Bitcoin को पीछे छोड़ने वाली इस करंसी के बारे में जानते हैं आप?
इस क्रिप्टोकरंसी ने क्रिप्टोकरंसी के नुकसान बिटक्वाइन को भी पीछे छोड़ दिया. जो लोग क्रिप्टोकरंसी में निवेश करना चाहते हैं उन्हें ये जानकारी ले लेनी चाहिए.
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बिटक्वाइन अपनी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसमें समय रहते जिन्होंने निवेश किया है उनके हाथ तो सीधा कुबेर का खजाना लग गया है. ये क्रिप्टोकरंसी इस हद तक आगे बढ़ेगी इसके बारे में शायद किसी ने सोचा नहीं था और अब हैकर्स से लेकर क्रिप्टोकरंसी के नुकसान कई देशों की सरकार तक बिटक्वाइन पर सबकी नजरें गड़ी हुई हैं. कुछ लोगों ने ये भी कहा है कि आने वाले तीन सालों में बिटक्वाइन 1 मिलियन डॉलर तक हो जाएगा.
पर ये जब तक होगा तब होगा फिलहाल तो एक करंसी ऐसी है जो बिटक्वाइन से भी ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रही है. पिछले 1 साल में 1000% तक की बढ़त करने वाली बिटक्वाइन करंसी को भी एक और क्रिप्टोग्राफिक करंसी ने पीछे छोड़ दिया है.
जी हां, जितनी तरक्की बिटक्वाइन ने पिछले एक साल में की एक दूसरी क्रिप्टो करंसी उतना 1 महीने में कर गई. ये न ही बिटक्वाइन है और न ही दूसरी करंसी इथेरियम है.
कौन सी है वो करंसी.
इस क्रिप्टो करंसी का नाम है IOTA. ये करंसी पिछले 1 महीने में 1000% तक तरक्की कर चुकी है. ये मौजूदा मार्केट में चौथी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरंसी है. इसके पहले बिटक्वाइन, इथेरियम और बिटक्वाइन कैश है. IOTA एक तरह की ब्लॉकचेन तकनीक है. ये इंटरनेट ऑफ थिंग्स का एक तरह का लेखाजोखा है. जिन्हें इंटरनेट ऑफ थिंग्स के बारे में नहीं पता उन्हें बता दूं कि चौथे इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन के समय ये टर्म सामने आई थी. इसका सीधा अर्थ है उन चीजों को भी कनेक्ट करना जो नेटवर्क डिवाइस नहीं हैं.
इस ग्लोबल नेटवर्क को संभालने के लिए ब्लॉकचेन बनाई गईं जिसमें गलती की सबसे कम जगह हो क्योंकि सारा काम कम्प्यूटर से होता है. ट्रेडिश्नल ब्लॉकचेन बिटक्वाइन को समझा जा सकता है, लेकिन उसके लिए माइनिंग की जरूरत होती है. और इसके लिए काफी पावर भी चाहिए इसलिए बिटक्वाइन ट्रेडिंग में थोड़ी फीस दी जाती है.
IOTA को एक जर्मन नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन ने बनाया जो ट्रांजैक्शन कॉस्ट, ऑफलाइन ट्रांजैक्शन आदि को सबसे आसान बना दिया जाता है. इससे इंटरनेट ऑफ थिंग्स का प्रोसेस काफी आसान हो जाता है.
क्या है कीमत.
IOTA की कीमत 980 प्रतिशत बढ़कर 4.14 डॉलर (267 रुपए) एक IOTA हो गई. यही करंसी नवंबर 2017 में सिर्फ 0.38 डॉलर (24.50 रुपए) थी. coingecko.com के मुताबिक ये एक तरह का डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर है. इसमें माइक्रोट्रांजैक्शन किए जा सकते हैं और इसकी फीस भी नहीं लगती. साथ ही डेटा सिक्योर भी होता है.
क्यों बढ़ी कीमत.
IOTA की पार्टनरशिप माइक्रोसॉफ्ट से होने के बाद इसकी कीमत बढ़ी और इसे एक काफी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. मार्केट कैपिटलाइजेशन की बात की जाए तो बिटक्वाइन 18.46 लाख करोड़ के मार्केट कैप के साथ सबसे अच्छा है. इसके बाद इथेरियम है जिसमें 2.80 लाख करोड़ मार्केट कैप है.
बिटक्वाइन कैश का मार्केट कैप 1.66 लाख करोड़ का है और IOTA का 0.71 लाख करोड़ है. अगर क्रिप्टोकरंसी की बात करें तो एक बिटक्वाइन लगभग 11 लाख का है. इथेरियम 29,100 का और बिटक्वाइन कैश 98,000 का है. रिपल करंसी भी तेजी से बढ़ रही है. फिनटेक कंपनी ने जैसे ही एस्क्रो पर 55 बिलियन टोकन लगाए वैसे ही रिपल की कीमत 13 प्रतिशत बढ़ गई.
क्या होती है क्रिप्टोकरंसी.
इतनी सारी बातों के बाद ये सवाल बेमानी सा लग रहा है, लेकिन फिर भी आने वाले समय में क्रिप्टोकरंसी का मार्केट काफी तेजी से बढ़ने वाला है. क्रिप्टोकरंसी एक तरह की डिजिटल करंसी होती है जिसे किसी भी बैंक द्वारा नहीं बनाया जाता, इसे निकालने का काम कम्प्यूटर ही करते हैं और इसे निकालने में काफी मेहनत लगती है. इसे क्लाउड या वॉलेट में सेव किया जाता है.
इतने तरह की क्रिप्टोकरंसी है उपलब्ध
IOTA की ट्रेडिंग..
इस करंसी की डायरेक्ट ट्रेडिंग भारत में उपलब्ध नहीं है. जो बड़ी फर्म्स इसकी ट्रेडिंग कर रही हैं उनमें बाईनैंस, बिटफिनेक्स, OKEx, एक्सरेट्स और क्वॉइनवन शामिल हैं.
आरबीआई ने इस बात पर चिंता भी जताई है कि क्रिप्टोकरंसी की ट्रेडिंग बिना किसी रेग्युलेटरी के होती है और इनकी कीमत एकदम से गिर भी सकती है. साथ ही वर्चुअल करंसी के अपने अलग नुकसान हैं और इसमें रिस्क पूरी तरह से धारक का ही होगा.
क्रिप्टोकरंसी घोटालाः श्रीलंका में चीनी दंपति ने 8000 लोगों को अरबों का लगाया चूना
कोलंबो: श्रीलंका में एक चीनी दंपति द्वारा क्रिप्टोकरंसी घोटाले में लोगों को अरब रुपए का चूना लगाने का मामला सामने आया है। इस घोटाले के मास्टरमाइंड चीनी दंपति ने एक श्रीलंकाई के साथ मिलकर 2020 से 8000 लोगों को 14 अरब रुपए का चूना लगाया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार श्रीलंका के आपराधिक जांच विभाग (CID) ने इस वित्तीय धोखाधड़ी की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस प्रवक्ता एसएसपी निहाल थलडुवा ने कहा कि कथित धोखाधड़ी के संदिग्धों ने चुनिंदा व्यक्तियों को पांच सितारा होटलों में आमंत्रित किया था। श्रीलंकाई मीडिया डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार चीनी दंपति और श्रीलंकाई ने क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने के लिए पहले लोगों का विश्वास जीता और उन्हें मोटे लाभ का लालच देकर धोखा दिया। हालाँकि जब निवेशकों ने निवेश क्रिप्टोकरंसी के नुकसान के माध्यम से अर्जित लाभ को वापस लेने की कोशिश की, तो संदिग्धों ने उन्हें धन निकालने की अनुमति नहीं दी। SSP थलडुवा के अनुसार, CID की वित्तीय धोखाधड़ी इकाई में कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
गहन जांच के बाद उन्होंने बंदरानाइक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चीनी दंपति और श्रीलंकाई नागरिक को देश से भागने की कोशिश दौरान गिरफ्तार कर लिया। डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल चीनी क्रिप्टोकरंसी के नुकसान दंपति रिमांड पर है। धोखाधड़ी में शामिल श्रीलंकाई को 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और बाद में अदालत में पेश करने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया । प्रवक्ता ने कहा कि धोखाधड़ी के आरोप में कई अन्य संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया गया और उन्हें रिमांड पर लिया गया है।
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जानिये क्रिप्टोकरंसी के इतिहास की सबसे बड़ी चोरी की वारदात को कैसे दिया गया अंजाम
हैकर्स ने ऑनलाइन गेम Axie Infinity से जुड़े एक ब्लॉकचेन नेटवर्क को चुरा लिया, जो अब तक का सबसे बड़ा क्रिप्टो हमला है
आज के समय युवाओं की दिलचस्पी डिजिटल करेंसी में देखी जा रही है। आज के समय युवा क्रिप्टो जैसे डिजिटल करेंसी में निवेश करने को तैयार दिखाई देते है। ये डिजिटल करेंसी कम समय में बहुत फायदा दे सकती है पर इसके साथ नुकसान होने की सम्भावना भी बहुत अधिक है। ऐसे में हम आपको डिजिटल करेंसी के इतिहास में सबसे बड़ी क्रिप्टो चोरी की घटना के बारे में बताने जा रहे है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हैकर्स ने 600 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी यानी करीब 4,600 करोड़ रुपये की की चोरी की हैं।
जानकारी के अनुसार हैकर्स ने ऑनलाइन गेम Axie Infinity से जुड़े एक ब्लॉकचेन नेटवर्क को चुरा लिया, जो अब तक का सबसे बड़ा क्रिप्टो हमला है। नोड्स के रूप में लोकप्रिय एक्सी इन्फिनिटी और एक्सी डीएओ द्वारा संचालित कंप्यूटर और लोगों को टोकन का आदान-प्रदान करने की अनुमति देने वाला एक सॉफ्टवेयर पुल पर साइबर हमला किया गया था। इस ब्रिज को रोनिन ब्रिज के नाम से जाना जाता है। हैकर्स ने कुल छह लेन-देन में रोनिन ब्रिज से 173,600 ईथर और 25.5 मिलियन यूएसडीएस टोकन चुरा लिए। ये हमला या यूं कहें कि चोरी 23 मार्च को हुई थी। इस प्रकार के ब्रिज को क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है लेकिन इस क्रिप्टो चोरी ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हमले ने साबित कर दिया कि पुल सुरक्षित नहीं था। कई कंप्यूटर कोड का ऑडिट नहीं किया जाता है, जिससे हैकर्स कमजोरियों का फायदा उठा सकते हैं। इस पुल पर लेनदेन आदेश के तथाकथित सत्यापनकर्ता की पहचान मुश्किल और एक रहस्य है। क्रिप्टो की दुनिया में हजारों ब्रिज हैं, जहां लाखों डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी का आदान-प्रदान होता है।
सबसे बड़ी क्रिप्टोक्यूरेंसी चोरी की घटना के बाद से रोनिन ब्लॉकचैन पर इस्तेमाल किए गए टोकन रॉन (आईआरएच) का मूल्य लगभग 3% गिर गया है। CoinMine Cap के अनुसार, AXS, XC Infinity में प्रयुक्त टोकन में लगभग 8.5% की गिरावट आई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि चोरी हुए 600 करोड़ रुपये यानी करीब 4,600 करोड़ रुपये का क्रिप्टोकरंसी के नुकसान क्रिप्टोकरंसी कैम कब रिकवर होगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्रिप्टोकरंसी 'टाटा कॉइन' के खिलाफ टाटा की अपील को अनुमति दी
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की उस अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें हकुनामाता टाटा के संस्थापकों और अन्य लोगों क्रिप्टोकरंसी के नुकसान के खिलाफ क्रिप्टोक्यूरेंसी 'टाटा कॉइन' में ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिए पूर्व ट्रेडमार्क का उपयोग करने के खिलाफ विज्ञापन-अंतरिम निषेधाज्ञा दी गई थी।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने आदेश में कहा कि "अपीलकर्ता (टाटा) अपने सामान और सेवाओं की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। कोई भी संदिग्ध और घटिया उत्पाद अपीलकर्ता के ट्रेडमार्क का उपयोग करके प्रतिवादी की वेबसाइट के माध्यम से बेचा क्रिप्टोकरंसी के नुकसान क्रिप्टोकरंसी के नुकसान जाता है। , इसकी विश्वसनीयता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है"।
टाटा संस की दलीलों के अनुसार, यूके और यूएस में पंजीकृत प्रतिवादी (हकुनामाता) अपनी वेबसाइट (ओं) 'www.tatabonus.com' और 'www.hakunamatata' के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिए इसके ट्रेडमार्क का उपयोग कर रहे हैं। वित्त'।
इसमें कहा गया है कि वेबसाइटें भारत में उपलब्ध हैं और वास्तव में दिल्ली के आगंतुकों द्वारा दैनिक आधार पर एक्सेस की जाती हैं।
"भारत में, ट्रेडमार्क टाटा जनता के अवचेतन में अंतर्निहित है। सार्वजनिक चेतना में, टाटा शब्द केवल टाटा समूह की कंपनियों से संबंधित है। जैसा कि अनुरोध किया गया है, अपीलकर्ता विचाराधीन ट्रेडमार्क का स्वामी है, और उक्त चिह्न हैं टाटा की लगभग सभी समूह कंपनियों द्वारा बोर्ड भर में उपयोग किया जाता है। टाटा समूह की व्यावसायिक प्रतिष्ठा और ट्रेडमार्क की लोकप्रियता प्रतिस्पर्धा से परे है। उक्त निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए वादी में पर्याप्त दलील है। " कोर्ट ने आदेश में कहा।
यह भी नोट किया गया कि भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों के बीच टाटा ब्रांड की लोकप्रियता को देखते हुए, आपत्तिजनक वेबसाइट के पीछे के लोगों को पाकिस्तानी मूल के यूके के नागरिक बताए गए हैं।
"यह अनुमान लगाना अनुचित नहीं है कि प्रतिवादी नंबर 1 का उद्देश्य 'टाटा' के नाम पर व्यापार करके भारतीय मूल की जनता को लक्षित करना हो सकता है। हमारा मानना है कि अपीलकर्ता के पास निषेधाज्ञा प्राप्त करने का एक अच्छा प्रथम दृष्टया मामला है, जहां तक वेबसाइट www.tatabonus.com के रूप में, $TATA के नाम से क्रिप्टो उत्पाद, या प्रतिवादी नंबर 1 का कोई अन्य उत्पाद वेबसाइट www.hakunamatata.finance पर टाटा नाम के तहत बेचा जा रहा है, यदि किसी और चीज के क्रिप्टोकरंसी के नुकसान लिए नहीं, लेकिन केवल भारत में जनता के मन में होने वाले किसी भी भ्रम से बचने के लिए, जिसे यह विश्वास करने क्रिप्टोकरंसी के नुकसान के लिए धोखा दिया जा सकता है कि उत्तरदाताओं की वेबसाइट और उसमें बेचे जाने वाले उत्पाद टाटा समूह की अपनी वेबसाइट हैं या टाटा समूह के साथ संबद्ध हैं।
"विज्ञापन-अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं देने से अपीलकर्ता के ट्रेडमार्क द्वारा प्राप्त सद्भावना को अपूरणीय क्षति हो सकती है। अपीलकर्ता अपने सामान और सेवाओं की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। अपीलकर्ता के ट्रेडमार्क का उपयोग करके प्रतिवादी की वेबसाइट के माध्यम से बेचे जाने वाले कोई भी संदिग्ध और घटिया उत्पाद, इसकी विश्वसनीयता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है," आदेश ने अपील की अनुमति देते हुए कहा।
Cyber Attack on AIIMS: हैकर्स ने एम्स-दिल्ली से मांगे थे 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी! छठे दिन भी डाउन रहा सर्वर, मरीज को हो रही परेशानी
Cyber Attack on AIIMS: एम्स के सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक के छठे दिन भी अस्पताल की डिजिटल सेवाएं क्रिप्टोकरंसी के नुकसान ठप हैं. इस वजह से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है.
Cyber Attack on AIIMS: हैकर्स ने एम्स-दिल्ली से मांगे थे 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी!
छठे दिन भी डाउन रहा सर्वर, मरीज को हो रही परेशानी
Cyber Attack on AIIMS: हैकर्स ने एम्स-दिल्ली से 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी में मांगे थे. छठे दिन भी मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. PTI के मुताबिक, हैकर्स ने एम्स-दिल्ली से 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी में मांगे थे. छठे दिन भी मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. एम्स में इमरजेंसी, आउटपेशेंट, इनपेशेंट, लैब इकाई को रजिस्टरों पर और मैनुअली देखा जा रहा है. लेकिन इस बात से एम्स प्रशासन मे साफ तौर पर मना किया है कि 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी मांगने की कोई बात नहीं हुई है.
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सभी काम हो रहे मैन्युअली
हैकर्स के चोरी किए गए डेटाबेस में अस्पताल के मरीजों, डॉक्टरों, कर्मचारियों के पर्सनल डेटा शामिल हैं. इसके साथ ही अस्पताल का प्रशासनिक डेटा जैसे ब्लड डोनर रिकॉर्ड, एम्बुलेंस रिकॉर्ड, टीकाकरण रिकॉर्ड, देखभाल करने वाले रिकॉर्ड, लॉगिन क्रेडेंशियल आदि शामिल हैं. ओपीडी और आईपीडी में सभी काम मैन्युअली हो रहे हैं. सर्वर डाउन होने की वजह से मरीजों का कम्प्यूटर से पर्चा बनना बंद हो गया था. मरीजों और एडमिन ऑफिस को इसके चलते काफी परेशानी उठानी पड़ी थी.
ऑनलाइन सेंट्रल सिस्टम से जुड़े कंप्यूटर्स की जांच
जांच एजेंसियां AIIMS में ऑनलाइन सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से जुड़े सभी कंप्यूटर्स को खंगाल रही हैं. साइबर एक्सपर्ट और सॉफ्टवेयर इंजीनियर डेटा हैक के सोर्स और रिसीवर की तलाश में जुटी है. साथ ही साइबर अटैक से होने वाले नुकसान को जल्द से जल्द रिकवर करने की बात चल रही है.
शुक्रवार को हुआ था साइबर अटैक
एम्स में शुक्रवार की सुबह करीब सात बजे इमरजेंसी लैब में कॉल आया था कि मरीजों की रिपोर्ट खुल नहीं पा रही है. इस कॉल के तुरंत बाद एम्स के बिलिंग सेंटर की फाइल का खुलना भी बंद हो गया. इसके बाद जब ओपीडी फाइलों को जांचा गया तो वह भी नहीं खुल रही थी. इसके बाद से ही अस्पताल में हड़कंप मच गया.
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