नागरिक है, केवल सरकारी मार्ग के तहत निवेश कर सकता है.

FDI: चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है. पिछले साल के मुकाबले में अप्रैल-मई का निवेश का फ्लो दोगुना हो गया है.

प्रवाह का एक तिहाई हिस्सा कंपनियों द्वारा संयंत्रों में निवेश के विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है बजाय दूसरे लेनदेन के माध्यम से शेयरों के अधिग्रहण के कारण हो रहा है, जिससे देश को इस प्रक्रिया में मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार जमा करने में मदद मिली है.

दोगुना हुआ FDI फ्लो -RBI

भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल-मई में सकल FDI फ्लो दोगुना से बढ़कर 18.3 बिलियन डॉलर हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 8.5 बिलियन डॉलर था.

लेकिन आमदनी का लगभग एक तिहाई भाग तकरीबन 6.3 बिलियन डॉलर नई परियोजनाओं में निवेश के बजाय शेयरों के अधिग्रहण विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है के रूप में है.

बहरहाल, यह देश की विदेशी मुद्राकोष में मदद कर रहा है. पोर्टफोलियो निवेश के विपरीत यहां शेयरों का कोई विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है लाभ स्टॉक एक्सचेंज डील नहीं हैं.

मांग में बढ़ोतरी की संभावना

बार्कलेज कैपिटल में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने बताया कि कई स्टार्टअप कंपनियां सार्वजनिक या निजी तौर पर पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बाद में मांग में बढ़ोतरी की तैयारी की जा सके.

अर्थशास्त्री इसे एक व्यापक प्रवृत्ति के रूप में देखते हैं. जुलाई 2020 और मई 2021 के बीच ग्यारह महीनों में से विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है आठ महीनों में आमदनी प्रवाह दर कम से कम आधा बिलियन डॉलर या उससे अधिक रहा है, जो आरबीआई के विदेशी निवेश डेटा शो के विश्लेषण से पता चलता है. यह अर्थव्यवस्था को मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार बनाने में मदद करता है.

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा

अप्रैल-मई महीने में, विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के भारत से 1.5 बिलियन विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है डॉलर निकालने और आयात में बढ़ोतरी के कारण डॉलर की मांग बढ़ने के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 बिलियन डॉलर बढ़ा है.

व्यापार और विकास पर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में एक सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन में भारत FDI के लिए एक स्थिर गंतव्य के रूप में उभरा है. कोरोना महामारी साल में विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है भी एफडीआई को आकर्षित करने वाले शीर्ष पांच देशों में से भारत एक था.

नए सामाजिक अनुबंध की जरूरत

नए सामाजिक अनुबंध की जरूरत

पचहत्तर साल पहले भारत को भूख और भुखमरी से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। उस काल-खंड में विदेशी मुद्रा पाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। हमारे सामने तब एक आजाद मुल्क बने रहने और अति-गरीबी से मुक्ति के लिए अपने आर्थिक विकास को गति देने की भी चुनौती थी। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, घरेलू व निर्यात संबंधी प्रतिस्पद्र्धी बुनियादी ढांचे और कृषि व विनिर्माण क्षमताओं के आधुनिकीकरण को लेकर भी विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है हम प्रयासरत थे। इसी तरह, सामंती व्यवस्था से ऊपर उठते हुए हमें एक ऐसे युग में प्रवेश करना था, जहां समानता और सामाजिक गतिशीलता को अधिक प्रोत्साहन मिले। इस लिहाज से देखें, तो इन सभी अहम कसौटियों पर हमने अच्छी-खासी तरक्की की है।
मगर क्या हमने अवसर भी गंवाए, गलतियां भी कीं? वास्तव में, हर सफलता कमियों और गंवाए गए अवसरों के साथ ही रेखांकित की जाती है। जैसे, यह समझ से परे है कि कैसे हमने अत्यधिक नियंत्रण वाले केंद्रीकृत योजनाबद्ध मॉडल को लगातार बनाए रखा। यह भी बहुत साफ नहीं कि साल 1991 के आर्थिक सुधार उस समय की मजबूरी थे या हमारी चयन संबंधी आजादी का प्रतिफल? विकल्प तभी सार्थक होते हैं, यदि चुनने के रास्ते कई हों। साल 1991 में हमारे पास चयन के विकल्प सीमित थे।

रुपये में कैसे होगा अंतरराष्ट्रीय व्यापार? केंद्र सरकार का जोर क्यों

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यूएस डॉलर (USD) के बजाय भारतीय रुपये (INR) में अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade) को बढ़ावा देने पर केंद्र सरकार ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) इस पहल के तरीकों पर चर्चा करने के लिए देश के बैंकों, विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालयों सहित हितधारकों के साथ बैठक कर रहा है. बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय बैंक संघ, बैंकों के प्रतिनिधि निकाय और उद्योग निकायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों से कहा जाएगा कि वे निर्यातकों को रुपये के कारोबार पर बातचीत करने के लिए कहें. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद बदले अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में भारत सरकार ने रुपये में कारोबार को बढ़ाने के विकल्प पर विचार तेज किया हुआ है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार रुपये में कैसे हो सकता है? साथ ही सरकार क्यों इस पर जोर दे रही है?

शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया चार पैसे टूटकर 82.64 पर आया

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 14-12-2022

मुंबई, 14 दिसंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और निवेशकों की जोखिम से बचने की प्रवृत्ति विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है के बीच रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजारों में तेजी से घरेलू मुद्रा को मजबूती मिली।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.60 पर खुला, फिर और गिरावट विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले चार पैसे की गिरावट को दर्शाता है।

शुरुआती सौदों में रुपया 82.60-82.65 के सीमित दायरे में कारोबार कर रहा था।

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