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डेली अपडेट्स
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क के तहत मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (Maldives Monetary Authority- MMA) को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा तक विस्तार करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
- करेंसी स्वैप अथवा मुद्रा विनिमय का आशय दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित नियमों और शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान हेतु किये गए समझौते या अनुबंध से है।
- वर्तमान संदर्भ में, यह सुविधा अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं के लिये वित्त पोषण के वैकल्पिक स्रोत के रूप में स्वैप सुविधा प्रदान करता है।
- वर्ष 2020 में, RBI ने श्रीलंका के साथ 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर हस्ताक्षर किये।
सार्क के लिये स्वैप सुविधाओं हेतु रिज़र्व बैंक की रूपरेखा:
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15 नवंबर, 2012 को लागू हुई थी।
- भारतीय रिज़र्व बैंक 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र कोष के भीतर एक स्वैप व्यवस्था की पेशकश करता है।
- स्वैप व्यवस्था का उपयोग अमेरिकी डॉलर, यूरो या भारतीय रुपए में किया जा सकता है। यह रूपरेखा भारतीय रुपए में स्वैप निकासी के लिये कुछ रियायत भी प्रदान करती है।
- यह सुविधा सभी सार्क सदस्य देशों के लिये उपलब्ध होगी, बशर्ते उन्हें द्विपक्षीय स्वैप समझौतों पर हस्ताक्षर करना होगा।
- स्थापना: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (The South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC) की स्थापना 8 दिसंबर,1985 को ढाका में सार्क चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
- सदस्य देश: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत ,मालदीव ,नेपाल, पाकिस्तान,श्रीलंका
- सचिवालय: काठमांडू (नेपाल)
- उद्देश्य: इस क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति, सांस्कृतिक विकास में तेज़ी लाना और सभी व्यक्तियों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना तथा उनकी क्षमताओं का आकलन करना।
मुद्रा शर्तें क्या हैं?
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मुद्रा और क्रेडिट
लोगों और व्यवसाइयों को अक्सर कुछ जरूरतों के लिये कर्ज लेने की जरूरत पड़ती है। किसानों को बीज, खाद, कृषि औजार, आदि खरीदने के लिये कर्ज की जरूरत पड़ती है। गाड़ी या घर जैसे महंगी चीजें लोग अक्सर कर्ज लेकर ही खरीद पाते हैं। बड़े-बड़े उद्योगपति भी व्यवसाय के लिये कर्ज लेते रहते हैं। इस प्रकार क्रेडिट हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जब भी कोई व्यक्ति या संस्थान किसी बैंक से कर्ज मुद्रा शर्तें क्या हैं? लेता है तो उसके लिये एक लोन एग्रीमेंट बनाया जाता है। लोन एग्रीमेंट में ब्याज दर और कर्ज चुकता करने के बारे में सारे नियम और शर्तें लिखी होती हैं। अक्सर कर्ज चुकता करने के लिये बैंक एक मासिक किस्त तय करता है ताकि नियत अवधि के भीतर कर्ज चुकता हो सके।
कोलैटेरल या समर्थक ऋणाधार: अधिकतर मामलों में कर्ज लेने के लिये किसी चल या अचल सम्पत्ति को बैंक के पास गिरवी रखना होता है। इसे कोलैटरल कहते हैं। कोलैटरल के कुछ उदाहरण हैं; जमीन, घर, गाड़ी, मवेशी, बैंक में जमा राहि, बीमा पॉलिसी, सोना, आदि। यदि कोई व्यक्ति कर्ज का भुगतान समय पर नहीं कर पाता है तो कर्ज देने वाले संस्थान को यह अधिकार होता है कि वह कोलैटरल को बेचकर कर्ज की राशि वसूल ले।
ग्रामीण इलाकों में कर्ज के स्रोत 2003
- औपचारिक सेक्टर: इस सेक्टर में बैंक और को-ऑपरेटिव सोसाइटी आती है।
- अनौपचारिक सेक्टर: इस सेक्टर में साहुकार, दोस्त, रिश्तेदार, व्यापारी और जमींदार आते हैं।
- दिये गये चित्र में ग्रामीण इलाकों में 2003 में लोन के विभिन्न स्रोतों को दिखाया गया है।
औपचारिक सेक्टर को रिजर्व बैंक द्वारा जारी नियमों और कानूनों का पालन करना पड़ता है लेकिन अनौपचारिक सेक्टर इन नियमों का पालन नहीं करते हैं। औपचारिक सेक्टर में ब्याज दर बहुत ऊँची होती है। ऊँचे ब्याज दर के कारण कर्ज लेने वाला अक्सर परेशान हो जाता है। वह अक्सर कर्ज के जाल में फंस जाता है। अक्सर यह देखा गया है कि अनौपचारिक सेक्टर से कर लेने वाला कभी भी कर्ज के कुचक्र से निकल नहीं पाता है।
गरीब लोग अक्सर औपचारिक सेक्टर द्वारा कर्ज की पात्रता पर खड़े नहीं उतरते हैं। कई लोगों के पास जरूरी कागजात नहीं होते हैं। ऐसे लोगों को अनौपचारिक सेक्टर की शरण में जाना पड़ता है।
सेल्फ हेल्प ग्रुप:
सेल्फ हेल्प ग्रुप का प्रचलन अभी नया नया है। इस प्रकार के ग्रुप में लोगों का एक मुद्रा शर्तें क्या हैं? छोटा समूह होता है; जैसे 15 से 20 सदस्य। सभी सदस्य अपने जमा किये हुए पैसे को इकट्ठा करते हैं। उस जमा रकम में से किसी भी सदस्य को छोटी राशि का कर्ज दिया जाता है। फिर वह सेल्फ हेल्प ग्रुप उस राशि पर ब्याज लेता है। इस तरह के कर्ज के सिस्टम को माइक्रोफिनांस कहते हैं।
सबसे पहले बंगलादेश के ग्रामीण बैंक ने माइक्रोफिनांस की परिपाटी शुरु की। ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस ने इस दिशा में काफी काम किया है और गरीबों की मदद की है। उनके प्रयासों के लिये उन्हें 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सेल्फ हेल्प ग्रुप ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनौपचारिक कर्ज दाताओं के प्रकोप को काफी हद तक कम किया है। आज भारत में कई बड़ी कंपनियाँ सेल्फ हेल्प ग्रुप को प्रश्रय दे रही हैं।
सरकार की इस योजना से मिलेगी मदद
खुद का बिजनस शुरू करने के लिए आप पीएम मुद्रा योजना (Pradhan Mantri Mudra Yojana) का लाभ उठा सकते हैं। हम जिस बिजनस के बारे में आपको बता रहे हैं वो टोमैटो सॉस बनाने का है। मुद्रा शर्तें क्या हैं? इस बिजनस को करीब 7.82 रुपये की लागत से शुरू किया जा सकता है। लेकिन इसमें आपको सिर्फ 1.95 लाख रुपये का ही निवेश करना होगा। इस बिजसन में मशीनरी एवं उपकरणों पर 2 लाख रुपये, टमाटर, कच्चे माल, सामग्री, श्रमिकों के वेतन, पैकिंग, टेलीफोन, किराया आदि पर 5.82 लाख रुपये खर्च होंगे। ये पैसे आपको केंद्र सरकार की मुद्रा योजना (Pradhan Mantri Mudra Yojana) के तहत मिल जाएंगे। इस कारोबार में आपकी सालाना आमदनी करीब 28.80 लाख रुपये तक हो सकती है। जबिक शुरुआती निवेश आठ लाख से भी कम होगा। 28.80 लाख रुपये के टर्नओवर से आपको 24.22 लाख रुपये का सालाना खर्च कम घटाना होगा। इसके बाद आपको सालाना 4.58 लाख रुपये का नेट प्रॉफिट होगा। इस हिसाब से देखें तो आपको हर महीने करीब 40 से 45 हजार रुपये की कमाई आराम से हो जाएगी।
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