भारत में यूलिप: मिस-सेलिंग से प्रभावित अच्छी संकल्पना
ईटी ब्यूरो द्वारा
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) इस समय भारत में सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया वित्तीय उत्पाद है. हालांकि, यूलिप, जहां आपको बीमा और निवेश एक साथ मिलता है, पहले बुरा शब्द नहीं था.
भारतीय यूनिट ट्रस्ट (यूटीआई) ने भारत में पहले यूलिप का शुभारंभ1971 में किया था. दूसरा यूलिप 1989 में एलआईसी म्युचुअल फंड की ओर से आया, अर्थात, सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं के लिए म्यूचुअल फंड उद्योग खोले जाने के बाद. दोनों ही अच्छी तरह से प्रबंधित योजनाएं थीं और मैं इनके बारे में शिकायत करने वाले किसी भी निवेशक से नही मिला हूँ.
संकल्पना के रूप में यूलिप, बीमा कंपनियों के 'पारंपरिक या एंडोमेंट प्लान' में बड़ा सुधार है. इसका कारण यह है कि एंडोमेंट प्लान पूरी तरह से अपारदर्शी होते हैं. निवेशक के रूप में, आपको पता नहीं होता है कि आपका कितना प्रीमियम बीमा कवर या निवेश के लिए जाता है, जहां पैसा निवेश किया जाता है, कितना रिटर्न उत्पन्न होता है, आदि. हालांकि बीमा कंपनियां बीच में कुछ 'वार्षिक बोनस' की घोषणा करती हैं लेकिन यह भी बेकार होता है क्योंकि निवेशक मैच्योरिटी तक ये बोनस निकाल नहीं सकते हैं.
वहीं दूसरी ओर, यूलिप का मुख्य लाभ इसकी पारदर्शिता है. इसमें सभी खर्चे स्पष्ट रूप से अग्रिम में बताए जाते हैं. ये खर्च हैं, पॉलिसी आवंटन शुल्क, पॉलिसी व्यवस्थापन शुल्क, अदला-बदली शुल्क, मोचन शुल्क, फंड प्रबंधन शुल्क, मृत्यु दर प्रभार, आदि. जहां एनएवी की गणना करते समय फंड प्रबंधन शुल्क ध्यान में रखा गया माना जाता है, वहीं, अन्य खर्चों को जितनी इकाइयां आप रखते हैं घटाकर ध्यान में रखा जाता है इस कारण से, यूलिप और म्यूचुअल फंडों की एनएवी श्रृंखला तुलनीय नहीं हैं.
निवेशकों को बीच में किसी भी कर आपतन के बिना इक्विटी और डेब्ट के बीच अदला-बदली करने की अनुमति दी जाती है और यह यूलिप का मुख्य लाभ है. यदि यूलिप एक अच्छी संकल्पना थी, कैसे यह 'घोटाले' के बराबर हो गया? ऐसा ज्यादातर निजी बीमा कंपनियों की कारस्तानियों की वजह से हुआ जिन्होंने ऐसी यूलिप की श्रृंखला लांच की जो बहुत ही ज्यादा कमीशन का भुगतान करती थी, जो पहले वर्ष के प्रीमियम का 60% से लेकर 100% तक अलग-अलग होता था.
इस अग्रिम कमीशनों ने बड़े पैमाने पर इसकी मिस-सेलिंग को प्रोत्साहित किया और यह घोटाले में एक अच्छी अवधारणा के परिवर्तित होने का मुख्य कारण था. इस समय 20 वर्ष के उत्पाद के लिए 60% अग्रिम कमीशन का भुगतान करने वाले बीमा कंपनी के सीईओ द्वारा रखा गया तर्क कि यह 3% प्रति वर्ष के बराबर है, बिल्कुल गलत है. इसका कारण यह है इस गणना में पैसे के समय मूल्य पर विचार नहीं किया गया है.
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) इस बुराई के प्रति 2010 में जगा, लेकिन अधिकांश नुकसान पहले ही हो चुका था. कई निवेशक पहले ही यूलिप घोटाले में पैसा खो चुके थे और बीमा पूरी तरह से छोड़ दिया था. और ग्राहक हित के बलिदान के इस मूर्ख कृत्य द्वारा, निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने आम जनता तक पहुँचने का अपना स्वर्णिम अवसर खो दिया था.
हालांकि यूलिप नए दिशा निर्देशों के बाद बेहतर उत्पाद बन गया है, लेकिन नुकसान पहले ही हो चुका है. और अब कम कमीशन की वजह से, कोई बीमा एजेंट इन्हें नहीं बेचता है. ये एजेंट अब 'सुरक्षित' परंपरागत योजनाओं के साथ निवेशकों का पीछा कर रहे हैं. आशा है कि इरडा इसके प्रति जगेगा और इससे पहले कि यह घोटाले के अनुपात पर पहुँचे परंपरागत योजनाओं के लिए कमीशन कम करेगा.
वित्तीय योजनाकारों द्वारा खैरात में दी गई सामान्य सलाह निवेश और बीमा अलग-अलग रखने की है (यानी बीमा कवर के लिए टर्म प्लान और बीमा के लिए म्युचुअल फंड). यह अधिकांश निवेशकों के लिए सबसे अच्छी रणनीति है. हालांकि, यूलिप अब भी 'विकसित' निवेशकों के लिए अच्छा उत्पाद है, जो प्रभारित खर्चों की भूलभुलैया को समझ सकते हैं और उनसे होकर पार उतर सकते हैं.
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पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): यह एक बेहद पॉपुलर स्कीम है. यह इंवेस्टमेंट की शुरुआत के लिए बहुत ही सुरक्षित इंवेस्टमेंट ऑप्शन है. कोई भी व्यक्ति मैक्सिमम 500 रुपये के निवेश के साथ PPF Account खुलवा सकता है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 18 जनवरी 2022,
- (अपडेटेड 21 फरवरी 2022, 4:13 PM IST)
- PPF पर इस समय मिल रहा है 7.1% का ब्याज
- NPS पर मिलती है 50,000 रुपये की अतिरिक्ट टैक्स छूट
Saving और Investment किसी भी क्लास के फाइनल एग्जाम की तरह होता है. आप रातों-रात इसकी तैयारी नहीं कर सकते हैं. इसकी तैयारी शुरुआत से करनी चाहिए. इसी ULIP किस प्रकार म्यूच्यूअल फंड से अलग है तरह अगर आप Tax Planning करना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत भी आपको एकदम शुरू से करनी चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि हम सभी तरह की सेविंग स्कीम्स को ठीक तरीके से समझे और बिल्कुल सही स्कीम में इंवेस्टमेंट करें. Tax Saving Schemes में इंवेस्टमेंट से आपको ज्यादा टैक्स नहीं देना पड़ता है. दूसरी ओर, वह रकम आपके एसेट में जुड़ जाती है.
Tax Saving Schemes के कुछ ऑप्शन इस प्रकार हैंः
1. यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP): पूरी तरह इंश्योरेंस प्लान से अलग ULIP में निवेशकों को सिंगल इंटीग्रेटेड प्लान के तहत इंश्योरेंस और इंवेस्टमेंट दोनों तरह की चीजें मिल जाती हैं. पॉलिसीहोल्डर द्वारा जमा किए गए प्रीमियम का एक हिस्सा पॉलिसीहोल्डर को इंश्योरेंस कवरेज देने में यूटिलाइज किया जाता है. वहीं, बाकी हिस्सा इक्विटी और डेट इंस्ट्रुमेंट्स में इंवेस्ट किया जाता है. ULIP के तहत कोई भी टैक्सपेयर (Taxpayer) 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) क्लेम कर सकता है.
2. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): यह एक बेहद पॉपुलर स्कीम है. यह इंवेस्टमेंट की शुरुआत के लिए बहुत ही सुरक्षित इंवेस्टमेंट ऑप्शन है. कोई भी व्यक्ति मिनिमम 500 रुपये के निवेश के साथ PPF Account खुलवा सकता है. आप किसी भी पब्लिक सेक्टर बैंक या पोस्ट ऑफिस के जरिए यह अकाउंट खुलवा सकते हैं. इस फंड में निवेश करने पर वर्तमान में 7.1% का ब्याज मिल रहा है. टैक्सपेयर्स 1.5 लाख रुपये तक का अधिकतम डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
3. ELSS Mutual Fund: इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जिसके तहत मुख्य रूप से इक्विटी फंड्स में निवेश किया जाता है. ELSS के तहत इंवेस्टर्स को टैक्स बेनिफिट मिलता है. इसमें निवेश पर भी आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
4. सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana): सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत इस स्कीम की शुरुआत की थी. इस स्कीम में इंवेस्टमेंट के जरिए पैरेंट्स अपनी बेटियों की पढ़ाई या शादी से जुड़े भविष्य के खर्चों के लिए एक फंड क्रिएट कर सकते हैं. इस स्कीम के तहत 7.6 फीसदी का ब्याज मिल रहा है. आप किसी भी कॉमर्शियल बैंक ULIP किस प्रकार म्यूच्यूअल फंड से अलग है की शाखा या पोस्ट ऑफिस के जरिए इस स्कीम में निवेश शुरू कर सकते हैं.
5. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS): सरकार ने रिटायरमेंट के समय फाइनेंशियल सिक्योरिटी देने के लिए इस स्कीम की शुरुआत की थी. इस स्कीम के तहत सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर के कर्मचारियों को टैक्स सेविंग का ऑप्शन मिलता है. 18-60 साल की आयु का कोई भी व्यक्ति इस स्कीम में निवेश कर सकता है. इसमें 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन तो क्लेम किया ही जा सकता है. साथ ही सेक्शन 80CCD (1B) के तहत 50,000 रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन भी मिल जाता है.
6. नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC): आप पोस्ट ऑफिस की किसी भी शाखा में NSC के तहत निवेश शुरू कर सकते हैं. यह एक फिक्स्ड इनकम वाला टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट प्लान है. यह भारत सरकार की स्कीम है और इसलिए इसमें निवेश करना सुरक्षित है. इस पर वर्तमान में 6.8% प्रति वर्ष का ब्याज मिलता है.
7. Home Loan: अगर आपने होम लोन लिया हुआ है तो प्रिंसिपल के रिपेमेंट पर 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, इसके ब्याज के भुगतान पर भी आप टैक्स छूट का लाभ हासिल कर सकते हैं.
इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर! जल्द लागू होगा नियम, जानिए यूलिप स्कीम से जुड़ी सभी बातें
कई निवेशक अक्सर यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) को म्यूचुअल फंड स्कीम से जोड़कर देखते हैं. यूलिप में निवेश करके उन्हें लगता है कि वे म्यूचुअल फंड की किसी स्कीम में पैसा लगा रहे हैं. उनका ऐसा सोचना सही नहीं है. ये दोनों अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को पेश किए बजट में कई बड़े ऐलान किए है. इनमें से एक इंश्योरेंस यानी यूलिप को लेकर भी स्पीच में ऐलान हुआ है. बजट 2021 में प्रावधान किया गया है कि 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाले यूलिप में एग्जेम्पशन नहीं मिलेगा. एक फरवरी 2021 या इसके बाद खरीदे जाने वाले यूलिप पर यह नियम लागू होगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार का यह कदम निवेशकों को इंश्योरेंस और निवेश की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा. इन्हें अब अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट के तौर पर खरीदा जाएगा. इस मामले में म्यूचुअल फंड के साथ ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी है. ज्यादा प्रीमियम वाले नए यूलिप में टैक्स एडवांटेज खत्म होने के साथ इक्विटी म्यूचुअल फंडों में इन्फलो बढ़ना चाहिए.
क्या होती है यूलिप
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान वास्तव में इंश्योरेंस पॉलिसी और मार्केट लिंक इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट का कॉम्बिनेशन है. इस पॉलिसी के तहत प्रीमियम का एक हिस्सा इक्विटी या डेट फंड में निवेश किया जाता है.
इस प्रोडक्ट में इंश्योरेंस और इंवेस्टमेंट का कॉम्बिनेशन 5 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आता है. ग्राहकों को रिस्क के हिसाब से लार्ज, मिड या स्मॉल कैप, डेट या बैलेंस्ड इन्वेस्टमेंट में निवेश करने की छूट दी जाती है. इसी के साथ अलग-अलग फंडों में स्विच करने की भी अनुमति मिलती है. यूलिप में दो प्रकार के प्लान पेंशन और एंडोमेंट होते हैं
अब क्या होगा
बजट 2021 में प्रावधान किया गया है कि 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाले यूलिप में एग्जेम्पशन नहीं मिलेगा. एक फरवरी 2021 या इसके बाद खरीदे जाने वाले यूलिप पर यह नियम लागू होगा.
इस तरह इन यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप से हुए फायदे को कैपिटल गेंस माना जाएगा. ऐसे यूलिप पर इक्विटी फंडों की तरह टैक्स लगेगा.
अभी इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी पर मिली रकम को सेक्शन 10(10डी) के तहत टैक्स छूट मिलती है. यही छूट यूलिप को इक्विटी फंडों के मुकाबले बढ़त देती है. यूलिप में निवेश और बीमा दोनों की मिलाजुलाकर पेशकश की जाती है.
दो साल पहले इक्विटी म्यूचुअल फंडों में 1 लाख रुपये से ज्यादा गेंस पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का प्रस्ताव किया गया था.
जानकार कहते हैं कि कुछ निवेशकों ने यूलिप में शायद सिर्फ 10 फीसदी टैक्स बचाने के लिए रुख कर लिया हो. अब जब यूलिप भी टैक्स के दायरे में आ गया है तो म्यूचुअल फंड एडवाइजर सकारात्मक हैं.
यूलिप से जुड़ी जरूरी बातें
एलोकेशन, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन, मॉर्टेलिटी और फंड मैनेजमेंट चार्ज. फंड मैनेजमेंट के चार्जेज 1.35% हैं. आप यूलिप में निवेश कर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं.
यूलिप को LTCG टैक्सेशन से छूट दी गई है जो पिछले साल के बजट में पेश किया गया था. यह एक EEE (छूट-छूट-छूट) प्रोडक्ट है, जिसमें सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स में छूट के लिए क्लेम भी किया जा सकता है.
अगर आप यूलिप में निवेश करना चाहते हैं तो पहले ये विचार कर लें कि आप इस प्रोडक्ट को इन्वेस्टमेंट व्हीकल के रूप में देखते हैं या लाइफ कवर के रूप में. इसमें निवेश करने के लिए आपके पास निवेश का लंबा समय होना चाहिए और बाजार से जुड़े उत्पादों के बारे में जानना चाहिए.
यूलिप एक लाइफ कवर प्रोडक्ट के तौर पर कुछ खास नहीं है क्योंकि इंश्योरेंस अमाउंट प्रीमियम अमाउंट प्रीमियम का 10-15 गुना तक ही सीमित है.
1 करोड़ कवर वाले यूलिप प्लान का प्रीमियम 2-3 लाख होगा, वहीं 1 करोड़ के कवर वाले टर्म प्लान का प्रीमियम 7000-8000 होगा. निवेश की बात की जाए तो यूलिप प्लान 5 साल के लॉक-इन-पीरियड के तहत आते हैं जबकि म्युचुअल फंड में एक्जिट के लिए काफी लचीलापन है.
इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर! जल्द लागू होगा नियम, जानिए यूलिप स्कीम से जुड़ी सभी बातें
कई निवेशक अक्सर यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) को म्यूचुअल फंड स्कीम से जोड़कर देखते हैं. यूलिप में निवेश करके उन्हें लगता है कि वे म्यूचुअल फंड की किसी स्कीम में पैसा लगा रहे हैं. उनका ऐसा सोचना सही नहीं है. ये दोनों अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को पेश किए बजट में कई बड़े ऐलान किए है. इनमें से एक इंश्योरेंस यानी यूलिप को लेकर भी स्पीच में ऐलान हुआ है. बजट 2021 में प्रावधान किया गया है कि 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाले यूलिप में एग्जेम्पशन नहीं मिलेगा. एक फरवरी 2021 या इसके बाद खरीदे जाने वाले यूलिप पर यह नियम लागू होगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार का यह कदम निवेशकों को इंश्योरेंस और निवेश की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा. इन्हें अब अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट के तौर पर खरीदा जाएगा. इस मामले में म्यूचुअल फंड के साथ ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी है. ज्यादा प्रीमियम वाले नए यूलिप में टैक्स एडवांटेज खत्म होने के साथ इक्विटी म्यूचुअल फंडों में इन्फलो बढ़ना चाहिए.
क्या होती है यूलिप
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान वास्तव में इंश्योरेंस पॉलिसी और मार्केट लिंक इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट का कॉम्बिनेशन है. इस पॉलिसी के तहत प्रीमियम का एक हिस्सा इक्विटी या डेट फंड में निवेश किया जाता है.
इस प्रोडक्ट में इंश्योरेंस और इंवेस्टमेंट का कॉम्बिनेशन 5 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आता है. ग्राहकों को रिस्क के हिसाब से लार्ज, मिड या स्मॉल कैप, डेट या बैलेंस्ड इन्वेस्टमेंट में निवेश करने की छूट दी जाती है. इसी के साथ अलग-अलग फंडों में स्विच करने की भी अनुमति मिलती है. यूलिप में दो प्रकार के प्लान पेंशन और एंडोमेंट होते हैं
अब क्या होगा
बजट 2021 में प्रावधान किया गया है कि 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाले यूलिप में एग्जेम्पशन नहीं मिलेगा. एक फरवरी 2021 या इसके बाद खरीदे जाने वाले यूलिप पर यह नियम लागू होगा.
इस तरह इन यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप से हुए फायदे को कैपिटल गेंस माना जाएगा. ऐसे यूलिप पर इक्विटी फंडों की तरह टैक्स लगेगा.
अभी इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी पर मिली रकम को सेक्शन 10(10डी) के तहत टैक्स छूट मिलती है. यही छूट यूलिप को इक्विटी फंडों के मुकाबले बढ़त देती है. यूलिप में निवेश और बीमा दोनों की मिलाजुलाकर पेशकश की जाती है.
दो साल पहले इक्विटी म्यूचुअल फंडों में 1 लाख रुपये से ज्यादा गेंस पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का प्रस्ताव किया गया था.
जानकार कहते हैं कि कुछ निवेशकों ने यूलिप में शायद सिर्फ 10 फीसदी टैक्स बचाने के लिए रुख कर लिया हो. अब जब यूलिप भी टैक्स के दायरे में आ गया है तो म्यूचुअल फंड एडवाइजर सकारात्मक हैं.
यूलिप से जुड़ी जरूरी बातें
एलोकेशन, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन, मॉर्टेलिटी और फंड मैनेजमेंट चार्ज. फंड मैनेजमेंट के चार्जेज 1.35% हैं. आप यूलिप में निवेश कर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं.
यूलिप को LTCG टैक्सेशन से छूट दी गई है जो पिछले साल के बजट में पेश किया गया था. यह एक EEE (छूट-छूट-छूट) प्रोडक्ट है, जिसमें सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स में छूट के लिए क्लेम भी किया जा सकता है.
अगर आप यूलिप में निवेश करना चाहते हैं तो पहले ये विचार कर लें कि आप इस प्रोडक्ट को इन्वेस्टमेंट व्हीकल के रूप में देखते हैं या लाइफ कवर के रूप में. इसमें निवेश करने के लिए आपके पास निवेश का लंबा समय होना चाहिए और बाजार से जुड़े उत्पादों के बारे में जानना चाहिए.
यूलिप एक लाइफ कवर प्रोडक्ट के तौर पर कुछ खास नहीं है क्योंकि इंश्योरेंस अमाउंट प्रीमियम अमाउंट प्रीमियम का 10-15 गुना तक ही सीमित है.
1 करोड़ कवर वाले यूलिप प्लान का प्रीमियम 2-3 लाख होगा, वहीं 1 करोड़ के कवर वाले टर्म प्लान का प्रीमियम 7000-8000 होगा. निवेश की बात की जाए तो यूलिप प्लान 5 साल के लॉक-इन-पीरियड के तहत आते हैं जबकि म्युचुअल फंड में एक्जिट के लिए काफी लचीलापन है.
क्या है जीवन बीमा कंपनियों का ULIP? जानें कितना मिलता है फायदा और कैसे कर सकते हैं निवेश
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इंश्योरेंस एक ऐसा निवेश है जो इंसान के जीवन के साथ और उसके बाद परिवार के काम आता है। इंश्योरेंस कई प्रकार के होते हैं और आज हम यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (Ulips) के बारे में बात कर रहे हैं। यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान वास्तव में इंश्योरेंस पॉलिसी और मार्केट लिंक इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट का कॉम्बिनेशन है। इस पॉलिसी के तहत प्रीमियम का एक हिस्सा इक्विटी या डेट फंड में निवेश किया जाता है। इस प्रोडक्ट में इंश्योरेंस और इंवेस्टमेंट का कॉम्बिनेशन 5 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आता है। ग्राहकों को रिस्क के हिसाब से लार्ज, मिड या स्मॉल कैप, डेट या बैलेंस्ड इन्वेस्टमेंट में निवेश करने की छूट दी जाती है। इसी के साथ अलग-अलग फंडों में स्विच करने की भी अनुमति मिलती है।
कितने प्रकार के होते हैं यूलिप
यूलिप दो प्रकार के होते हैं- पेंशन और एंडोमेंट प्लान।
चार्ज और टैक्स
यूलिप में 4 तरह के चार्ज हैं- एलोकेशन, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन, मॉर्टेलिटी और फंड मैनेजमेंट चार्ज। फंड मैनेजमेंट के चार्जेज 1.35% हैं। आप यूलिप में निवेश कर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं।
यूलिप को LTCG टैक्सेशन से छूट दी गई है जो पिछले साल के बजट ULIP किस प्रकार म्यूच्यूअल फंड से अलग है में पेश किया गया था। यह एक EEE (छूट-छूट-छूट) प्रोडक्ट है, जिसमें सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स में छूट के लिए क्लेम भी किया जा सकता है।
अगर आप यूलिप में निवेश करना चाहते हैं तो पहले ये विचार कर लें कि आप इस प्रोडक्ट को इन्वेस्टमेंट व्हीकल के रूप में देखते हैं या लाइफ कवर के रूप में। इसमें निवेश करने के लिए आपके पास निवेश का लंबा समय होना चाहिए और बाजार से जुड़े उत्पादों के बारे में जानना चाहिए।
यूलिप एक लाइफ कवर प्रोडक्ट के तौर पर कुछ खास नहीं है क्योंकि इंश्योरेंस अमाउंट प्रीमियम अमाउंट प्रीमियम का 10-15 गुना तक ही सीमित है।
1 करोड़ कवर वाले यूलिप प्लान का प्रीमियम 2-3 लाख होगा, वहीं 1 करोड़ के कवर वाले टर्म प्लान का प्रीमियम 7000-8000 होगा। निवेश की बात की जाए तो यूलिप प्लान 5 साल के लॉक-इन-पीरियड के तहत आते हैं जबकि म्युचुअल फंड में एक्जिट के लिए काफी लचीलापन है।
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