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IRCTC Tour Package: आईआरसीटीसी लेकर आया बैंकॉक और पटाया पैकेज, रहना-खाना फ्री, देखें डिटेल्स

अकाउंट कितने प्रकार के होते in English?

इसे सुनेंरोकेंखाते (Accounts) के तीन प्रकार होते हैं। इन नियमों के अनुसार ही आप व्यवसाय में होने वाले दो पक्षों के बीच व्यवहार में खातों को अलग अलग कर सकेंगे। वह खाते जो किसी व्यक्ति, फर्म, संस्था अथवा कंपनी से संबंधित होते हैं। व्यक्तिगत (Personal) खाते कहलाते हैं।

इसे सुनेंरोकेंबैंक अकाउंट मुख्य रूप से चार प्रकार के करंट अकाउंट क्या होता है होते हैं। लेकिन बैंकों में ज्यादातर बचत खाता (saving account) और चालू खाता (current account) ही खुलवाए जाते हैं।

बैंक में कितने प्रकार के खाता खोलते हैं?

भारतीय बैंकों में कितने प्रकार के खाते खोले जाते हैं?

  • बैंक खातों के प्रकार निम्न हैं:-
  • बचत खाता
  • चालू खाता
  • सावधि जमा खाता
  • आवर्ती जमा खाता
  • नो-फ़्रिल अकाउंट या बुनियादी बचत खाता
  • बचत बैंक खाता (Savings Bank Account)
  • चालू जमा खाता (Current Deposit Account)

बैंक में कितने अकाउंट होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकितने प्रकार के बैंक खाते होते हैं? – Quora. चालू खाता – Current Account. बचत खाता- Savings Account. आवर्ती जमा खाता- Recurring Deposit Account.

क्या करंट अकाउंट में ब्याज मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंइस अकाउंट में किसी तरह का ब्याज नहीं मिलता है. आपको बता दें कि सेविंग अकाउंट आम लोगों के लिए बनाया गया है वहीं करंट अकाउंट व्यापारियों के लिए बनाया गया है. बचत खाते में ब्याज मिलता है, चालू खाते में किसी तरह का ब्याज नहीं मिलता है.

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Balance of Payment (भुगतान संतुलन)

1. आयात और निर्यात का विवरण रहता है (यह हमेशा negative रहता है क्योंकि हमलोग निर्यात से ज्यादा आयात करते हैं; Import>Export= व्यापार घाटा)

2. विदेशों से आनेवाले आय का विवरण रहता है (भारतीय निवेशकर्ता को दिया गया interest की राशि, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश/FDI से प्राप्त ब्याज)

3. हस्तांतरण (उपहार, NRI द्वारा परिवारों को भेजे गए पैसे….ये हमेशा positive/अधिक रहता है क्योंकि विदेशों में भारतीयों की भारी संख्या है)

कैपिटल अकाउंट/फाइनेंसियल अकाउंट

1. भारत में दूसरे देशों के प्रत्यक्ष निवेश से मिली राशि (FDI, FII, ADR, विदेशियों द्वारा भारत में जमीन खरीद लेना, अन्य सम्पत्ति)

2. बाहर से पैसा उधार लेना. बाहरी सहायता इत्यादि.

  • यदि कोई अमेरिकन भारत में इन्वेस्ट करता है (via FDI, FII, ADR etc) तो इसको हम लोग प्लस (+) में डालेंगे यानी credit में डालेंगे.
  • यदि कोई भारतीय अमेरिका में इन्वेस्ट करता है (via FDI, FII, IDR etc) तो इसको हम लोग माइनस (-) में डालेंगे यानी इसे debit में रखेंगे.
  • बैलेंस ऑफ़ पेयमेंट के माध्यम से हमलोग पूँजी के प्रवाह पर नजर रखते हैं.
  • भारत के लिए, Current Account हमेशा घाटे में रहता आया है (in negative figure) और Capital Account हमेशा suprlus में रहा है (in positive figure)
  • आदर्श रूप से BoP में Current Account और Capital Account दोनों बराबर होना चाहिए.
  • यदि Current Account घाटे में है तो Capital Account उतने ही surplus में रहना चाहिए जिससे दोनों में balance बनी रहे (BoP=0). पर ऐसा क्यूँ?

Balance of Payment = Zero की थ्योरी आखिर क्यूँ?

मानिए इस विश्व में केवल दो देश हैं. एक अमेरिका (डॉलर वाला देश) और दूसरा भारत (रूपया वाला देश). और इनके बीच न ही कोई बिचौलिया है, न ही कोई एजेंट, न ही कोई टैक्सेशन सिस्टम, न ही सचिन तेंदुलकर और न ही तारक मेहता का उल्टा चश्मा….कहने का मतलब है कि अमेरिका और भारत के अलावा विश्व में कुछ नहीं है.

अब भारत अमेरिका से worth 10 billion डॉलर का एप्पल फ़ोन खरीदता है. चूँकि कोई Forex agent, taxation नहीं है इसलिए भारत अमेरिका को 10×60=600 billion INR भारतीय मुद्रा देता है (if 200=60). इसका मतलब हुआ कि भारत के बहुत सारे रुपये भारत के Current Account से अमेरिका चले गए.

मगर अमेरिका भारत के मुद्रा का क्या करेगी? भारतीय मुद्रा तो उसके कोई use का है ही नहीं. America के पास तीन options हैं —

1. या तो वह उस मुद्रा से भारत से कुछ खरीदे (जैसे, कच्चा माल, स्टील, प्लास्टिक आदि)

Surplus or Deficit?

क्या इसका अर्थ यह लगाया जाए कि एक देश के पास कभी भी Surplus या Deficit BoP स्थाई रूप से नहीं रहेगा?

Balance of Payment/भुगतान संतुलन में surplus या deficit अस्थायी (temporary) है क्योंकि Balance of Payment का calculation त्रैमासिक या वार्षिक आधार पर होता है. बहुत अधिक chance है की USA जिसने भारत को apple phone बेचकर 600 billion INR कमाए थे, वह 2 साल, 3 साल etc. तक…भारत में कोई investment ही न करे.

हो सकता है भविष्य में में भारत सरकार ही कोई USA पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा दे जिससे USA भारत में इन्वेस्ट ही न कर सके.

पर long run ऐसी स्थिति आ ही जाएगी जिससे सारा सिस्टम फिर से बैलेंस में आ जायेगा, जैसे अमेरिका कोई दूसरे देश को INR दे दे और बोले कि आप India में इन्वेस्ट करो और बदले में 50% profit का मुझे देना. अंततः भारत का पैसा भारत में ही आएगा…आज न कल.

आपके Saving Account पर रहती है आयकर विभाग की नजर, जानिये कितना पैसा जमा करना फायदेमंद

क्या आपको पता है कि बचत खाते में कितना रकम जमा करनी चाहिए, जिसे टैक्स के दायरे में न आए। दरअसल सरकार ने ब्लैक मनी पर रोक लगाने बैंकों, कॉरपोरेट्स, पोस्ट ऑफिस और एनबीएफसी के साथ वित्तीय रिपोर्टिंग को पेश करना आवश्यक कर दिया है।

आपके Saving Account पर रहती है आयकर विभाग की नजर, जानिये कितना पैसा जमा करना फायदेमंद

आज के समय में हर आदमी का बैंक करंट अकाउंट क्या होता है में खाता जरूरत होता है। हालांकि नौकरीपेशा या कारोबारियों को एक से ज्यादा खातों को इस्तेमाल करते हैं। वैसे तो सेविंग अकाउंट में कितना भी पैसा जमा कर सकते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बचत खाते में कितना रकम जमा करनी चाहिए, जिसे टैक्स के दायरे में न आए। दरअसल सरकार ने ब्लैक मनी पर रोक लगाने बैंकों, कॉरपोरेट्स, पोस्ट करंट अकाउंट क्या होता है ऑफिस और एनबीएफसी के साथ वित्तीय रिपोर्टिंग को पेश करना आवश्यक कर दिया है। जब खाते में ट्रांजेक्शन रकम ज्यादा हो। इसके दायरे में पैसे जमा करना व निकालना, शेयर मार्केट में इंवेस्ट, क्रेडिट कार्ड बिल, विदेशी करेंसी खरीद और संपत्ति में लेन देन आते हैं। इनकम टैक्स नियमों के अनुसार बैंकिंग सेक्टर को वित्त वर्ष के दौरान कर विभाग को 1 साल के उन अकाउंट की जानकारी उपलब्ध करानी होती है। जिसमें नियमित तौर पर दस लाख रुपए या उससे अधिक की जमा या निकासी हुई है। यह लिमिट कस्टमर के एक या करंट अकाउंट क्या होता है उससे अधिक बचत खातों में जमा रकम की समग्र रूप से देखी जाती है। वहीं एक वित्तीय साल में बैंक खाते में 10 लाख से या उससे अधिक के ट्रांजेक्शन करने पर अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। ऐसी स्थिति में अगर किसी के सेविंग अकाउंट में अधिक लेनदेन हुआ है तो उसे अलर्ट रहना चाहिए। हालांकि करंट अकाउंट में सीमा 50 लाख रुपए करंट अकाउंट क्या होता है से अधिक है। होस्टबुक लिमिटेड के संस्थापक कपिल राणा का कहना है कि लोगों को इनकम टैक्स के नियम 114ई की जानकारी होना चाहिए। जिससे किसी प्रकार की परेशानी ना हो।

करंट अकाउंट के प्रकार

जैसा कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आपको करंट अकाउंट के बारे में व सेविंग और करंट के बीच अन्तर आपको पता चल ही गए होंगे अब ये कितने करंट अकाउंट क्या होता है प्रकार के होते हैं यह भी जान लेते हैं और बैंकों में कई प्रकार के करंट अकाउंट के ऑप्शन उपलब्ध होते हैं जो इस प्रकार है

  1. स्टैंडर्ड करंट अकाउंट – जो बिज़नेस purpose के लिए अकाउंट खोलना चाहते हैं यह उनके लिए ठीक है
  2. पैकेज करंट अकाउंट – जैसा कि नाम से ही पता चलता है इसके अंदर बहुत सी पैकेज मिलते हैं हैं जैसे यात्रा बीमा, स्वास्थ्य बीमा आदि पर मिलते हैं
  3. सिंगल कॉलम कैशबुक – यह अकाउंट बिजनेस के लिए बेस्ट है क्योंकि यह कैशबैक काम करता है
  4. फॉरेन करेंट अकाउंट – यह उनके लिए है जिन्हें व्यापार के लिए दूसरे देशो से लेनदेन करनी पड़ती है

सेविंग अकाउंट और करेंट अकाउंट मे मुख्य अंतर क्या है

आज के पोस्ट मे करंट अकाउंट यानी चालू खाता और सेविंग अकाउंट यानी बचत खाता के मूलभूत अंतर के बारे में बताऊंगा कि आखिर क्या होता है यह करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट इसका प्रयोग किस को करना चाहिए और इसके क्या फायदे होते हैं सब कुछ आज हम इस वीडियो में आपको बताएंगे।

दोस्तों आपने भी अक्सर एटीएम से पैसे निकालने जाते होंगे वहां जैसे ही आप एटीएम लगाते होंगे पैसा करंट अकाउंट क्या होता है निकालने से पहले आप से पूछता होगा कि आप करंट अकाउंट या सेविंग अकाउंट इन दोनों में से किसी एक को सिलेक्ट कीजिए।

दोस्तों बहुत सारे लोगों को यह नहीं पता होगा कि करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट में आखिर अंतर क्या होता है दोनों में तो पैसे जमा ही होता है और पैसे निकाल भी सकते हैं तो फिर इनका मतलब क्या होता है तो बने रहिए हमारे वीडियो के साथ और इस वीडियो को लास्ट तक देखिए क्योंकि मैं आज बताने वाला हूं इन दोनों के बीच का प्रमुख अंतर के बारे में ।

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