उपभोक्ता अधिकार दिवस: डिजिटल लेनदेन में पारदर्शिता की राह अभी लंबी है

15 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस उपभोक्ताओं के अधिकारों एवं उनकी आवश्यकताओं के विषय में वैश्विक स्तर पर जागरूकता उत्पन्न करने का एक अवसर है। इस वर्ष कंज़्यूमर इंटरनेशनल के 100 देशों में फैले हुए 200 कंज़्यूमर समूहों ने “फेयर डिजिटल फाइनेंस” को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम के रूप में चुना है। कंज़्यूमर इंटरनेशनल यह महसूस करता है कि तेजी से बढ़ती डिजिटल बैंकिंग क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख जहां उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए नए अवसर उत्पन्न कर रही है वहीं इसके तीव्र प्रसार के कारण सर्वाधिक संवेदनशील समूहों के पीछे छूट जाने का खतरा भी बना हुआ है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए साइबर फ्रॉड तब घातक सिद्ध होते हैं जब उनकी जिंदगी भर की जमा पूंजी पल भर में गायब हो जाती है।

फेयर डिजिटल फाइनेंस उपलब्ध कराना सरकारों और सेवा प्रदाताओं के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रहा है। वित्तीय सेवाओं का स्वरूप तेजी से डिजिटल हुआ है। 2007 से 2009 के मध्य आए वित्तीय संकट के बाद नए स्टार्ट अप्स और वित्तीय कंपनियों ने आम जनता एवं विभिन्न व्यवसायों को सीधे वित्तीय उत्पाद एवं सेवाएं देना प्रारंभ कर दिया। यह अब ग्राहक के किसी एक लक्ष्य अथवा आवश्यकता को पूर्ण करने पर ध्यान केंद्रित करने लगे और इनके द्वारा क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख किसी एक उत्पाद या सेवा को बेहतर गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराने की चेष्टा की जाने लगी।

धीरे-धीरे फिनटेक की अवधारणा सामने आई। फिनटेक वह बिंदु है जहां पर वित्तीय सेवाओं और तकनीक का मिलन होता है। मोबाइल आधारित इंटरनेट सेवा और ई-कॉमर्स ने फिनटेक के प्रसार में बहुत बड़ा योगदान दिया है। फिनटेक सेवाओं का स्वरूप बहुत व्यापक है। इनमें बचत, निजी वित्तीय प्रबंधन सुविधा, निवेश और संपदा प्रबंधन, उधार एवं अनसिक्योर्ड क्रेडिट, मोर्टगेज, भुगतान, धन का प्रेषण, ई-कॉमर्स हेतु डिजिटल वॉलेट उपलब्ध कराना, बीमा, क्रिप्टो करेंसी एवं ब्लॉक चेन्स आदि विविध प्रकार की सेवाएं शामिल हैं।

मैकिंसी का आकलन है कि वैश्विक स्तर पर कम से कम 2000 फिनटेक स्टार्टअप्स परंपरागत एवं नई वित्तीय सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं जबकि लगभग 12000 फिनटेक फर्म्स अस्तित्व में हैं। कैपजैमिनी की 2021 की वर्ल्ड फिनटेक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के दौर में फिनटेक ने न केवल अनुकूलन क्षमता दिखाई बल्कि कोविड-19 के दौरान बैंकों के बंद रहने और नकद लेनदेन न करने के सुझावों ने फिनटेक को बढ़ावा दिया। वर्ल्ड रिटेल बैंकिंग रिपोर्ट 2021 के अनुसार 57 प्रतिशत उपभोक्ता अब पारंपरिक बैंकिंग की तुलना में डिजिटल बैंकिंग को वरीयता देते हैं। 55 प्रतिशत उपभोक्ता मोबाइल एप्स का उपयोग वित्तीय लेनदेन हेतु करने के हिमायती हैं। कोरोना के पहले यह प्रतिशत 47 था। एक्सेंचर का 2020 का सर्वेक्षण दर्शाता है कि अब 50 प्रतिशत उपभोक्ता हफ्ते में कम से कम एक बार मोबाइल एप या वेबसाइट के जरिए अपने बैंक से लेनदेन करते हैं जबकि दो वर्ष पहले ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 32 प्रतिशत थी।

Source: Deccan Herald


दरअसल कोविड-19 के कारण डिजिटल लेनदेन लगभग अनिवार्य बन गया। हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में जहां डिजिटल साक्षरता बहुत कम है और डिजिटल संसाधनों का अभाव है वहां भी लोग डिजिटल लेनदेन के लिए बाध्य हो गए। इस कारण डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल लेनदेन में तो बड़ी वृद्धि हुई किंतु साथ ही साइबर फ्रॉड, फिशिंग और डाटा चोरी एवं एक विशेष उद्देश्य से एकत्रित डाटा का अन्य उद्देश्य के लिए प्रयोग किए जाने की घटनाएं बढ़ीं।

आरबीआई के नवीनतम आंकडों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में डिजिटल भुगतान में 30.19 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। नवगठित डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) मार्च 2020 के अंत में 207.84 था जो मार्च 2021 के आखिर में बढ़कर 270.59 हो गया। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आइटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नवम्बर 2021 में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वित्त वर्ष 2019 में डिजिटल लेनदेन की संख्या 3134 करोड़ थी जो वित्त वर्ष 2020 में बढ़कर 4572 करोड़ हो गई। वित्त वर्ष 2021 में इसमें और बढ़ोतरी हुई और यह 5554 करोड़ हो गई। जबकि वित्त वर्ष 22 में नवंबर के मध्य तक 4683 करोड़ डिजिटल लेनदेन हो चुके थे।

एफआइएस इंटरनेशनल यूएसए की ग्लोबल पेमेंट रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब 68 प्रतिशत उपभोक्ता डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। अप्रशिक्षित भारतीय उपभोक्ताओं ने कोविड-19 के कारण डिजिटल बैंकिंग की दुनिया में झिझकते- सहमते प्रवेश तो ले लिया किंतु उनका पहला अनुभव अनेक बार अच्छा नहीं रहा। उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा। आरबीआइ की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार एक लाख रुपए या उससे अधिक की बैंक धोखाधड़ी के मामलों में उछाल आया है। वित्तीय वर्ष 2019 में धोखाधड़ी की रकम 71500 करोड़ रुपए थी जो वित्तीय वर्ष 2020 में बढ़कर 1.85 लाख करोड़ हो गई। धोखाधड़ी के मामलों में भी इस अवधि में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2009 से सितंबर 2019 के बीच ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के 1 लाख 17 हजार मामले सामने आए जिसमें 615.39 करोड़ की रकम की धोखाधड़ी हुई।

सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन

सोलन: प्रदेश के साथ-साथ सोलन कॉलेज में भी सोमवार से गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने सातवें वेतन आयोग लागू करने की मांग को लेकर भुख हड़ताल की है। सुबह 10 से शाम 5 बजे तक ये भूख हड़ताल रहेगी। गवर्नमेंट कॉलेज सोलन में भी सुबह से ही क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख हड़ताल जारी है, इस दौरान गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एससोसिशन सोलन की प्रधान सुनीता बिष्ट ने बताया कि यूजीसी का सातवां पे कमीशन उन्हें नहीं मिल रहा है जिसको लेकर वे क़ई बार मांग भी सरकार के समक्ष रख चुके है लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है मजबूरन अब उन्हें भूख हड़ताल करनी पड़ रही है।

उन्होंने कहा कि 12 मई से उन्होंने फाइनल उतर पुस्तिकाओं का भी बहिष्कार किया है। उन्होंने बताया कि जिस तरह के निर्देश उन्हें सेंटर एक्जीक्यूटिव से मिलेंगे उसके अनुसार कार्य किया जाएगा। वहीं सोलन गवर्नमेंट कॉलेज एससोसिशन की सेकेट्री स्नेह मेहता ने कहा कि सातवें पे कमीशन को लेकर उनके द्वारा ये हड़ताल की जा रही है, उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में आज गवर्नमेंट कॉलेज में टीचरों द्वारा इस हड़ताल में हिस्सा लिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अपनी मांग को लेकर वे लोग 09 मई को सीएम जयराम ठाकुर से भी मिले थे लेकिन,एक सप्ताह तक रुकने के बाद भी कुछ नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि 12 मई से उन्होंने बीए,बीकॉम,बीएससी की फाइनल स्क्रिप्ट बनानी छोड़ दी थी, लेकिन एक सप्ताह बाद 19 मई तक इसकी ओर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके बाद आज ये भुख हड़ताल की गई है। उन्होंने कहा कि कल दोपहर 12:30 से लेकर 1:30 बजे तक गेट मीटिंग कर आगामी रणनीति तैयार की जाएगी।

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आपके क्रेडिट स्कोर पर ये पांच गलतियां पड़ेंगी भारी

​कम ब्याज पर मिले लोन

अब क्रेडिट रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर के बारे में जागरूकता बढ़ रही है. पिछले कुछ सालों में लोग इस बारे में काफी जागरूक हुए हैं. बैंक आपको लोन देते वक्त जोखिम के आंकलन के लिए सिर्फ क्रेडिट स्कोर का ही ध्यान नहीं रखते, बल्कि आपके पूरे क्रेडिट प्रोफाइल को चेक करते हैं. हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं जिनकी मदद से आप भी क्रेडिट स्कोर का ध्यान रख सकते हैं.

प्रॉपर्टी में अधिक निवेश

भारतीयों में संपत्ति खरीदने का क्रेज कुछ अधिक ही है. यह हमेशा सही फैसला ही साबित नहीं होता. अगर आपके पास पहले से ही एक या दो मकान है और आप फिर होम लोन के लिए आवेदन करते हैं तो आपको लोन पर 25-50 बेसिस पॉइंट तक अधिक ब्याज चुकाना पड़ सकता है. इसमें आपके क्रेडिट स्कोर से कोई फर्क नहीं पड़ता. रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक एक-दो से अधिक मकान खरीदने पर यह कमर्शियल प्रॉपर्टी की कैटेगरी में आ जाता है जिस पर आपको अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है.

क्रेडिट कार्ड से असर

आम तौर पर क्रेडिट कार्ड आपको बैंक द्वारा दी गयी एक सुविधा की तरह लिया जाता है. यह छोटी अवधि की आपकी जरूरत पूरी करने में मददगार है. अगर आप क्रेडिट कार्ड का समझदारी से इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाता है. अगर आप बार-बार क्रेडिट कार्ड के बकाया को आगे बढ़ाते हैं तो आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता है.

क्रेडिट लिमिट का ध्यान

हो सकता है कि आपने आज तक कभी अपनी क्रेडिट लिमिट पार नहीं की हो और हर तरह के लोन का भुगतान भी सही वक्त पर कर दिया हो. अगर आप अपनी क्रेडिट लिमिट का हर समय अधिकतम इस्तेमाल करते हैं तो भी आपका क्रेडिट स्कोर घट सकता है. आपको यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आप अपनी क्रेडिट लिमिट का 40 फीसदी रकम ही खर्च करें.

​कर्ज की बढ़ती भूख

क्या आप भी फेस्टिव सीजन के ऑफर देखकर खुद को काबू में नहीं रख पाते. बेहतरीन मोबाइल या घरेलू उपकरण पर मिलने वाले ऑफर वास्तव में इतने ही आकर्षक होते हैं. अगर मासिक किस्त के लिए अलग से कोई चार्ज नहीं लग रहा हो क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख तो बहुत से लोग खरीदारी कर ही लेते हैं. अगर आप भी क्रेडिट कार्ड से दिल खोलकर खरीदारी कर रहे हैं तो इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ सकता है.

वित्तीय अनुशासन है जरूरी

कर्ज लेने वाले व्यक्ति के नजरिये से किसी म्यूचुअल फंड के सिप से आपके बैंक का कोई संबंध नहीं होना चाहिए. अगर आपके बैंक से सिप की किस्त जाने में कोई गलती होती है तो इससे भी आपके क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ता है. बैंक आपके वित्तीय अनुशासन पर सवाल उठाने लगते हैं. यही बात बीमा का प्रीमियम समय पर नहीं चुकाने पर भी लागू होती है.

भय और लालच सूचकांक

डर और लालच सूचकांक एक उपकरण है जिसका उपयोग कुछ निवेशक बाजार को नापने के लिए करते हैं। यह आधार है कि जरूरत से ज्यादा डर शेयरों में परिणाम कर सकते हैं पर आधारित है व्यापार में अच्छी तरह से उनके नीचे आंतरिक मूल्यों जबकि, एक ही समय में, निरंकुश लोभ शेयरों दूर हैं कि वे क्या लायक होना चाहिए ऊपर बोली जा रही हो सकती है। कुछ संदेहियों ने सूचकांक को एक ध्वनि निवेश उपकरण के रूप में खारिज कर दिया क्योंकि यह एक खरीद-और-पकड़ रणनीति के बजाय एक बाजार समय रणनीति को प्रोत्साहित करता है।

सीएनएन भय और लालच सूचकांक बाजार में कितना भय और लालच है, यह स्थापित करने के लिए सात विभिन्न कारकों की जांच करता है । वो हैं:

  1. स्टॉक मूल्य मोमेंटम –मानक और खराब 500 इंडेक्स (एस एंड पी 500) बनाम इसकी 125-दिवसीय चलती औसत (एमए) का एक उपाय ।
  2. स्टॉक प्राइस स्ट्रेंथ –न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) पर 52-सप्ताह के उच्च स्तर वाले शेयरों की संख्या 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई ।
  3. स्टॉक मूल्य चौड़ाई – घटते शेयरों के मुकाबले बढ़ते शेयरों में ट्रेडिंग वॉल्यूम का विश्लेषण ।
  4. पुट एंड कॉल ऑप्शंस – जिस हद तक कॉल ऑप्शंस में पिछड़ जाते हैं, लालच को दर्शाता है, या उनसे आगे निकल जाता है, डर का संकेत देता है।
  5. जंक बॉन्ड डिमांड –निवेश-ग्रेड बॉन्ड और जंक बॉन्डपर पैदावार के बीच प्रसार को मापकरउच्च जोखिम रणनीतियों केलिए भूख बढ़ाना।
  6. बाजार की अस्थिरता – सीएनएन शिकागो बोर्ड विकल्प विनिमय अस्थिरता सूचकांक (VIX) को 50-दिवसीय एमए पर केंद्रित करता है।
  7. सेफ हेवन डिमांड – स्टॉक बनाम ट्रेजरी के रिटर्न में अंतर।

इन सात संकेतकों में से प्रत्येक को 0 से 100 के पैमाने पर मापा जाता है। सूचकांक की गणना प्रत्येक संकेतक के बराबर- भारित औसत को लेकर की जाती है । 50 का पढ़ना तटस्थ माना जाता है, जबकि कुछ भी सामान्य से अधिक लालच का संकेत देता है।

एक क्रिप्टो भय और लालच सूचकांक भी है जिसे वेबसाइट Altern.me द्वारा प्रकाशित किया गया है।वेबसाइट के अनुसार, क्रिप्टो बाजार का व्यवहार पारंपरिक बाजारों की तरह ही भावनात्मक है।जब बाजार में तेजी आती है, तो लोग लापता होने के डर का अनुभव कर सकते हैं।इसके अलावा, लोग अक्सर लाल नंबर देखने के लिए एक तर्कहीन प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में अपने सिक्के बेचते हैं।सीएनएन सूचकांक के समान, यदि सूचकांक “अत्यधिक भय” दिखाता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि निवेशक बहुत चिंतित हैं, लेकिन यह एक खरीद का अवसर हो सकता है।यदि सूचकांक दिखाता है कि निवेशकों को “बहुत लालची” हो रहा है, तो इसका मतलब है कि बाजार में सुधार के कारण है।

भय और लालच सूचकांक के उपयोग के लाभ

कुछ शिक्षाविदों के अनुसार, लालच हमारे दिमाग को इस तरह से प्रभावित कर सकता है जो हमें सामान्य ज्ञान और आत्म-नियंत्रण और परिवर्तन को भड़काने के लिए मजबूर करता है। जबकि लालच की जैव रसायन पर कोई आम तौर पर स्वीकृत शोध नहीं है, जब मनुष्यों और धन की बात आती है, तो डर और लालच शक्तिशाली प्रेरक हो सकते हैं।

भय और लालच सूचकांक ऐतिहासिक रूप से इक्विटी बाजारों में महत्वपूर्ण बदलाव का एक विश्वसनीय संकेतक रहा है।

कई निवेशक भावनात्मक और प्रतिक्रियावादी हैं। व्यवहारवादी अर्थशास्त्रियों ने निवेशक के फैसले पर भय और लालच के प्रभाव के दशकों के सबूत दिखाए और सीएनएन के सूचकांक की निगरानी के लिए एक मजबूत मामला पेश किया।

इतिहास से पता चलता है कि भय और लालच सूचकांक अक्सर इक्विटी बाजारों में एक मोड़ का विश्वसनीय संकेतक रहा है ।अटारी कैपिटल के अनुसार, सूचकांक 17 सितंबर, 2008 को 12 के निचले स्तर पर पहुंच गया, जब फेडरल रिजर्व के मात्रात्मक सहजता के तीसरे दौर के बाद रुकी ।

बहुत से पंडित इस बात से सहमत हैं कि भय और लालच सूचकांक एक उपयोगी संकेतक है बशर्ते कि यह निवेश निर्णय लेने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एकमात्र उपकरण न हो। निवेशकों को डर पर नजर रखने की सलाह दी जाती है ताकि वे शेयरों को खरीदने का लाभ उठा सकें जब स्टॉक डुबकी लगाते हैं और संभावित संकेतक के रूप में लालच की अवधि देखते हैं क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख कि स्टॉक ओवरवैल्यूड हो सकता है ।

भय और लालच सूचकांक की आलोचना

संदेहियों ने भय और लालच सूचकांक को एक वैध निवेश अनुसंधान उपकरण के रूप में उतारा और इसे बाजार समय के लिए बैरोमीटर के रूप में अधिक देखा । संशयवादियों का तर्क है कि एक खरीद-और-पकड़ रणनीति इक्विटी और चिंता में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका है कि डर और लालच सूचकांक जैसे उपकरण निवेशकों को शेयरों के अंदर और बाहर व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इतिहास, वे जोड़ते हैं, यह दर्शाता है कि ऐसा दृष्टिकोण कम अनुकूल रिटर्न उत्पन्न करता है ।

डर और लालच सूचकांक के समर्थकों के बावजूद, अधिकांश विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि लंबी अवधि में पोर्टफोलियो में रिटर्न देखने के लिए एक खरीद-एंड-होल्ड रणनीति सबसे अच्छा तरीका है।

भय और लालच सूचकांक अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भय और लालच सूचकांक क्या है?

डर और लालच सूचकांक शेयर बाजार की चाल को नापने का एक तरीका है और क्या स्टॉक की काफी कीमत है। यह सिद्धांत इस तर्क पर आधारित है कि अत्यधिक भय से शेयर की कीमतें नीचे चली जाती हैं, और बहुत अधिक लालच विपरीत प्रभाव डालता है।

सीएनएन डर और लालच सूचकांक क्या है?

CNNMoney ने एक भय और लालच सूचकांक विकसित किया;हालाँकि, एक क्रिप्टो डर और लालच सूचकांक भी है जिसे वेबसाइट वैकल्पिक द्वारा विकसित किया गया था।

डर और लालच कैसे होता है?

सीएनएन भय और लालच सूचकांक के लिए, सात अलग-अलग कारकों को यह स्थापित करने के लिए वर्गीकृत किया जाता है कि बाजार में कितना भय और लालच है। सात कारक निम्नलिखित हैं: स्टॉक मूल्य की गति; स्टॉक मूल्य ताकत; स्टॉक मूल्य चौड़ाई; डाल और कॉल विकल्प; जंक बांड की मांग; बाजार की अस्थिरता; और सुरक्षित-हेवन मांग।

निवेशकों के निर्णयों पर भय और लालच कैसे असर डालते हैं?

कई निवेशक भावनात्मक और प्रतिक्रियावादी होते हैं, और भय क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख और लालच निवेशकों को प्रभावित करने वाली दो प्रमुख भावनाएं हैं। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, लालच और भय हमें सामान्य ज्ञान और आत्म-नियंत्रण को अलग करने और परिवर्तन को भड़काने का कारण बन सकते हैं। जब मनुष्यों और धन की बात आती है, तो डर और लालच शक्तिशाली प्रेरक हो सकते हैं।

आप व्यापार में भय और लालच पर कैसे काबू पाते हैं?

ट्रेडिंग में भय और लालच को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका एक ट्रेडिंग योजना विकसित करना और फिर इसके साथ रहना है। एक व्यापारिक योजना आवेगों पर अभिनय को रोक सकती है। किसी योजना से विचलित होने वाली क्रियाओं में ओवरलेवरेजिंग, पद खोने पर रोक हटाना, या खोने वाले पदों पर दोहरीकरण शामिल है। ट्रेडों के किसी भी भावनात्मक प्रभाव को कम करने का एक और तरीका व्यापार का आकार कम करना है। डर और लालच को कम करने का एक और तरीका है कि ट्रेड जर्नल रखें। ये कार्य एक निवेशक को अपने ट्रेडों के लिए जवाबदेह रखने में मदद करते हैं।

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