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बड़ी रकम एक साथ निवेश नहीं करें
एक निवेशक को इक्विटी में बड़ी रकम को एक साथ निवेश करने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाजार में गिरावट आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पहली बार के निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव की समझ नहीं होती होती है. ऐसे में वे थोड़ा नुकसान होने पर घबरा जाते हैं. इस घबराहट में नए निवेशक अक्सर अपना पैसा निकालने का फैसला करते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए किया जाना चाहिए.

Mutual Fund Investment : म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश कर रहे हैं तो भूलकर भी नहीं करें ये गलतियां

How to invest in Mutual Fund : म्यूचुअल फंड निवेशकों से बांड, स्टॉक और अन्य संपत्तियों में निवेश के लिए इकट्ठा की गई रकम से बनाता है. इसे पेशेवर फंड मैनेजर संचालित करते हैं, जो निवेशकों के लिए लाभ पैदा करने के लिए फंड संपत्ति आवंटित करते हैं.

mutual funds rules

How to get big return from mutual funds : म्यूचुअल फंड में निवेश धैर्य, जोखिम उठाने की क्षमता और बाजार की बेहतर समझ की मांग करता है.

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बड़ी रकम एक साथ निवेश नहीं करें
एक निवेशक को इक्विटी में बड़ी रकम को एक साथ निवेश करने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाजार में गिरावट आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पहली बार के निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव की समझ नहीं होती होती है. ऐसे में वे थोड़ा नुकसान होने पर घबरा जाते हैं. इस घबराहट में नए निवेशक अक्सर अपना पैसा निकालने का फैसला करते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए किया जाना चाहिए.

K Prahlad co founder of Gullak Theory

गुल्लक थ्योरी के को फॉउंडर के प्रह्लाद

कम जोखिम वाले फंड में लगाएं पैसा
बाजार के उतार-चढ़ाव के आदी होने के लिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड के बजाय पहली बार निवेशकों के लिए बेहतर यह है कि वे संतुलित फंडों में निवेश करें. नए निवेशकों को ऐसे फंडों में निवेश करना चाहिए जहां जोखिम कम जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए हो या हो भी तो ज्यादा नहीं. इस तरह के फंडों में बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान, प्योर इक्विटी फंड से कम उतार-चढ़ाव होता है. इससे नए निवेशकों के लिए घबराहट की स्थिति नहीं बनती है. इससे नए निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रह सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझ सकते हैं. इसलिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड से शुरू करने के बजाय, उन फंडों में निवेश करना बेहतर है, जो तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाले हैं.

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इन्वेस्ट करने से पहले फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी
अगर कोई निवेशक सही फाइनेंशियल प्लानिंग द्वारा लॉन्ग टर्म जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए गोल्स को हासिल करने के लिए इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश करना शुरू करता है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रहे. लंबी अवधि के गोल्स के लिए निवेश करने वाले निवेशक बाजार के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर देते हैं. वहीं, तुरंत रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश करने वाले नए निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराकर तुरंत अपना पैसा निकाल लेते हैं. इसलिए, निवेश करने से पहले किस कैटेगरी के फंड में कितना निवेश करना है, यह तय करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहतर है.

यह आलेख, के. प्रह्लाद ने लिखा है, जो गुल्लक थ्योरी (Gullak TheoryTM) के को-फॉउंडर हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए हैं. इन सुझावों से होने वाली किसी भी प्रकार की लाभ हानि के लिए इकनॉमिक टाइम्स उत्तरदायी नहीं होगा.

Mutual Funds: इन तीन लोगों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश, वरना बाद में पछताना पड़ेगा

म्‍यूचुअल फंड में एफडी या अन्य फंड की तरह रिटर्न की गारंटी नहीं होती है, ऐसे में तीन तरह के लागों को म्‍यूचुअल फंड्स में इस्‍वेस्‍ट करने से बचना चाहिए.

इन तीन लोगों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश, वरना बाद में पछताना पड़ेगा (Zee Biz)

म्यूचुअल फंड का नाम हम सभी ने सुना है, लेकिन इसको ठीक से समझ नहीं पाते. दरअसल Mutual Fund एक ऐसा फंड है, जिसे AMC यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनीज ऑपरेट करती है. ये फंड बहुत सारे लोगों के पैसों से बना होता है. AMC इन पैसों को मैनेज करने का काम करती हैं और पैसों को सुरक्षित तरीके से थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करती हैं. ये पैसा शेयर बाजार के अलावा गोल्‍ड में भी लगाया जा सकता है. इस निवेश से जो रिटर्न प्राप्‍त होता है वो फंड यूनिट्स के हिसाब से निवेशकों के बीच बांट देती हैं.

म्‍यूचुअल फंड में अच्‍छी बात ये है कि आप इसकी शुरुआत 500 से 1000 रुपए से भी कर सकते हैं. लेकिन निवेश करने से पहले आपको खुद को जोखिम लेने के लिए तैयार करना होगा क्‍योंकि इसमें एफडी या अन्य फंड की तरह रिटर्न की गारंटी नहीं होती है, ऐसे में तीन तरह के लागों को म्‍यूचुअल फंड्स में इस्‍वेस्‍ट करने से बचना चाहिए.


जो एक्स्ट्रा चार्ज देने के लिए राजी नहीं

म्यूचुअल फंड को संभालने के लिए आपके निवेश से expenses ratios के रूप में चार्ज लगता है. दरअसल AMC यानि कि एसेट मैनेजमेंट कंपनी फंड डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग का खर्चा उठाती हैं, साथ ही AMC, म्यूचुअल फंड के ट्रांसफर कस्टोडियन, लीगल और ऑडिटिंग जैसे खर्च भी उठाती है. ऐसे सभी एक्सपेंस म्यूच्युअल फंड की यूनिट खरीदने वाले इन्वेस्टर्स से वसूले जाते हैं.

ये एक्सपेंस रेश्यो एक बार में नहीं वसूले जाते हैं. फंड हाउस अपने हर दिन के खर्चे को कैलकुलेट करते हैं, जिसके बाद इसे डेली बेसिस पर निकाला जाता है. एनुअल एक्सपेंस रेश्यो, साल के ट्रेडिंग डेज में डिवाइड होते हैं. जिन्हें टोटल एनवी पर लगाया जाता है. एक्सपेंस रेश्यो से यह पता चलता है कि आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो से आपका म्यूच्युअल फंड मैनेजमेंट आपसे कितनी फीस ले रहा है. कई बार शुरू में ये चार्ज कम होता है, लेकिन बाद में यह ज्यादा हो जाता है. अगर आप निवेश में कोई चार्ज नहीं देना चाहते तो आपको म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं करना चाहिए.


लंबे टाइम तक निवेश ना करना हो

ज्‍यादातर आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड में तभी ज्‍यादा फायदा है, जब आप इसमें लंबे समय के लिए निवेश करें. वहीं इसमें लॉक इन पीरियड भी होता है. ऐसे में अगर आप लंबे समय तक के लिए निवेश नहीं कर सकते हैं, तो म्‍यूचुअल फंड का ऑप्‍शन न चुनें.

टैक्स नहीं देना चाहते

जब आप किसी अन्य फंड में निवेश करते हैं तो आपको इनकम टैक्स में छूट मिलती है. लेकिन म्‍यूचुअल फंड्स के साथ ऐसा नहीं है. म्यूचुअल फंड के रिटर्न पर भी टैक्स लगता है, जिससे आपका मुनाफा कुछ प्रतिशत से घट जाता है. अगर आप इसके लिए तैयार नहीं हैं, तो म्‍यूचुअल फंड में निवेश न करें.

निवेश के मामले में आपको क्यों किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए?

अगर वित्‍तीय सेवा प्रदाता कंपनी एजेंट के कमीशन को बढ़ाकर बिक्री बढ़ाना चाहती है तो भी आपके रिटर्न घटाकर उसका भुगतान किया जाता है. कुल मिलाकर हर चीज आपकी जेब से निकाली जाती है.

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किसी फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट से सेवा प्रदाता केवल तभी ज्‍यादा फायदा कमा सकता है जब वह आपको उसमें से कम दे.

वित्‍तीय सेवाओं को जो बात सबसे अलग बनाती है, वह है इसमें हर चीज का पैसे से जुड़ा होना. शुरुआत से लेकर अंत तक हर चरण में पैसा शामिल होता है. कंपनी एक ही तरह से किसी फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट से ज्‍यादा मुनाफा बना सकती है. वह यह है कि मुनाफे में से आपको कम से कम दिया जाए. इस बारे में ध्‍यान से सोचने की जरूरत है.

मान लेते हैं कि आप एक मध्‍यम आकार की कार खरीदना चाहते हैं. आपको इसके कई तरह के विकल्‍प मिलते हैं. आप टाटा मोटर्स की कार 8 लाख रुपये या मारुति की 10 लाख रुपये या होंडा की 15 लाख रुपये या मर्सिडीज की 50 लाख रुपये में खरीद सकते हैं. तो क्‍या टाटा मोटर्स को छोड़कर सभी ज्‍यादा कीमत वसूल जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए रहे हैं? नहीं. यह सच नहीं है.

इन सभी कंपनियों के मामले में डील बिल्‍कुल पारदर्शी और साफ है. आप ऑटो कंपनी को कुछ पैसे देंगे और बदले में परफॉरमेंस (प्रदर्शन), रिलायबिलिटी (भरोसा), गैजेट, प्रेस्‍टीज का कॉम्बिनेशन पाएंगे. अगर कार कंपनी ज्‍यादा पैसा चाहती हैं तो उसे इन्‍हीं बताई गई खूब‍ियों को बढ़ाना होगा और ग्राहक से इसकी कीमत वसूलनी होगी.

वित्‍तीय सेवाओं में क्‍या है अलग?
वित्‍तीय सेवाओं के मामले में ऐसा नहीं होता है. कारण है कि इसमें अगर कोई चीज घूमती है तो वह है पैसा. अगर आप पैसा देते हैं तो सेवा प्रदाता प्रोडक्‍ट को बनाने में पैसा खर्च करता है. लेकिन, यह प्रोडक्‍ट खुद में और पैसा बनाने का जरिया होता है. इसमें से कुछ आपको वापस मिल जाता है. कुछ को खर्च, प्रॉफिट, विक्रेता के कमीशन इत्‍यादि के लिए रख लिया जाता है. इस तरह कार या जैकेट या मोबाइल फोन के उलट वित्‍तीय सेवाओं की खरीद-फरोख्‍त एक अलग तरह का खेल है.

समझदारी जरूरी
इसे ग्राहक अमूमन नहीं समझ पाते हैं. किसी फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट से सेवा प्रदाता केवल तभी ज्‍यादा फायदा कमा सकता है जब वह आपको उसमें से कम दे. अगर प्रदाता को किसी चीज से ज्‍यादा कमाना है तो वह आपके हिस्‍से के प्रॉफिट को घटाएगा. यह किसी भी रूप में हो सकता है. चाहे वह कर्मचारी की सैलरी घटाने से जुड़ा हो या ज्‍यादा डिविडेंड देने से, नियम यही रहता है.

सब कुछ आपकी जेब से जाता है
अगर वित्‍तीय सेवा प्रदाता कंपनी एजेंट के कमीशन को बढ़ाकर बिक्री बढ़ाना चाहती है तो भी आपके रिटर्न घटाकर उसका भुगतान किया जाता है. कुल मिलाकर हर चीज आपकी जेब से निकाली जाती है.

एक जैसी है शैली
वित्‍तीय सेवाओं का सैद्धांतिक मॉडल यह नहीं है. यह अलग बात है कि बैंक, बीमा कंपनी, शेयर ब्रोकर, म्‍यूचुअल फंड और जो कोई अपनी सेवाएं बेचने की कोशिश कर रहा है, उन सभी की शैली से यही लगता है. और इस मुगालते में मत रहिए कि नियामक आपकी रक्षा कर पाएंगे. आमतौर पर इन प्रोडक्‍टों की बिक्री में जिस तरह के गलत तरीकों का इस्‍तेमाल किया जाता है, उन पर अंकुश लगा पाने में भारतीय नियामक काफी पीछे हैं.

क्‍या है रास्‍ता?
बचत, निवेश और खुद की सुरक्षा के लिए सही विकल्‍पों को चुनने का केवल एक ही तरीका है. वह है जानकारी. जितनी हो सके, उतनी जानकारी हासिल करें. इस तरह आप सेल्‍सपर्सन पर निर्भर हुए बगैर अपने फैसले ले पाएंगे. वित्‍तीय सेवाओं के ग्राहकों के साथ लंबे अरसे से जुड़े रहने का मेरा अनुभव कहता है कि अविश्‍वास और शंका का नजरिया अपनाकर किसी झूठे झांसे से बचा जा सकता है.

(लेखकर वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं)

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दिवाली, धनतेरस पर डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करना सही रहेगा या नहीं, जानिए

यहां इस त्‍योहारी सीजन में डिजिटल गोल्‍ड खरीदने या निवेश करने से बचने के 5 वजह के बारे में जानकारी दी गई है, क्‍योंकि कभी भी आपको इन बातों के बारे में बताया नहीं जाता है।

दिवाली, धनतेरस पर डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करना सही रहेगा या नहीं, जानिए

जानिए अभी Digital Gold में निवेश करना सही है या नहीं (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

डॉलर के बढ़ने और मंदी की आशंका के बीच सोने की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिली है। वहीं एक्‍सपर्ट का मानना है कि इस दिवाली के बाद सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में कई कंपनियां आपको लुभावने ऑफर पर डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करने के लिए करती हैं। कंपनियां सोना बेचने के लिए हर तरह के प्रयास करती हैं। खासकर करवा चौथ, धनतेरस और दिवाली से पहले, आपको कई ऑनलाइन और ऑफलाइन ऑफर्स देखने को मिल सकते हैं, लेकिन आपको सावधानी बरतनी चाहिए।

अगर आप भी डिजिटल गोल्‍ड में निवेश दिवाली और धनतेरस पर करना चाहते हैं, तो यहां इस त्‍योहारी सीजन में डिजिटल गोल्‍ड खरीदने या निवेश करने से बचने के 5 वजह के बारे में जानकारी दी गई है। ये ऐसे तथ्य हैं जिन्हें डिजिटल गोल्ड सेल्सपर्सन अक्सर छिपाने या उलझाने की कोशिश करते हैं।

नियमित नहीं और सुरक्षित नहीं

डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करना सुरक्षित नहीं है, क्‍योंकि‍ भारत में डिजिटल गोल्ड निवेश को नियमित नहीं किया गया है। इसी के मद्देनजर, पिछले साल सेबी ने सलाहकारों और ब्रोकरेज को डिजिटल सोने में निवेश करने से रोक दिया था। ऐसे में डिजिटल सोने में निवेश को लेकर आपको कभी भी ऐसी कंपनी में निवेश नहीं करना चाहिए, जो नियमित नहीं हैं। साथ ही जब तक डिजिटल गोल्‍ड को नियमित और मान्‍यता नहीं दिया जाता है, तबतक निवेशकों को इससे दूर रहना चाहिए।

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ज्‍वैलरी में बदलने पर एक्‍स्‍ट्रा चार्ज

अगर आप डिजिटल गोल्‍ड को ज्‍वैलरी में बदलना चाहते हैं और इसका इस्‍तेमाल करना चाहते हैं तो आपको अतिरिक्‍त लागत देनी पड़ेगी। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि डिजिटल गोल्‍ड के ग्राम की कीमत, वास्‍तविक सोने से मेल नहीं खाती हैं। डिजिटल सोने की दरें हमेशा आभूषण दरों से कम होती हैं। इसके अलावा, एक्सचेंज के लिए जाने पर, ग्राहकों को टैक्स और मेकिंग चार्ज के रूप में अतिरिक्त लागत का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही GST को दो बार लगाया जाता है, जब डिजिटल सोना बेचा जाता है और ज्‍वैलरी तैयार करने के बाद।

आपका सोना है या नहीं, इसकी जांच नहीं कर सकते

कंपनियांं वादा करती है कि वास्‍तविक सोने के बराबर डिजिटल सोना रखा जाता है, लेकिन आप इसकी जांच नहीं कर सकते हैं। साथ ही वह यह भी नहीं जान सकते हैं कि उनका सोना स्‍टोर में जमा किया गया है या नहीं। इस कारण, फ्रॉड होने का खतरा बढ़ सकता है।

जमा पर कोई ब्‍याज नहीं

कुछ डिलिटल गोल्‍ड सेलर, कस्‍टमर्स को काफी कम मात्रा में सोना जमा करने की अनुमति देते हैं। इसपर ग्राहक किसी तरह का ब्‍याज हासिल नहीं कर सकते हैं। डिजिटल गोल्‍ड खरीदार तभी मुनाफा कमा सकते हैं, जब बाजार में सोने की कीमत में इजाफा होता है। इसके साथ ही डिजिटल सोने बेचने पर टैक्‍स और सेल्‍स टैक्‍स लगाया जाता है।

स्‍टोरेज सुविधा फ्री नहीं

विक्रेताओं की ओर से दावा किया जाता है कि वह सोने को एक सुरक्षित लॉकर में रखते हैं, जिसके लिए लोगों को चार्ज देना होता है। आमतौर पर पांच साल के लिए लॉकर दिया जाता है, उसके बाद मासिक के आधार पर चार्ज वसूल किया जाता है।

क्‍या है बेहतर ऑप्शन

अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं तो आप RBI की ओर से पेश किए जा रहे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश कर सकते हैं। यह सुरक्षित भी है और अच्‍छा ब्‍याज भी पेश करता है। साथ ही गोल्ड ईटीएफ में भी आप निवेश कर सकते हैं।

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान कैसे करें एसेट एलोकेशन? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशक को यह पता होना चाहिए कि कितना निवेश करना है और कितना जोखिम उठाना है.

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान कैसे करें एसेट एलोकेशन? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश का फायदा यह है कि एक निवेशक को पहले से तैयार डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो मिलता है.

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश का फायदा यह है कि एक निवेशक को पहले से तैयार डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो मिलता है. इसमें किए गए निवेश को प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स द्वारा मैनेज किया जाता है. ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशकों को जोखिम को कम करने के लिए डायवर्सिफिकेशन की चिंता जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए करने की जरूरत नहीं है. हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशक को यह पता होना चाहिए कि कितना निवेश करना है और कितना जोखिम उठाना है. निवेशकों के लिए अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को पहचानना जरूरी है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

Quantum AMC की चीफ बिजनेस ऑफिसर रीना नथानी ने कहा, “म्यूचुअल फंड स्कीम की सभी कैटेगरी और सब-कैटेगरी रिस्क-रिटर्न स्पेक्ट्रम पर एक अलग स्थान रखती है. निवेशकों को स्कीम के निवेश और इसके रिस्क-रिटर्न को अच्छी तरह से समझना चाहिए. ऐसी स्कीम्स चुनें जो आपके रिस्क प्रोफ़ाइल, इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव, टाइम हॉरिजोन से मेल खाती हों और संबंधित फाइनेंशियल गोल के लिए सबसे उपयुक्त हों.” नथानी ने आगे कहा, “यह देखते हुए कि महंगाई बढ़ रही है, एफिशिएंट इन्फ्लेशन-एडजस्टेड रिटर्न (जिसे रियल रिटर्न के रूप में भी जाना जाता है) अर्जित करना जरूरी है. इस तरह, परीक्षण किए गए 12-20-80 एसेट एलोकेशन मॉडल का व्यापक रूप से पालन करना सार्थक होगा, जो आपकी सभी निवेश आवश्यकताओं के लिए एक सरल समाधान है. इसलिए, म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश के मामले में भी बाजार के जोखिम को और कम करने के लिए एसेट एलोकेशन किया जा सकता है.

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कैसे करें एसे एलोकेशन?

नथानी ने बताया, “एक अलग बचत खाते और/या एक लिक्विड फंड (जो आपकी आपातकालीन जरूरतों का ख्याल रखेगा) में 12 महीने के नियमित खर्चों (ऋणों पर ईएमआई सहित) को लगाएं. पूरे पोर्टफोलियो का लगभग 20 प्रतिशत निवेश सोना (गोल्ड फंड्स या गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से) में रखें, जिससे आप अपने पोर्टफोलियो को बेहतर तरीके से डायवर्सिफाई कर सकें. शेष 80 प्रतिशत पोर्टफोलियो, इक्विटी म्यूचुअल फंड की अलग-अलग सब-कैटेगरी में निवेश करें, जो आपको संभावित रूप से महंगाई को मात देने और अनुमानित वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा. यह एसेट एलोकेशन स्ट्रेटेजी संभावित रूप से आपके पोर्टफोलियो को स्टेबिलिटी, ग्रोथ और प्रोटेक्शन प्रदान कर सकती है.”

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