DexCom Inc (DXCM)

DexCom शेयर (DXCM शेयर) (ISIN: US2521311074) के बारे में। आप इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक में जा कर ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, तकनीकी विश्लेषण तथा अन्य के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

DexCom Inc विश्लेषण

दो महीने के दर्दनाक नुकसान के बाद, शेयरों ने एक अच्छा, ठोस अक्टूबर रिबाउंड रखा। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का महीना सनसनीखेज रहा, जो 13.94% उछला, जो जनवरी 1976 के बाद से इसका सबसे.

एक भारी अर्निंगस वाला सप्ताह हमेशा बाजारों के लिए एक व्यस्त समय होता है, लेकिन क्या वास्तव में "व्यस्त" शब्द पिछले सप्ताह का वर्णन करने के लिए है? सबसे पहले, ट्विटर के बारे में बात.

क्या यह एक रैली थी? या, सिर्फ अस्थिरता? यह इस तरह का सप्ताह रहा है। लेकिन बाजार पर नजर रखने वालों के लिए उतार-चढ़ाव के बीच अपने सेंस ऑफ ह्यूमर को बनाए रखने के लिए कुछ दिलचस्प.

DexCom Inc कंपनी प्रोफाइल

DexCom Inc कंपनी प्रोफाइल

  • प्रकार : इक्विटी
  • बाज़ार : यूनाइटेड स्टेट्स
  • आईसआईन : US2521311074
  • सीयुसआईपी : 252131107

DexCom, Inc., a medical device company, focuses on the design, development, and commercialization of continuous glucose monitoring (CGM) systems in the United States and internationally. The company provides its systems for use by people with diabetes, as well as for use by healthcare providers. Its products include DexCom G6, an integrated CGM system for diabetes management; Dexcom Real-Time API, which enables invited third-party developers to integrate real-time CGM data into their digital health applications and devices; Dexcom ONE, that is designed to replace finger stick blood glucose testing for diabetes treatment decisions; and Dexcom Share, a remote monitoring system. The company’s products candidature comprises Dexcom G7, a next generation G7 CGM system. DexCom, Inc. has a collaboration and license agreement with Verily Life Sciences LLC and Verily Ireland Limited to develop blood-based or interstitial glucose monitoring products. The company markets its products directly to endocrinologists, physicians, and diabetes educators. DexCom, Inc. was incorporated in 1999 and is headquartered in San Diego, California.

आय विवरण

विश्लेषक मूल्य लक्ष्य

औसत129.76 ( +16.44 % ऊपर )
उच्च150.00
निम्न103.00
क़ीमत111.44
विश्लेषकों की संख्या17

तकनीकी सारांश

ट्रेंडिंग शेयर

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DXCM टिप्पणियाँ

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साइंस ऑफ लव: क्यों और कैसे होता है प्यार

प्यार को सदैव दिल से जोड़कर देखा जाता रहा है, दिमाग से नहीं लेकिन सच्चाई यह है कि किसी से अचानक प्यार हो जाना या उसे दिलोजान से चाहने लगना, यह सब कुछ अपने आप नहीं होता और न ही इसमें हमारे दिल की ही कोई बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती बाजार भावना परिभाषा है बल्कि हमारे मस्तिष्क में होने वाली कुछ रासायनिक क्रियाएं तथा जीन संबंधी संरचनाएं एवं विशेषताएं ही प्यार हो जाने का प्रमुख आधार होती हैं और इन्हीं की बदौलत प्यार और उसकी गहराई तय होती है।


मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि वास्तव में प्यार का एक मनोविज्ञान आधार होता है, जिसे समझ पाना हर किसी के लिए संभव नहीं। दरअसल एक-दूसरे की ओर आकर्षित होना एक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें दूसरे की गंध, आवाज, शरीर तथा उसके हाव-भाव अच्छे लगने लगते हैं और मन में यह भाव उत्पन्न हो जाता है कि वही व्यक्ति उसके लिए सबसे बेहतर है। हर किसी के लिए हमारी ऐसी भावना नहीं होती और इसका कारण यही है कि रसायन ही हमें किसी व्यक्ति को आत्मसात करने के लिए तैयार करते हैं और हम उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि दो लोगों के बीच रासायनिक मेल होने से ही आनंद की अनुभूति, हृदयगति का बढऩा तथा डोपामाइन, नोरपाइनफेरिन, फिनाइल इथाइलामिन इत्यादि मस्तिष्क के प्रेम रसायनों का स्राव तेज होना जैसी जैविक क्रियाएं होती हैं।


रटगर्स विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि पुरुषों और महिलाओं को नए प्यार की बौछार अलग-अलग रूप में प्रभावित करती है। जहां पुरुषों में प्यार अथवा रोमांस बाजार भावना परिभाषा की अनुभूति सैक्स संबंधी भावनाओं को जागृत करती है, वहीं महिलाओं पर इसका भावनात्मक असर ही होता है और यह भावनात्मक असर कितना हल्का या गहरा होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनका पार्टनर उन पर कितना ध्यान देता है।


वहीं यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के वैल्कम न्यूरोइमेजिंग विभाग के डा. एंड्रियाज बारटेल्स तथा प्रो. समीर का कहना है कि प्यार ‘खींचो और धकेलो’ की पद्धति पर काम करता है। जब किसी से प्रेम होता है तो व्यक्ति उसकी तरफ खिंचा चला जाता है और उसके बाजार भावना परिभाषा बारे में नकारात्मक बातों व उसकी बुराइयों को नजरअंदाज करता जाता है। यह उसकी बुराइयों के प्रति आंख मूंदने या अंधा होने जैसा ही है और यही कारण है कि प्यार के बारे में अक्सर कहा जाता है कि प्यार अंधा होता है।


कुछ मनोवैज्ञानिकों ने अपनी लंबी खोज के बाद यह दावा भी किया है कि प्यार की अलग-अलग तरह की कुल 6 किस्में होती हैं। इनमें से पहले तरह के प्यार को वैज्ञानिकों ने ‘रोस’ नाम दिया, जिसमें केवल शारीरिक भूख मिटाई जाती है। ऐसे प्यार में शादी-विवाह जैसे बंधनों का कोई अस्तित्व नहीं होता। प्यार की दूसरी किस्म को ‘ल्यूड्स’ नाम दिया गया, जिसमें प्रेमी-प्रेमिका के बीच हुई दोस्ती प्यार में बदलने लगती है लेकिन इसमें गंभीरता का अभाव पाया जाता है। तीसरे तरह के प्यार ‘अगापे’ में प्रेमी-प्रेमिका के बीच एक अटूट प्रेम होता है और उनमें एक-दूसरे पर मर मिटने तथा एक-दूसरे के लिए बलिदान देने के लिए तत्पर रहने की भावना जन्म ले चुकी होती है। प्यार की ‘मेनियक’ नामक अगली किस्म में प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे को इस कदर चाहने लगते हैं कि वे अपने प्यार को हासिल न कर पाने की स्थिति में जान लेने अथवा जान देने के लिए भी तत्पर हो जाते हैं। यह एक तरह से प्यार का उन्मादी रूप बाजार भावना परिभाषा होता है। प्यार की एक अन्य किस्म ‘प्रेग्मा’ में प्रेमी-प्रेमिका भावनाओं के समन्दर में न बहकर पहले एक-दूसरे के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हासिल करते हैं और उसके बाद ही प्यार करने जैसा कदम उठाते हैं। इस प्रकार जांच-परख कर और एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानने-समझने के बाद किया गया प्यार ही पूरी तरह से सफल ‘प्यार’ की श्रेणी में आता है।


मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क में स्थित एक विशेष अंग ‘हाईपोथेलेमस’ में जब ‘डोपेमाइन’ तथा ‘नोरपाइनफेरिन’ नामक दो न्यूरोट्रांसमीटरों की अधिक मात्रा हो जाती है तो यह शरीर में उत्तेजना व उमंग पैदा करने लगती है। ये न्यूरोट्रांसमीटर मस्तिष्क में उस समय सक्रिय होते हैं, जब दो विपरीत लिंगी मिलते हैं। कभी-कभी समलिंगियों के मामले में भी ऐसा ही देखा जाता है। जब भी इन्हें एक-दूसरे की कोई बात आकर्षित करती है तो उनके मस्तिष्क का यह हिस्सा अचानक सक्रिय हो उठता है। जब मस्तिष्क बाजार भावना परिभाषा के इस हिस्से की सक्रियता के कारण ‘डोपेमाइन’ नामक इस रसायन का स्तर बढ़ता है तो यह मस्तिष्क में आनंद, गर्व, ऊर्जा तथा प्रेरणा के भाव उत्पन्न करता है। डोपेमाइन के कारण ही एक अन्य रसायन ‘ऑक्सीटोक्सिन’ का स्राव भी बढ़ता है, जो दूसरे साथी को बाहों में भरने और दुलारने की प्रेरणा देता है जबकि ‘नोरपाइनफेरिन’ के कारण ‘एड्रिनेलिन’ रसायन का स्राव बढ़ता है, जो दिल की धड़कनें तेज करने के लिए उत्तरदायी होता है। ‘वेसोप्रेसिन’ रसायन आपसी लगाव बढ़ाने तथा अटूट बंधन के लिए होता है।


न्यूयार्क की एक जानी-मानी समाजशास्त्री तथा मानव संबंधों की विशेषज्ञा डा. हेलन फिशर इस सिलसिले में बहुत लंबा शोध कार्य कर चुकी हैं। उनका भी यही मानना है कि मस्तिष्क में पाए जाने वाले रसायनों ‘डोपेमाइन’ तथा ‘नोरपाइनफेरिन’ से ही प्यार की भावना का सीधा संबंध है। इन्हीं कारणों से प्रेमियों में असाधारण ऊर्जा का विस्फोट होता है और प्यार करने वालों की नींद और भूख गायब होने की भी यही प्रमुख वजह है। जहां डोपेमाइन रसायन हमें उत्तेजित करता है, वहीं ये दोनों रसायन हमें शांत करके लगाव विकसित करते हैं। इसी प्रकार ‘सेरोटोनिन’ नामक एक अन्य रसायन अथवा न्यूरोट्रांसमीटर अस्थायी प्यार के लिए जिम्मेदार होता है जबकि ‘इंडोर्फिन’ नामक रसायन सच्चे, स्थायी और समर्पित प्यार का आधार होता है।

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बाजार भावना परिभाषा


मुंबई। विधानसभा का दूसरा दिन आज से शुरू हो रहा है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने विधानसभा में जोरदार बल्लेबाजी की है. यह सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी, ऐसा आश्वासन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिया है।
यह सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी
हमारी सरकार के पास कितनी भी ताकत और ताकत क्यों न हो, वह स्थिर है। भले ही हमारे पास 170 की ताकत है, लेकिन यह बढ़ता रहेगा। बढ़ती भी है तो एक बात का ध्यान रखना है कि यह सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी, बुद्धि से काम नहीं करेगी। हम आपके निर्णय को पूरी तरह से नहीं बदलेंगे। इसमें कुछ गड़बड़ है। साथ ही कुछ अनावश्यक बातें भी हो सकती हैं। इसलिए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और मैं ऐसा कहकर कुछ चीजें सुलझा लेंगे। हम किसी भी तरह से यह नहीं बताना चाहते हैं कि हम माँ को निष्क्रिय रहने की सलाह देते हैं। हम कार्यकर्ता हैं। हम कार्यकर्ता बाजार भावना परिभाषा बने रहेंगे, शिंदे ने कहा।
हम सभी परियोजनाओं को सुलझा लेंगे
सरकार सभी राज्यों के लोगों के साथ न्याय करेगी, सरकार चहुंमुखी विकास करेगी और जो भी मेट्रो परियोजनाएं होंगी। समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा। पुणे रिंग रोड, मुंबई-गोवा हाईवे सभी परियोजनाएं हैं। हम उन सभी परियोजनाओं को सुलझाएंगे और राज्य को आगे बढ़ाएंगे। केंद्र के सहयोग से हम राज्य को समृद्ध बनाएंगे। मुझे लगता है कि हम सभी को इसे एक साथ स्वीकार करना चाहिए। आखिर लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है। बहुमत हमने कल और आज देखा। कल भी इसमें शामिल हो गया। तो आपको यह स्वीकार करना होगा कि यह बहुमत की सरकार है। इसलिए हम कभी कुछ गलत नहीं करेंगे। शिंदे ने कहा, मैं आपको बस इतना ही आश्वासन दे सकता हूं।
हिरकानी गांव को बचाने के लिए सरकार के माध्यम से 21 करोड़ का फंड
रायगढ़ का किला हमारी पहचान है। हीरा जिसने इतिहास रच दिया। एकनाथ शिंदे ने हिरकानी गांव को बचाने के लिए सरकार के माध्यम से 21 करोड़ रुपये के कोष की घोषणा की है। वैश्विक बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने केंद्रीय कर में कमी की थी। राज्य ने वैट भी कम किया था। लेकिन महाराष्ट्र ने कोई टैक्स नहीं घटाया। इसलिए गठबंधन सरकार जल्द से जल्द टैक्स कम करने का फैसला कर रही है और सभी आम लोगों को एक बड़ी डील मिलेगी, शिंदे ने कहा।

अंकों के पैमाने में ज्ञान कहां

वर्तमान बाजार भावना परिभाषा समय में हमारी शिक्षा व्यवस्था ही अंकों पर प्रतिभा का मानक तैयार करने वाली प्रणाली बन गई है।

अंकों के पैमाने में ज्ञान कहां

भावना मासीवाल

पड़ोस में हुई हलचल से इस साल फिर इस पर ध्यान गया कि देश में सीबीएसई यानी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत हुई परीक्षाओं के नतीजे घोषित हो चुके हैं। और इस परिणाम के साथ ही आशा, निराशा, उल्लास और क्रोध के भाव भी चारों तरफ देखने को मिल रहे हैं। यह भाव विद्यार्थियों से ज्यादा अभिभावकों के बीच देखने को मिल रहे हैं।

कहीं सत्तानबे फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए विद्यार्थी और अभिभावक परिणाम में तीन फीसद कम अंक आने का अफसोस मना रहे हैं और विद्यार्थी उस कमी को पूरा न कर पाने के बोझ से दब रहे हैं तो कहीं असफल विद्यार्थी इसे जीवन का अंतिम परिणाम मानकर हताश होकर तनाव में जी रहे हैं। इन दोनों ही स्थितियों में कई बार कुछ विद्यार्थी आत्महत्या तक पहुंच जाते हैं। इस साल भी ऐसी खबरें आर्इं ही। जबकि यह सबको अंदाजा होगा कि अंकों से तय होती प्रतिभा की परिभाषा विद्यार्थी पर मानसिक दबाव बनाती है।

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वर्तमान समय में हमारी शिक्षा व्यवस्था ही अंकों पर प्रतिभा का मानक तैयार करने वाली प्रणाली बन गई है। अगर कोई विद्यार्थी नब्बे, निन्यानबे या फिर सौ में सौ फीसद अंक लाता है तो समाज उसे सिर-आंखों पर रखता है। वहीं अंकों की दौड़ में अगर कोई पिछड़ जाता है तो समाज और खुद उस बच्चे का परिवार भी बच्चे के आत्मविश्वास की हत्या कर देता है।

दरअसल, हमारे समाज की तुलनात्मक अध्ययन की मानसिकता रही है और यह मानसिकता बच्चों में किसी भी प्रकार का विभेद नहीं करती है, बल्कि हमेशा उनका तुलनात्मक स्तर पर मूल्यांकन करती रही है। इस पूरी व्यवस्था में जो सर्वाधिक दोषी है, वह है हमारी शिक्षा प्रणाली जो आज भी पहली कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में विद्यार्थी के मूल्यांकन का आधार उसके द्वारा प्राप्त परीक्षा परिणाम से आंकता है।

वह उस परीक्षा से इतर उसके भीतर की प्रतिभा को मूल्यांकन का आधार नहीं बना पाता है। यही कारण है कि शिक्षा व्यवस्था में सीखने से अधिक अंकों की प्राप्ति पर जोर दिया जाने लगा है। हमने साक्षरता दर बढ़ाने के लिए पहले पांचवीं और फिर आठवीं कक्षा में अनिवार्य रूप से पास करने की नीति को अपनाया, उसी का परिणाम नौवीं और दसवीं कक्षा में विद्यार्थियों का अधिक फेल होना और बीच में स्कूल छोड़ने वालों की तादाद का बढ़ना रहा।

हमने इसके समाधान के तौर पर प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में सभी को पास करने की नीति में बदलाव करने की अपेक्षा पाठ्यक्रम को अधिक छोटा बना दिया। शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत बनाने की अपेक्षा शिक्षा में मात्रात्मक बदलाव पर ज़ोर दिया और उसी के अनुरूप मूल्यांकन पद्धति को सरल बनाया। क्या कभी हमने सोचा कि शिक्षा पर बनाई गई नीतियां हमेशा नाकाम क्यों होती हैं?

ऐसा इसलिए है कि ये नीतियां जमीनी स्तर पर कारगर नहीं होती हैं। हमने आठवीं कक्षा तक पास करने की नीति को तो अपनाया और साक्षरता सूचकांक में अपना नंबर भी बढ़ाया, लेकिन क्या हमारा विद्यार्थी साक्षर हो सका? इसी पास करने की नीति के कारण आज विद्यालयों में कई बार छठी या आठवीं कक्षा के विद्यार्थी भी अपना नाम शुद्ध नहीं लिख पाते हैं।

हममें से बहुत से लोग इसका दोष भी शिक्षक को देंगे, लेकिन हम भूल जाते हैं कि शिक्षक भी इसी व्यवस्था के अधीन कार्य करने वाला कर्मचारी है, जो आदेशों से बंधा है। हम शिक्षा नीति में शिक्षक और विद्यार्थी संख्या अनुपात व उसके माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता पर बहस करते हैं लेकिन हमने कभी इसे व्यावहारिक धरातल पर लागू नहीं किया।

सरकारी विद्यालय इस पूरे विवरण का यथार्थ हैं, जहां विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात से लेकर आधारभूत संरचना तक का अभाव देखा जाता है। अंकों के मानक मूल्यांकन आधार से उच्च शिक्षा विभाग भी अछूता नहीं रहा है। अंकों के महिमामंडन में उच्च शिक्षा तक में मानक निर्धारित कर दिया गया। उच्च शिक्षा की मूल्यवान उपाधियों को भारतीय शिक्षा व्यवस्था की जमीनी स्थिति को समझे बिना समाप्त कर दिया गया।

यह बेवजह नहीं है कि हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था में ज्ञान अर्जन से अधिक अंक अर्जन और चाटुकारिता की परंपरा बढ़ने लगी है। हमने इस परंपरा को बढ़ावा दिया है और इसी प्रणाली को विद्यार्थी और शिक्षक के मूल्यांकन का आधार बनाया है। वर्तमान समय में शिक्षक व्यवस्था की कठपुतली बन गया है। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो निष्कासन और तबादला जैसे भारी-भरकम शब्दों से उसका परिचय करा दिया जाता है और विद्यार्थी इस व्यवस्था में अंकों की दौड़ में पिछड़ने पर कई बार जीवन की दौड़ भी हार जाता है।

ज्ञान अंकों से अधिक जीवन जीने की कला है, जिसे हम भूलते जा रहे हैं, क्योंकि इस पूंजीवादी दौर में जीने से अधिक जीने के लिए आवश्यक मूलभूत आवश्यकताओं की दौड़ में मनुष्य लगा है और वह उसी दौड़ में अपने बच्चे को पिछड़ता नहीं देखना चाहता है। यही वजह है कि आज शिक्षा बाजार के केंद्र में हैं और हम पूंजी के अधीन मजदूर बनकर रह गए हैं।

सहकारिता का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। इसके सिद्धान्तों का विवरण देते हुए भारत में कार्यरत सहकारी समितियों का उल्लेख कीजिए।

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