विदेश मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) क्या है। रूपये पर इसका असर
विदेश मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) भारत में अपने रिकॉर्ड स्तर को पार कर रहा है। जो अभी $650 बिलियन से अधिक है। ऐसा होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर कदम है। विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार बढ़ने से यह साफ है कि भारत में विदेशी निवेशकों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।
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विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) क्या है?
किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं। भारत में RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का आंकलन किया जाता है और हर सप्ताह देश के विदेशी मुद्रा भंडार के आँकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में शामिल है।
- विदेशी परिसंपत्तियां(Foreign currency asset)- इसमें बॉन्ड, शेयर, डिबेंचर इत्यादि को शामिल किया जाता है।
- गोल्ड रिज़र्व
- IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच- यह वह मुद्रा होती है। जिसे हर सदस्य देश IMF को प्रदान करता है। जिसका उपयोग अपने स्वयं के लिए कर सकता है।
- SDR(Special drawing rights)- विशेष आहरण अधिकार कोई मुद्रा नहीं है। बल्कि एक दवा है जो IMF राष्ट्रों की मुद्राओं को प्रयोग करने योग्य दिया जा सकता है। SDG के अंतर्गत 5 देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है। डालर, यूरो, येन, रेनमिनबी , पाउंड
वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत द्वारा लगभग $525 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल निर्यात किया गया जबकि $600 बिलियन का आयात किया गया। जिस कारण $75 बिलियन का व्यापार घाटा हुआ। दुनिया में सर्वाधिक व्यापार डॉलर में किया जाता है। विदेशी मुद्रा भंडार के अधिक होने से केंद्रीय बैंक को रूपया देकर डॉलर खरीदने की आवश्यकता नहीं होती, भारत द्वारा आयत अधिक किये जाने से भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत हर साल 6000-7000 वस्तुओं का आयत करता है। ऐसा विश्व के अलग अलग देशों से किया जाता है। जिस वजह से अलग अलग देशों की मुद्राओं को RBI अपने पास रखता है। दुनिया में सबसे अधिक व्यापार डॉलर में किया जाता है। ऐसे में किसी भी केंद्रीय बैंक में डॉलर का संग्रहण अधिक होना अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर है।
1991 के समय देश में विदेशी मुद्रा भंडार अत्यधिक कम हो गया था। इस समय देश के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी थे। उस समय भारत की स्थिति ऐसी हो चुकी थी कि भारत के द्वारा लगातार 3 हफ्ते तक आयात नहीं किया जा सकता था। तब RBI ने 47 टन सोना गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा प्राप्त की। जिसके उपरांत आयत की जरूरतों को पूरा किया जा सका।
विश्व के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर 62.7%, यूरो 20.2%, येन 4.9% है। भारत में विदेशी मुद्रा भंडार को RBI के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
रुपये को संतुलित रखने में
रूपये को संतुलित रखने के लिए RBI के द्वारा ही डॉलर की खरीदी और बिक्री की जाती है। जब विदेशों से भारत में डॉलर का प्रवाह अधिक हो रहा होता है तब RBI के द्वारा डॉलर की खरीद की जाती है। किन्तु जब डॉलर की मांग विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? अधिक होती है तो RBI डॉलर बेच देता है। डॉलर के मुकाबले रूपये की स्थिति को संतुलित बनाये रखने के लिए RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है। कहने का तात्पर्य है कि डॉलर के मुकाबले रूपये का मजबूत होना या रूपये का गिरना संतुलित रहता है।
पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 100 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। इस समय डॉलर और यूरो, विदेशी परिसंपत्ति के रूप में 560.890 बिलियन डॉलर का है और स्वर्ण भंडार 37.2 बिलियन डॉलर का। जबकि SDR 1.513 अरब डॉलर का है। IMF के पास आरक्षित रिजर्व ट्रेंच 5 बिलियन डॉलर का है। इन सभी को जोड़ने पर यह 600 बिलियन डॉलर का दिखाई देता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में स्थान
विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में चीन 3330 अरब डॉलर के साथ पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर जापान है- जिसका विदेशी मुद्रा भंडार 1378 अरब डॉलर का है। इसके बाद तीसरे स्थान पर स्विटज़रलैंड 1070 अरब डॉलर के साथ है। चौथे स्थान पर रूस है और अभी भारत की स्थिति पांचवें स्थान पर है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में भारत रूस को पीछे छोड़ विदेशी मुद्रा भंडार में चौथे स्थान पर आ जायेगा।
विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) बढ़ने के कारण
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में वृद्धि होने के कई कारण है। जिसमें भारत में निवेश के बेहतर विकल्प का होना शामिल है, भारत अपने आयात में लगातार कमी कर रहा है। और निर्यात पर बल दे रहा है। अमेरिकी जैसे देशों ने हाल में अधिक नोटों की छपाई की है। जिस कारण भारत में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए विदेशी निवेश भारत में अधिक आ रहा।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, इस बार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर पर आया
पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? स्तर पर आ गया है.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 600 अरब डॉलर से गिरते-गिरते अब 550 अरब डॉलर के आस-पास आ गया है. पिछले हफ्ते की गिरावट क . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : September 17, 2022, 08:41 IST
हाइलाइट्स
पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.
हालिया गिरावट की मुख्य वजह रिजर्व बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में डॉलर की बिकवाली है.
इस दौरान स्वर्ण भंडार 34 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
मुंबई. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट जारी है. विदेशी मुद्रा भंडार नौ सितंबर को समाप्त सप्ताह में 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रह गया. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 7.94 अरब डॉलर घटकर 553.10 अरब डॉलर रहा था. पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.
लगभग 600 अरब डॉलर से यह गिरते-गिरते अब 550 अरब डॉलर के आस-पास आ गया है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन करेंसी एसेट ( एफसीए) में गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार घटा है. समीक्षाधीन सप्ताह में एफसीए 2.51 अरब डॉलर घटकर 489.59 अरब डॉलर रह गया.
डॉलर की बिकवाली
पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट पर एक्सपर्ट ने कहा था कि हालिया गिरावट की मुख्य वजह रिजर्व बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में डॉलर की बिकवाली है. रुपए की कमजोरी से निपटने के लिए आरबीआई ने पिछले दिनों यह कदम उठाया जिसका असर मुद्रा भंडार पर दिख रहा है. इस समय भी यह कारण हावी है.
गोल्ड रिजर्व बढ़ा
हालांकि, इस दौरान स्वर्ण भंडार 34 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया. 2 सितंबर को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 38.303 अरब डॉलर पर था. उस समय इसमें 1.339 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई थी. जेफरीज ने 6 सितंबर के अपने नोट में कहा था कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है. अब इसमें और गिरावट देखने को मिल रही है.
व्यापार घाटा भी बढ़ रहा
भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है. एक साल पहले के इसी अवधि में यह 54 अरब डॉलर था. वहीं, भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है. बीते वित्त वर्ष में यह 1.2 प्रतिशत पर था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार को जारी ताजा बुलेटिन में यह अनुमान जताया गया है.
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विदेशी मुद्रा भंडार में अब भी जारी है गिरावट जबकि गोल्ड रिजर्व में दर्ज हुई बढ़ोतरी
राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में गिरावट के बाद पिछले सप्ताह दर्ज हुई बढ़त के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में इस बार बढ़त दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से होता है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।
RBI के ताजा आंकड़े :
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है। जबकि, 29 जुलाई 2022 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.315 अरब डॉलर कि बढ़त दर्ज हुई थी और यह 573.875 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? पर पहुच गया था। उससे पहले 22 जुलाई 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है। वहीं, 1 जुलाई, 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 5.008 अरब डॉलर घटकर 588.314 अरब डॉलर पर आ गया था जबकि, 24 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज हुई थी, जो 2.734 अरब डॉलर से बढ़कर 593.323 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय से गिरावट दर्ज होने के बाद एक बार की बढ़त के बाद अब समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 67.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.313 अरब डॉलर पर जा पहुंची हैं। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में गिरावट ही दर्ज की गई थी। रिजर्व बैंक ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन अब जब FCA में बढ़त दर्ज हुई है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है। RBI के आंकड़ों के विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।
आंकड़ों के अनुसार FCA :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़त होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 4.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.031 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, IMF में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 30 लाख डॉलर घटकर 4.987 अरब डॉलर हो गया। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 1.611 अरब डॉलर घटकर 509.646 अरब डॉलर रह गई है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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विदेशी मुद्रा का प्रबंधन जरूरी
भारत का कुल विदेशी कर्ज 620 अरब डॉलर है और इसमें से 267 अरब डॉलर आगामी नौ माह में चुकाना है. कम अवधि के कर्ज का यह अनुपात 44 प्रतिशत है.
बीते आठ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर और बॉन्ड की बिकवाली कर लगभग 40 अरब डॉलर भारत से निकाल लिया है. इसी अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 52 अरब डॉलर की कमी हुई है. अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये के मूल्य में गिरावट जारी है. निर्यात की अपेक्षा आयात में तेजी से वृद्धि हो रही है. इसका मतलब है कि हमें भुगतान के लिए निर्यात से प्राप्त डॉलर से कहीं अधिक डॉलर की जरूरत है.
सामान्य परिस्थितियों में भी भारत के पास डॉलर की संभालने लायक कमी रहती आयी है, जो अमूमन सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का एक से दो प्रतिशत होती है. आम तौर पर यह 50 अरब डॉलर से कम रहती है और आयात से अधिक निर्यात होने पर इसमें बढ़ोतरी होती है. इस कमी की भरपाई शेयर बाजार में विदेशी निवेश, विदेशी कर्ज, निजी साझेदारी या बॉन्ड खरीद से की जाती है.
इस तरह से आनेवाली पूंजी हमेशा ही चालू खाता घाटे से अधिक रही है, जिससे भारत का ‘भुगतान संतुलन’ खाता अधिशेष में रहता है. विदेशी कर्ज और उधार से ही ऐसा अधिशेष रखना जरूरी नहीं कि अच्छी बात ही हो, खासकर तब दुनियाभर में कर्ज का दबाव है. लेकिन सामान्य दिनों में विदेशियों का आराम से भारतीय अर्थव्यवस्था को कर्ज देना उनके भरोसे का संकेत है.
यह सब तेजी से बदलने को है और भारत के विदेशी मुद्रा कोष के संरक्षक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चेतावनी का शुरुआती संकेत दे दिया है. अगर भाग्य ने साथ दिया और मान लिया जाये कि इस वित्त वर्ष में 80 अरब डॉलर की बड़ी रकम भी भारत में आये, तब भी भुगतान संतुलन खाते में 30-40 अरब डॉलर की कमी रहेगी. हमारा चालू खाता घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत तक होकर 100 अरब डॉलर के पार जा सकता है.
विदेशी मुद्रा के इस अतिरिक्त दबाव को झेलने के लिए हमारा भंडार पूरा नहीं होगा. इसीलिए रिजर्व बैंक ने अप्रवासी भारतीयों से डॉलर में जमा को आकर्षित करने के लिए कुछ छूट दी है. इसने विदेशी कर्ज लेना भी आसान बनाया है तथा भारत सरकार के बॉन्ड के विदेशी स्वामित्व की सीमा भी बढ़ा दी है. इन उपायों का उद्देश्य विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? अधिक डॉलर आकर्षित करना है.
बढ़ते व्यापार और चालू खाता घाटा तथा इस साल चुकाये जाने वाले विदेशी कर्ज की मात्रा बढ़ने जैसे चिंताजनक संकेतों को देखते हुए ऐसे उपायों की जरूरत थी. भारत का कुल विदेशी कर्ज 620 अरब डॉलर है और इसमें से 267 अरब डॉलर आगामी नौ माह में चुकाना है. कम अवधि के कर्ज का यह अनुपात 44 प्रतिशत है और खतरनाक रूप से अधिक है.
कर्ज लेने वाली निजी कंपनियों को या तो नया कर्ज लेना होगा या फिर भारत के मुद्रा भंडार से धन निकालना होगा. दूसरा विकल्प वांछित नहीं है क्योंकि मुद्रा भंडार घट रहा है और उसे बढ़ाने की जरूरत है. पहला विकल्प आसान नहीं होगा क्योंकि डॉलर विकासशील देशों में जाने के बजाय अमेरिका की ओर जा रहा है. किसी भी स्थिति में नये कर्ज पर अधिक ब्याज देना होगा, जिससे भविष्य में बोझ बढ़ेगा.
रिजर्व बैंक की पहलें केंद्र सरकार द्वारा डॉलर बचाने के उपायों के साथ की गयी हैं. सोना पर आयात शुल्क बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है. बहुत अधिक मांग के कारण भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है. शुल्क बढ़ाने से मांग कुछ कम भले हो, पर इससे तस्करी भी बढ़ सकती है. गैर-जरूरी आयातों पर कुछ रोक लगने की संभावना है ताकि डॉलर का जाना रुक सके.
विदेशी मुद्रा और विनिमय दर का प्रबंधन रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी है. अभी शेयर बाजार पर निवेशकों के निकलने के अलावा तेल की बढ़ी कीमतों के कारण भी दबाव है. इससे भारत का कुल आयात खर्च (सालाना 150 अरब डॉलर से अधिक) प्रभावित होता है तथा अनुदान खर्च भी बढ़ता है क्योंकि तेल व खाद के दाम का पूरा भार उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाता है.
इस अतिरिक्त वित्तीय बोझ का सामना करने के लिए सरकार ने इस्पात और तेल शोधक कंपनियों के मुनाफे पर निर्यात कर लगाया है. इस कर से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व संग्रहण की अपेक्षा है. यह रुपये के मूल्य में गिरावट के असर से निपटने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है.
लेकिन निर्यात कर एक असाधारण और अपवादस्वरूप उपाय है तथा इसे तभी सही ठहराया जा सकता है, जब तेल की कीमतें बहुत अधिक बढ़ी हैं. भारत सरकार पर राज्यों को मुआवजा देने का वित्तीय भार भी है, जो वस्तु एवं सेवा कर के संग्रहण में कमी के कारण देना होता है. राज्य सरकारों पर अपने कर्ज का भी बड़ा बोझ है और 10 राज्यों की स्थिति तो खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है, जो उनके दिवालिया होने का कारण भी बन सकता है.
बाहरी मोर्चे पर रुपये पर दबाव केवल तेल की कीमतें बढ़ने से आयात खर्च में वृद्धि के कारण नहीं है. तेल और सोने के अलावा अन्य कई उत्पादों, जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल, कोयला आदि के आयात में अप्रैल से जून के बीच 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जून में सोने का आयात पिछले साल जून से 170 प्रतिशत अधिक रहा था. यह देखना होगा कि अधिक आयात शुल्क से सोना आयात कम होता है या नहीं.
भारतीय संप्रभु गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं, जो सोने का डिमैट विकल्प है और कीमती विदेशी मुद्रा भी बाहर नहीं जाती. सरकार को आक्रामक होकर बॉन्ड बेचना चाहिए. आगामी महीनों में घरेलू और विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? बाहरी मोर्चों पर दोहरे घाटे के प्रबंधन के लिए ठोस उपाय करने होंगे. उच्च वित्तीय घाटा उच्च ब्याज दरों का कारण बनता है और उच्च व्यापार घाटा रुपये को कमजोर करता है.
अगर दोनों घाटों को कम करने के लिए इन दो नीतिगत औजारों (ब्याज दर और विनिमय दर) पर ठीक से काम किया जाता है, तो हम संकट से बच सकते हैं. रुपये को कमजोर करना एक स्वाभाविक ढाल है, पर निर्यात बढ़ने तक अल्प अवधि में व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है.
इसी तरह वित्तीय घाटा कम करने के लिए खर्च पर नियंत्रण और अधिक कर राजस्व संग्रहण जरूरी है. अधिक राजस्व के विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? लिए आर्थिक वृद्धि और रोजगार में बढ़त की आवश्यकता है. दुनिया में मंदी की हवाओं के कारण अगर तेल के दाम गिरते हैं, तो यह भारत के लिए मिला-जुला वरदान होगा क्योंकि वैश्विक मंदी भारतीय निर्यात के लिए ठीक नहीं है, जो व्यापार घाटा कम करने के लिए जरूरी है.
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लगातार तीसरे हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 550 अरब डॉलर के स्तर पर
नई दिल्ली/मंबई। आर्थिक र्मोचे (economic front) पर सरकार को राहत देने वाली खबर है। विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) में लगातार तीसरे हफ्ते इजाफा हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 नवंबर को समाप्त हफ्ते में 2.89 अरब डॉलर (Jumped $ 2.89 billion) उछलकर 550.14 अरब डॉलर ($ 550.14 billion) पर पहुंच गया है, जबकि 18 नवंबर को समाप्त हफ्ते में यह 2.537 अरब डॉलर बढ़कर 547.252 अरब डॉलर रहा था।
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 नवंबर को समाप्त हफ्ते में 2.89 अरब डॉलर बढ़कर 550.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछले हफ्ते विदेशी मु्द्रा भंडार 2.537 अरब डॉलर बढ़कर 547.252 अरब डॉलर रहा था, जबकि इससे पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 14.73 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर के स्तर पर रहा था।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का अहम घटक विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 3 अरब डॉलर की बढ़त के साथ 487.3 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। हालांकि, इस अवधि में स्वर्ण भंडार का मूल्य 7.3 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 39.9 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 1.4 करोड़ डॉलर घटकर 5.03 अरब डॉलर पर आ गई है।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर, 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॉलर था। (एजेंसी, हि.स.)
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