जानें कौन थीं तरला दलाल, जिनके जीवन पर बन रही फिल्म में हुमा निभाएंगी उनका किरदार!

Huma Qureshi will play the character of Tarla Dalal

Ashish Dalal लिखित उपन्यास शापित | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें

शापित आशीष दलाल [बचपन में यौनउत्पीड़न का शिकार हुए युवक की अपराधी से बदला लेने की भावना और अंतर्द्वंद पर आधारित अपराध कथा] (१) ‘अंकल ! आपकी दाढ़ी चुभती है.’ दस वर्षीय नमन ने अपने नन्हें हाथों से रोहित . और पढ़े चेहरे को अपने गाल के पास से दूर करने की कोशिश की. रोहित कमरे के कोने में रखी कुर्सी पर बैठा हुआ था और नमन उसके दो पैरों के बीच खड़ा था. ‘ओके. ब्रेव बॉय ! ठीक है. अंकल तुम्हारें गालों नहीं छुएंगे पर तुम्हें अंकल से प्यार है तो जल्दी से उनके गालों पर पप्पी कर दो.’ कहते हुए

शापित आशीष दलाल [बचपन में यौनउत्पीड़न का शिकार हुए युवक की अपराधी से बदला लेने की भावना और अंतर्द्वंद पर आधारित अपराध कथा] (१) ‘अंकल ! आपकी दाढ़ी चुभती है.’ दस वर्षीय नमन ने अपने नन्हें हाथों से रोहित . और पढ़े चेहरे को अपने गाल के पास से दूर करने की कोशिश की. रोहित कमरे के कोने में रखी कुर्सी पर बैठा हुआ था और नमन उसके दो पैरों के बीच खड़ा था. ‘ओके. ब्रेव बॉय ! ठीक है. अंकल तुम्हारें गालों नहीं छुएंगे पर तुम्हें अंकल से प्यार है तो जल्दी से उनके गालों पर पप्पी कर दो.’ कहते हुए

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Ashish Dalal

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About Ashish Dalal

ग्वालियर (म. प्र.) में जन्में, खरगोन (म. प्र.) में शिक्षा प्राप्त कर बड़ौदा (गुजरात) में स्थाई रूप से बस चुके आशीष दलाल की अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। गौर करने लायक बात यह है कि यह तीनों ही पुस्तकें अलग अलग विधाओं में लिखी गई है।

"उसके हिस्से का प्यार" आशीष का पहला कहानी संग्रह है जो रोजमर्रा की घटनाओं पर बुनी गई 17 कहानियों का अनूठा प्रेमभरा संग्रह है।

"उस मोड़ पर" उपन्यास प्रेम विवाह को लेकर परिवार के साथ संघर्ष और सामंजस्य की गाथा है।

"गुलाबी छाया नीले रंग" गुजरात हिन्दी साहित्य अकादमी की अनुशंसा से प्रकाशित 82 लघुकथाओं का जीवन के विविध पहलुओं पर आधारित संग्रह है।

इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर की विविध पत्र पत्रिकाओं में आशीष की रचनायें समय समय प्रकाशित होती दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं रहती है। आप इन्हें प्रतिलिपि और स्टोरीमिरर हिन्दी पोर्टल पर भी फॉलो कर सकते हैं ।

खाना पकाना – एक विरासत

तरला दलाल (Tarla Dalal) का जन्म पुणे में हुआ। साल 1960 में तरला की शादी नलिन से हुई, जिसके बाद वह मुंबई शिफ्ट हो गईं। तरला को खाना पकाने का शौक़ शुरु से रहा। 1966 में उन्होंने अपने शौक़ और जुनून को एक नई दिशा देने का फैसला किया और अपने पड़ोसियों के लिए कुकरी क्लास चलाने लगीं। इस क्लास में वह साधारण थाई डिश से लेकर मेक्सिकन, इटालियन और भारतीय व्यंजन बनाना सिखाती थीं।

लोगों को उनकी क्लास बेहद पसंद आई और कुछ ही समय में वह काफी लोकप्रिय हो गईं। इसके बाद, काफी बड़ी संख्या में लोग तरला दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं की क्लास में एनरोल कराने आने लगे। उनकी क्लास की लोकप्रियता को देखते हुए, उस समय भारत के सबसे प्रमुख प्रकाशकों में से एक, वकील एंड संस ने उनकी पहली कुकबुक प्रकाशित करने के लिए उनके साथ कोलेबोरेट किया। दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं इस किताब का नाम था – ‘द प्लेजर ऑफ वेजिटेरियन कुकिंग’।

साल 1974 में प्रकाशित की गई इस किताब में इंडियन, चायनीज़ और पश्चिमी शाकाहारी व्यंजनों की कई रेसिपी थी। इस किताब का अनुवाद कई भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली के साथ-साथ डच और रूसी जैसी विदेशी भाषाओं में भी किया गया था।

कुकिंग क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित एक मात्र भारतीय (Tarla Dalal)

तरला की पाक कला में गहरी समझ थी। अपनी किताबों में उन्होंने कई विषयों पर फोकस किया और अलग-अलग तरह की रेसिपीज़ के बारे में बताया, जैसे- सुबह का नाश्ता, कम तेल में खाना बनाना, देसी भोजन, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए दिलचस्प रेसिपीज़ आदि। इसके अलावा, उन्होंने एक हेल्थ सिरीज़ भी लिखी।

इन वर्षों में, तरला दलाल के कुकबुक की लाखों प्रतियां बिकीं, जिससे वह भारतीय गृहिणियों और कामकाजी महिलाओं के किचन का हिस्सा बन गईं। तरला हमेशा समय के साथ आगे बढ़ती गईं। उन्होंने ‘तरला दलाल फूड्स’ (TDF) नाम के एक ब्रांड के तहत रेडी-टू-कुक मिक्स की एक लाइन भी लॉन्च की।

मुंबई के पास अंबरनाथ में एक कारखाने में 18 से अधिक तरह के इंस्टेंट मिक्स दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं बनाए जाते थे। साल 2013 में, इसे कॉर्न प्रोडक्ट्स कंपनी (इंडिया) लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित किया गया था। तरला, साल 2007 में खाना पकाने के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली एकमात्र भारतीय बनीं।

माँ की विरासत संभाल रहा बेटा

Black pepper

“हम स्वास्थ्य से जुड़ी रेसिपीज़ पर ध्यान देते हैं”

17,000 व्यंजनों की रेसिपी के साथ तरला ने अपनी वेबसाइट – www.tarladalal.com – लॉन्च की। ऐसा दावा किया जाता है कि यह सबसे बड़ी भारतीय फूड रेसिपी वेबसाइट है, जिसमें देशी से लेकर अंतर्राष्ट्रीय व्यंजनों की उनकी सभी शाकाहारी रेसिपीज़ शामिल हैं।

उन्होंने कुकिंग एंड मोर नामक एक द्विमासिक पत्रिका भी निकाली और टेलीविजन पर कुकिंग शो होस्ट करना भी दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं शुरु किया। यह उनका अपना शो ‘कुक इट अप विद तरला दलाल’ था, जिसने उन्हें घर-घर में लोकप्रियता दिलाई और सेलीब्रिटी शेफ बनाया।

साल 2013 में, 77 वर्ष की आयु में, तरला दलाल (Tarla Dalal) का उनके मुंबई आवास पर दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। वह अपने पीछे पाक कला की 40 साल की विरासत छोड़ गईं। उनके तीन बच्चे हैं। उनके बेटे संजय दलाल अब वेबसाइट, कुकबुक के प्रकाशन, कुकरी क्लास और सोशल मीडिया अकाउंट देखते हैं।

ऐसे सबसे पहले ऑनलाइन तत्काल टिकट बुक कर लेते हैं दलाल

आम आदमी रेलवे के तत्काल टिकट की लाइन में रात भर लगता है लेकिन फिर भी नंबर नहीं आता। सुबह जल्दी जागकर मिनट दर मिनट ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए आठ बजने का इंतेजार करते हैं और फिर भी आईआरसीटीसी दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं की वेबसाइट नहीं खुलती। लेकिन दलाल मिनटों में टिकट बुक करा लेते हैं।

तत्काल दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं टिकटों के दलाल रेलवे के सिस्टम को मात देने के लिए कुछ ऐसा दिमाग चलाते हैं कि आम लोग अपने बेव ब्राउजर को रिफ्रेश करते रहते हैं और टिकट दलालों के हो जाते हैं।

ऐसे तत्काल सिस्टम को मात दे देते हैं रेलवे टिकटों के दलाल.

1. दलाल आईआरसीटीसी की वेबसाइट खोलने के लिए फास्ट इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल करते हैं ताकि सर्वर से जल्दी जुड़ सकें। अक्सर दलाल एमटीएनएल या बीएसएनएल का कनेक्शन इस्तेमाल नहीं करते।

2. 8 बजे से 9 बजे के बीच एक आईपीए एड्रेस से दो ही तत्काल टिकट बुक किए जा सकते हैं लेकिन दलाल अपने सिस्टम का आईपी एड्रेस ही बदल देते हैं। ऐसा करने के लिए वो अपने इंटरनेट मोडम को बंद करके दोबारा चालू कर देते हैं। अक्सर मोडम बंद करके दोबारा चालू करने पर सिस्टम का आईपी एड्रेस बदल जाता है। पांच मिनट से ज्यादा देर तक मोडम को बंद करके या फिर इंटरनेट केबल को निकालकर दोबारा लगाने पर आईपी पता अक्सर बदल जाता है। ऐसा करके दलालों को नया आईपीए एड्रेस मिल जाता है और रेलवे का सिस्टम उन्हें ब्लॉक नहीं कर पाता।

कॉरपोरेट हित में सर्वश्रेष्ठ दलाल पत्रकारों की सूची बने

pr journalism

मेरे पास एक आइडिया है.टॉप के सौ मीडिया दलालों की एक सूची बननी चाहिए, उनकी विस्तृत प्रोफाईल होनी चाहिए और देश के सभी मुख्य शहरों में उनके फोन, ईमेल, ट्वीटर एआउंट के साथ बड़ी—बड़ी फोटो लगनी चाहिए जिससे दलाली के जरूरतमंद लोग उनसे तपाक से संपर्क कर सकें। रोज—रोज टीवी—अखबार में खबर के नाम पर दलाली करना ऐसे सम्मानित पत्रकारों को शोभा नहीं देता, उनकी पदवी की तौहिनी भी है। और दर्शक को पता नहीं चलता कि खबर और दलाली के बीच कौमा कहां लगाएं और फुल स्टॉप कहां।

और फिर समस्या क्या है? दलाली और पत्रकारिता कोई छुपी चीज तो रही नहीं। लौंडे पत्रकारिता स्कूल में पहुंचने से पहले ही इस विधा से वाकिफ हो जा रहे हैं। सभी जानते हैं कि पत्रकारिता के बिना अखबार, चैनल का खर्चा नहीं चलता, घरानों को बेहिसाब मुनाफा नहीं हो सकता।

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