कहानी का अर्थ परिभाषा विशेषताएँ
यहाँ हिन्दी के विद्वानों का कहानी के सन्दर्भ में विचार जानना आवश्यक है। अतः अब हम भारतीय विद्वानों के कहानी संबधी दृष्टिकोण पर विचार करते हैं। मुंशी प्रेमचन्द के अनुसार , “ कहानी (गल्प) एक रचना है , जिसमें जीवन के किसी एक अंग या मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। उसके चरित्र , उसकी शैली तथा कथा - विन्यास सब उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं। ”
- बाबू श्यामसुन्दर दास का मत है कि , “ आख्यायिका एक निश्चित लक्ष्य या प्रभाव को लेकर नाटकीय आख्यान है।"
- बाबू गुलाबराय का विचार है कि , “ छोटी कहानी एक स्वतः पूर्ण रचना है जिसमें एक तथ्य या प्रभाव को अग्रसर करने वाली व्यक्ति-केंद्रित घटना या घटनाओं के आवश्यक , परन्तु कुछ-कुछ अप्रत्ययाशित ढंग से उत्थान-पतन और मोड़ के साथ पात्रों के चरित्र पर प्रकाश डालने वाला कौतूहलपूर्ण वर्णन हो। ”
- इलाचन्द्र जोशी के अनुसार "जीवन का चक्र नाना परिस्थितियों के संघर्ष से उल्टा सीधा चलता रहता है। इस सुवृहत् चक्र की किसी विशेष परिस्थिति की स्वभाविक गति को प्रदर्शित करना ही कहानी की विशेषता है।"
- जयशंकर प्रसाद कहानी को सौन्दर्य की झलक का रस 'प्रदान करने वाली मानते हैं।
- रायकृष्णदास कहानी को ‘ किसी न किसी सत्य का उद्घाटन करने वाली तथा मनोरंजन करने वाली विधा कहते हैं।
- ' अज्ञेय ' कहानी को ' जीवन की प्रतिच्छाया ' मानते है तो जैनेन्द्र की कोशिश करने वाली एक भूख ' कहते हैं। कुमार ' निरन्तर समाधान पाने
- ये सभी परिभाषाएँ भले ही कहानी के स्वरूप को पूर्णतः स्पष्ट नहीं करती हैं , परन्तु उसके किसी न किसी पक्ष को जरूर प्रदर्शित करती हैं। हम यह कह सकते हैं कि किसी साहित्य-विधा की कोई ऐसी परिभाषा देना मुश्किल है जो उसके सभी पक्षों का समावेश कर सके या उसके सभी रूपों का प्रतिनिधित्व कर सके। कहानी में साधारण से साधारण बातों का वर्णन हो सकता है , कोई भी साधारण घटना कैसे घटी , को कहानी का रूप दिया जा सकता है परन्तु कहानी अपने में पूर्ण और रोमांचक हो । जाहिर है कहानी मानव जीवन की घटनाओं और अनुभवों पर आधारित होती है जो समय के अनुरूप बदलते हैं ऐसे में कहानी की निश्चित परिभाषा से अधिक उसकी विशेषताओं को जानने का प्रयास करें।
कहानी की विशेषताएँ
उक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि कहानी में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
1. कहानी एक कथात्मक संक्षिप्त गद्य रचना है , अर्थात कहानी आकार में छोटी होती है जिसमें कथातत्व की प्रधानता होती है।
2. कहानी में ' प्रभावान्विति ' होती है अर्थात् कहानी में विषय के एकत्व प्रभावों की एकता का होना भी बहुत आवश्यक है।
3. कहानी ऐसी EMA की विशेषताएँ हो , जिसे बीस मिनट , एक घण्टा या एक बैठक में पढ़ा जा सके। 4. कौतूहल और मनोरंजन कहानी का आवश्यक गुण है।
5. कहानी में जीवन का यर्थाथ होता है , वह यर्थाथ जो कल्पित होते हुए भी सच्चा लगे ।
6. कहानी में जीवन के एक तथ्य का , एक संवेदना अथवा एक स्थिति का प्रभावपूर्ण चित्रण होता है।
7. कहानी में तीव्रता और गति आवश्यक है जिस कारण विद्वानों ने उसे 100 गज की दौड़ कहा है। अर्थात कहानी आरम्भ हो और शीघ्र ही समाप्त भी हो जाए।
8. कहानी में एक मूल भावना का विस्तार आख्यानात्मक शैली में होता है।
9. कहानी में प्रेरणा बिन्दु का विस्तार होता।
10. कहानी की रूपरेखा पूर्णतः स्पष्ट और सन्तुलित होती EMA की विशेषताएँ है।
11. कहानी में मनुष्य के पूर्ण जीवन नहीं बल्कि उसके चरित्र का एक अंग चित्रित होता है , इसमें घटनाएँ व्यक्ति केन्द्रित होती हैं।
12. कहानी अपने आप में पूर्ण होती है।
उक्त विशेषताओं को आप ध्यान से बार-बार पढ़कर कहानी के मूल भाव और रचना प्रक्रिया को समझ पायेंगे। इन सब लक्षणों या विशेषताओं को ध्यान में रखकर हम आसान शब्दों में कह सकते हैं कि-- “ कहानी कथातत्व प्रधान ऐसा खण्ड या प्रबन्धात्मक गद्य रूप है , जिसमें जीवन के किसी एक अंश , एक स्थिति या तथ्य का संवेदना के साथ स्वतः पूर्ण और प्रभावशाली चित्रण किया जाता है। किसी भी कहानी पर विचार करने से पहले उसे पहचानना आवश्यक होता है। आगे के पाठों में हम इस पर और विस्तार से बात करेंगे।
उत्तम परीक्षण की विशेषताएँ
किसी वस्तु को इसलिए अच्छा कहा जाता है कि उसमें सभी अच्छे गुण होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी वस्तु को अच्छा या खराब उसके मान्य गुणों या कसौटियों के आधार पर ही कहा जा सकता है। इसी प्रकार किसी शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक परीक्षण की उत्तमता का निश्चय उसकी मान्य कसौटियों (गुणों) के आधार पर किया जाता है।
एक अच्छा परीक्षण उसे कहा जा सकता है जो उन आवश्यकताओं की पूर्ति करता है और उन उद्देश्यों को प्राप्त करता है, जिनको ध्यान में रखकर उसकी रचना की गयी है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि, “एक उत्तम परीक्षण आवश्यक रूप से प्रयोजनपूर्ण एवं प्रभावीकृत यन्त्र है जो मानव व्यवहार की वस्तुनिष्ठता एवं व्यापकता के साथ मापन करता है। इस प्रकार अच्छे परीक्षण का प्रशासन एवं अंकन सरल होता है। इन परीक्षणों की विश्वसनीयता, वैधता एवं मानक निश्चित होते हैं और जिसमें विभेदन करने की शक्ति या क्षमता विद्यमान होती है।
उपरोक्त के आधार पर मापन के अच्छे परीक्षणों के निम्न गुण होते हैं-
- अच्छे परीक्षण सप्रयोजन एवं उद्देश्यपूर्ण होते हैं।
- अच्छे परीक्षण मानव व्यवहार का वस्तुनिष्ठता एवं व्यापकता के साथ मापन करते हैं।
- अच्छे परीक्षणों का प्रशासन सरल होता है।
- अच्छे परीक्षण फलांकन की दृष्टि से सुगम होते हैं।
- अच्छे परीक्षण विश्वसनीय होते हैं।
- अच्छे परीक्षण वैध होते हैं।
- अच्छे परीक्षण में वस्तुनिष्ठता एवं व्यापकता का गुण पाया जाता है।
- अच्छे परीक्षण में विभेद शक्ति होती है।
उत्तम परीक्षण की व्यावहारिक कसौटियाँ
उद्देश्यपूर्णता–
व्यापकता–
परीक्षण की रचना करते समय पाठ्यक्रम में सम्मिलित सभी तथ्यों या विषय-सामग्री को न लेकर, उसके प्रतिनिधित्व करने वाले न्यादर्श (Sample) को लेते हैं। विषय-सामग्री के न्यादर्श पर चुने गए प्रश्नों की सूची यानी परीक्षण में परीक्षार्थी की सफलता-असफलता के आधार पर हम उसके सम्पूर्ण विषय के तथ्यों के ज्ञान की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
तथ्यों का कितना भाग लिया जाए कि परीक्षण व्यापक हो सके, यह एक विचारणीय विषय है। परीक्षण में कितने प्रश्न लिए जाएँ, जिससे यह सम्पूर्ण विषय के पाठ्यक्रम का उचित प्रतिनिधित्व कर सके, इसका निर्णय परीक्षण निर्माता (Test Constructer) परीक्षण के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर करता है। हाँ, परीक्षण इतना व्यापक होना चाहिए जिससे वह वैध (Valid) हो सके। परीक्षण को व्यापक बनाने के लिए परीक्षण के सभी व्यावहारिक उद्देश्यों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
समय एवं कीमत–
कम कीमत में अच्छी प्रकार निर्मित (Constructed) परीक्षण सदैव लाभप्रद होता है। उदाहरणार्थ, पुनः प्रयोग में लायी जाने वाली प्रश्न-पुस्तिका (Reusable Booklet) से धन की बचत होती है।
सुगमता–
सुगमता अच्छे परीक्षण का एक गुण है। परीक्षण EMA की विशेषताएँ प्रशासन, अंकन और व्याख्या तीनों दृष्टियों से सुगम होना चाहिए। परीक्षण की सुगमता का सम्बन्ध तीनों बातों से होता है-
प्रशासन की सुगमता–
फलांकन की सुगमता–
व्याख्या की सुगमता–
उत्तम परीक्षण की तकनीकी कसौटियाँ
(Technical Criteria of Good Test)
वैधता–
विश्वसनीयता–
“विश्वसनीयता किसी परीक्षण पर व्यक्ति के प्राप्तांकों की संगति है अर्थात् यदि एक व्यक्ति की परीक्षा किसी परीक्षण पर बार-बार ली जाए और प्रत्येक बार वह व्यक्ति समान प्राप्तांक अर्जित करता है, तो यह परीक्षण विश्वसनीय कहा जायेगा।
वस्तुनिष्ठता–
विभेदन–शक्ति–
ऐसे परीक्षण में विभेदकारिता का गुण होता है, जिसमें सभी कठिनाई स्तर के प्रश्न (पद) सम्मिलित किए जाते हैं। इसमें कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं, जिनका उत्तर सभी परीक्षार्थी आसानी से दे सकते हैं, कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं, जिनके उत्तर केवल कुशाग्र बुद्धि के परीक्षार्थी ही दे सकते हैं। परीक्षण में अधिकांश प्रश्न ऐसे सम्मिलित किए जाने चाहिए, जिनका उत्तर मध्यम स्तर के परीक्षार्थी दे सकें। परीक्षण की विभेदन-शक्ति या विभेदकारिता ज्ञात करने के लिए परीक्षण के प्रत्येक पद का पृथक्-पृथक् विश्लेषण किया जाता है। इसे पद-विश्लेषण (Item-Analysis) कहते हैं। इसमें प्रत्येक पद की कठिनाई स्तर का भी पता लग जाता है।
मानक–
मानक प्रायः दो प्रकार के होते हैं-
आयु मानक (Age Norm)-
श्रेणी मानक (Grade Norm)-
- जिस न्यादर्श पर मानकों का निर्धारण हो, वह काफी बड़ा होना चाहिए।
- न्यादर्श, सम्पूर्ण जनसंख्या (Population) का उपयुक्त प्रतिनिधि होना चाहिए।
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त्वरित उत्तर: एक खगोलीय पिंड क्या है जिसमें प्रकाश सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता है?
सूर्य के चारों ओर प्रकाश का चक्कर लगाने वाले खगोलीय पिंड क्या हैं?
उल्कापिंड छोटे खगोलीय पिंड हैं जो सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। यह तारा, जब वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो लोकप्रिय रूप से 'शूटिंग स्टार' के रूप में जाना जाता है। जब यह जीवमंडल की पहली परत में प्रवेश करता है, तो विचाराधीन तारा बहुत अधिक टूट-फूट से गुजरता है और उसी समय गर्म होकर चमकदार हो जाता है।
5 खगोलीय पिंड कौन से हैं?
शीर्ष 5 - खगोलीय पिंड
- उल्का और उल्कापिंड। वे छोटे आकाशीय पिंड हैं, जिन्हें उल्कापिंड कहा जाता है, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। 🇧🇷
- क्षुद्रग्रह। लगभग 4,6 अरब साल पहले सौर मंडल के गठन के बाद, ब्रह्मांड के चारों ओर तैरने वाली सामग्री के अवशेष रह गए। 🇧🇷
- धूमकेतु। 🇧🇷
- ग्रह। 🇧🇷
- सितारे।
आकाशीय पिंड क्या हैं?
आकाशीय पिंड एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग खगोल विज्ञान में बाहरी अंतरिक्ष में मौजूद पदार्थ को नामित करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, इसे सितारों, ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्कापिंडों, प्राकृतिक उपग्रहों और यहां तक कि मनुष्य द्वारा भेजे गए कृत्रिम उपग्रहों को संदर्भित करने के लिए लागू किया जा सकता है।
किस ग्रह का अपना प्रकाश है?
वे हैं बुध और शुक्र। यदि ग्रह की कक्षा पृथ्वी के बाहर है, तो यह रात के किसी भी समय प्रकट हो सकता है, और इसकी चमक केवल दूरी और उसके चेहरे के उस हिस्से पर निर्भर करती है जो प्रकाशित होता है। ये हैं मंगल, बृहस्पति और शनि। यूरेनस और नेपच्यून को केवल शक्तिशाली दूरबीनों के माध्यम से ही देखा जा सकता है।
अपने स्वयं के प्रकाश वाला आकाशीय पिंड क्या है?
क्या सभी तारों का अपना प्रकाश होता है? … यह सूर्य जैसे तारे हैं जो ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और इस प्रकार प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। अन्य सौर मंडल के पिंड जैसे ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह और धूमकेतु केवल सूर्य के प्रकाश को दर्शाते हैं।
सूर्य के चारों ओर कौन-सा चक्कर लगाता है?
सौर प्रभामंडल, तब, एक प्रकार का इंद्रधनुष है (जो बारिश के बाद पानी की बूंदों में प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है) गोलाकार, ऊंचा और सूर्य के चारों ओर होता है। इसका आकार बर्फ के क्रिस्टल के आकार का परिणाम है, जो छोटे हेक्सागोन्स हैं। चंद्रमा के चारों ओर एक EMA की विशेषताएँ प्रभामंडल भी दिखाई दे सकता है।
पृथ्वी के निकटतम खगोलीय पिंड क्या है?
चंद्रमा (आकृति 1), पृथ्वी के सबसे निकटतम पिंड, ने हमेशा मानव रुचि और जिज्ञासा को बहुत अधिक जगाया है।
कौन से खगोलीय पिंड सौरमंडल का निर्माण करते हैं?
सूर्य के अलावा, सौर मंडल में कुल आठ ग्रह, पांच बौने ग्रह, 179 चंद्रमा और बड़ी संख्या में आकाशीय पिंड हैं, जैसे कि क्षुद्रग्रह, धूमकेतु और अन्य, जिनमें कुइपर बेल्ट में मौजूद हैं।
कौन से खगोलीय पिंड सौर मंडल का निर्माण करते हैं क्या आप जानते हैं कि उनकी विशेषताएं क्या हैं?
सौर मंडल में सूर्य और एक ही गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में स्थित सभी खगोलीय पिंड शामिल हैं। सौर मंडल में ग्रह, बौने ग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु और उल्कापिंड (उल्कापिंड) शामिल हैं। सौर मंडल मिल्की वे के भीतर समाहित है, जो अभी भी लगभग 200 बिलियन सितारों का घर है।
ब्रेनली आकाशीय पिंड क्या हैं?
आकाशीय पिंड कोई भी पदार्थ है जो बाह्य अंतरिक्ष से संबंधित है। वे हैं: क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, तारे, उल्का और उल्कापिंड, ग्रह, कृत्रिम और प्राकृतिक उपग्रह।
ब्रह्मांड में सबसे बड़ा आकाशीय पिंड कौन सा है?
यह लगभग 2,7 अरब किलोमीटर व्यास वाला वीवाई कैनिस मेजोरिस तारा है, जो सूर्य से 3 लाख गुना बड़ा है।
चमकदार खगोलीय पिंड क्या हैं?
चमकदार पिंडों के उदाहरण हैं: सूर्य, एक मोमबत्ती की लौ, या यहां तक कि एक निश्चित तापमान तक गरम किया गया कोई भी पिंड चमकदार हो सकता है। ये ऐसे शरीर हैं जिनमें स्वयं के प्रकाश का उत्सर्जन करने की क्षमता नहीं होती है। प्रबुद्ध शरीर केवल उस प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं जो उन्हें प्राप्त होता है।
किन ग्रहों का अपना प्रकाश नहीं होता है?
ग्रह। ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं और उनका अपना प्रकाश नहीं होता है। आठ हैं: बृहस्पति, मंगल, बुध, नेपच्यून, शनि, पृथ्वी, यूरेनस, शुक्र।
ग्रह कितने चमकीले हैं?
जिस प्रकार तारों का अपना प्रकाश होता है, वे टिमटिमाते हैं, अत: उनकी चमक जगमगाती है। ग्रह केवल सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं, इसलिए उनकी चमक निश्चित होती है।
वे तारे क्या कहलाते हैं जिनमें स्वयं का प्रकाश नहीं होता?
एक ग्रह एक खगोलीय पिंड या तारा है, जिसका अपना प्रकाश नहीं है, जो एक तारे के चारों ओर परिक्रमा करता है। आठ ग्रह सूर्य नामक तारे की परिक्रमा करते हैं।
5 विशेषताएं जो एक सफल फ्रैंचाइज व्यवसाय को परिभाषित करती है।
एक सफल फ्रैंचाइजी व्यवसाय का निर्माण करना पड़ता है और इसके लिए फ्रैंचाइज मालिक में भी कुछ गुण होना आवश्यक है। पहला यह कि मालिक को आशावादी होना चाहिए और जोखिम लेकिन, परिकलित जोखिम लेने के लिए तैयार रहना चाहिए।
वह फ्रैंचाइज कंपनी द्वारा निर्धारित प्रोटोकाल्स और नियमों का पालन करने और नियत परिवर्तनों के साथ आगे बढ़ने के लिए सक्षम होंगे।
‘अगर आप फ्रैंचाइज में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो सबसे अच्छी चीज जो आप कर सकते हैं वह है छानबीन करना। छानबीन के ही एक हिस्से के रूप में आपको खुद को, अपनी विशेषताओं और अपने कौशल को भी देखने की जरूरत है।’ ब्रिटिश फ्रैंचाइज एसोसिएशन के संचालन प्रमुख पिप विकिन्स सलाह देते हैं।
यहाँ कुछ कारक दिए गए हैं जो सफल फ्रैंचाइज व्यवसाय को परिभाषित करते हैं:
परिकलित छोटा जोखिम
एक सफल फ्रैंचाइजी को वास्तव में जोखिम के विरूद्ध होना चाहए। उन्हें जोखिम लेने के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन जहाँ EMA की विशेषताएँ तक हो सके, छोटे जोखिम (अधिकतर) लेने चाहिए और उन्हें नियंत्रित रखना चाहिए। किसी भी नए उद्यम में विफलता का जोखिम होता है, लेकिन सफलता के प्रमाणित इतिहास के साथ एक मजबूत फ्रैंचाइज इस जोखिम को कम करेगा। सफल फ्रैंचाइजिस को अपना अभ्यास अच्छे से करना चाहिए, ताकि उन्हें पता रहे कि वह क्या करने जा रहे हैं।
पानी होते हुए कुंआ खोदने से बचे
उद्यमियों में चीजों को अपनी तरह से करने का स्वभाव होता है और अधिकतर वह पानी होते हुए भी कुंआ खोदने लगते हैं, लेकिन दूसरी ओर एक फ्रैंचाइज व्यवसाय को सफल बनाने के लिए सिद्ध प्रणाली के साथ काम करना अच्छा रहता है। कुछ करने के लिए सबसे अच्छा तरीका ढूंढने से खुद को बचाओ। इसके बजाय, ऐसी संचालन प्रणाली के साथ काम करें जिसमें निर्देश पहले से ही मौजूद हो। फ्रैंचाइजिस को दूसरे से सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए और महंगी गलतियाँ करने से बचना चाहिए। इससे आपको जल्दी सफल होने में मदद मिलेगी।
सवाल पूछें, प्रयोग करने से बचेः
अपने द्वारा नहीं, बल्कि अपने लिए व्यवसाय चलाने के नीति-वाक्य का पालन करना अच्छा विचार होता है। सहभागिता और दूसरे फ्रैंचादजी मॉडल्स से सीखने की इच्छा होना, आगे बढ़ने और अपने लिए जगह बनाने का अच्छा तरीका है। अपनी सहज प्रवृत्ति के हिसाब से काम करने के बजाय पूछना ज्यादा उचित होता है। यहाँ प्रयोग करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है और एक सफल फ्रैंचाइजी को फ्रैंचाइजर के सहयोगी कर्मचारियों और दूसरे सफल फ्रैंचाइजिस से निरंतर सलाह मांगनी चाहिए और उनसे मिली सलाह का पालन करना चाहिए। हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हमारे पास सारे उत्तर नहीं होते और आवश्यकता पड़ने पर सहायता मांगने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।
कड़ी मेहनत
काम पूरा करने के लिए जो कुछ भी करना पड़े वह करने का रवैया और इच्छा होना बहुत जरूरी है। यह रवैया उन लोगों के लिए भी प्रेरणा होगा जो आपके लिए काम करते हैं। चाहे वह ज्यादा देर काम करना हो, विभिन्न कार्यों को संभालना हो या अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेना हो, सब कुछ मायने रखता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी रूचि किस फ्रैंचाइजी में है, यह निश्चित है कि उसे सफल बनाने के लिए काम करना ही होगा। सर्वश्रेष्ठ फ्रैंचाइजी इस सच्चाई को जानते और स्वीकार करते हैं।
अच्छा अंतर्वैयक्तिक कौशल
एक सफल फ्रैंचाइजी व्यवसाय चलाने के लिए फ्रैंचाइज में उत्कृष्ट अंतर्वैयक्तिक कौशल होना चाहिए और प्रभावी रूप से अपने कर्मचारियों और ग्राहकों से बातचीत करते आना चाहिए। वफादारी, मूल्य और विश्वास का निर्माण करने के लिए उन्हें अपने कौशल का उपयोग करना चाहिए। हालांकि यह गुण सूची में सबसे आखिर में है, लेकिन शायद यह सबसे महत्वपूर्ण गुण है।
ह़ज़रत अली अलैहिस्सलाम के जीवन की महत्वपूर्ण विशेषताएँ
ह़ज़रत अली (अ.स) का जीवन दुनिया के तमाम मुसलमानों के लिए एक बहुत बड़ा पाठ है। आप की इबादत हो ख़ुदा के साथ मुनाजात और दुआ हो, दुनिया से मुंह मोड़ना हो, अल्लाह की याद में डूब जाना हो, अपने नफ़्स (अंतरात्मा) और शैतान के साथ लड़ना हो, आप की निजी ज़िन्दगी की हर चीज़ आईडियल है। नहजुल बलाग़ा में आप का मशहुर जुमलाः या दुनिया ग़ुर्री ग़ैरी ऐ दुनिया मुझे धोका देने कि कोशिश न कर, जा मुझे छोड़ के किसी और को धोका दे इस लिए कि अली (अ स) तेरे धोखे में आने वाला नहीं है।
ह़ज़रत अली (अ.स) का जीवन दुनिया के तमाम मुसलमानों के लिए एक बहुत बड़ा पाठ है। आप की इबादत हो ख़ुदा के साथ मुनाजात और दुआ हो, दुनिया से मुंह मोड़ना हो, अल्लाह की याद में डूब जाना हो, अपने नफ़्स (अंतरात्मा) और शैतान के साथ लड़ना हो, आप की निजी ज़िन्दगी की हर चीज़ आईडियल है। नहजुल बलाग़ा में आप का मशहुर जुमलाः या दुनिया ग़ुर्री ग़ैरी ऐ दुनिया मुझे धोका देने कि कोशिश न कर, जा मुझे छोड़ के किसी और को धोका दे इस लिए कि अली (अ स) तेरे धोखे में आने वाला नहीं है।
दुनिया से दूरी
ह़ज़रत अली (अ.स) का जीवन दुनिया के तमाम मुसलमानों के लिए एक बहुत बड़ा पाठ है। आप की इबादत हो ख़ुदा के साथ मुनाजात और दुआ हो, दुनिया से मुंह मोड़ना हो, अल्लाह की याद में डूब जाना हो, अपने नफ़्स (अंतरात्मा) और शैतान के साथ लड़ना हो, आप की निजी ज़िन्दगी की हर चीज़ आईडियल है। नहजुल बलाग़ा में आप का मशहुर जुमलाः या दुनिया ग़ुर्री ग़ैरी ऐ दुनिया मुझे धोका देने कि कोशिश न कर, जा मुझे छोड़ के किसी और को धोका दे इस लिए कि अली (अ स) तेरे धोखे में आने वाला नहीं है। ऐ दुनिया तेरी यह चमक दमक तेरी यह थोड़ी सी ख़ूबसूरती, तेरा यह दिखावा, तेरी हवस का जाल जो बड़े बड़ो के फंसा देता है अली (अ स) को नहीं फँसा सकता। जब कोई आज़ाद और सच्चा इंसान इमाम अली (अ स) के जीवन के इस पाठ को देखता है जिस में ख़ुदा के सामने वह ख़ुद को एक आम इंसान की हैसियत से पेश करते हैं तो उन्हें अपना आइडियल पाता है।ह़क़ और इंसाफ के लिए जेहाद
इमाम अली (अ स) के जीवन का एक बड़ा ह़िस्सा ख़ुदा की राह में जिहाद में गुज़रा जिसका मक़सद यह था कि समाज में इस्लाम और इंसाफ को लागू किया जाये। रसूले इस्लाम ( स. ) की ज़िन्दगी का सबसे बड़ा मक़सद यही था यानी दुनिया मे इंसाफ लागू करना हालांकि यह कोई आसान काम नहीं था इसी लिए उन्हें इतनी जंगें लड़ना पड़ीं, औऱ उन सारी जंगों में जो इंसान सबसे ज़्यादा काम आया, जो हमेशा आगे रहा, जिस ने तलवारों के साये में भी रसूले इस्लाम (स. ) का साथ दिया और मरने से बिलकुल नहीं डरा वह कोई और नहीं बल्कि अली ( अ स) थे। जब सब मैदान छोड़ कर चले जाते थे अली (अ स ) अकेले मैदान में जमे रहते थे। जब कोई मैदान में जाने के लिए तय्यार नहीं होता था अली (अ स) अकेले मैदान में जाते थे। जब जंग के दरमियान दुश्मन की फ़ौज को देख कर, जंग की कठिनाइयाँ देख कर सब घबरा जाते थे इमाम अली (अ स) लोहे की दीवार बन कर खड़े हो जाते थे और दूसरो को भी अम्मीद दिलाते थे। अली (अ स) के लिए ज़िन्दगी का मतलब यही था कि ख़ुदा ने उनको जो ताक़त दी है, जो क्षमता उनके अन्दर है वह ख़ुदा के लिए और उसके ह़ुक्म को लागू करने के लिए लगायें, ह़क़ और इंसाफ़ को ज़िन्दा करें, अली ( अ स) की वजह से ह़क़ ज़िन्दा हुआ और इंसाफ़ का झंडा ऊँचा हुआ।
अगर आज दुनिया में कहीं ह़क़ के लिए आवाज़ उठाई जा रही है या इंसाफ़ की बात की जाती है तो यह उन्हीं लोगों के जेहाद और मेहनत की वजह से है, अगर अली ( अ स) और अली ( अ स) EMA की विशेषताएँ जैसे लोग न होते तो आज इंसानी मूल्य ख़त्म हो चुके होते, आज सारे इंसान जानवरों की तरह़ जी रहे होते और इंसानियत का कोई नाम व निशान न होता।
इमाम अली ( अ स) की हुकूमत
इमाम अली (अ स) ने 4 , 5 साल के अन्दर ऐसी हुकूमत की और ऐसी सत्ता चलाई अगर दुनिया के सारे लेखक और आर्टिस्ट बैठ कर सदियों तक उनकी हुकूमत के बारे में लिखते रहें और उसे अपने अपने आर्ट द्वारा दुनिया को दिखाते रहें वह पूरी तरह़ से कामयाब नहीं हो सकते। आप की हुकूमत दुनिया की सबसे अलग हुकूमत था। आपने हुकूमत का माना ही बदल दिया।
इमाम अली (अ स) की हुकूमत एक ख़ुदाई ह़ुकूमत का नमूना, एक क़ुरआनी ह़ुकूमत का नमूना, अशिद्दावो अलल कुफ़्फ़ार . का नमूना और इंसाफ़ की ह़ुकूमत का एक नमूना थी। वह ग़रीब लोगों को अपने पास बुलाते थे। काना यक़रबुल मसाकीन, और समाज के दबे लोगों को ख़ास तौर से ध्यान रखते थे। वह लोग जो दूसरों का माल हड़प करने के बाद मालदार बन गये थे उनको कोई अहमियत नहीं देते थे बल्कि उनको मिट्टी से भी कम समझते थे। (बहुत से लोगों ने ह़ज़रत अली (अ स) के हाथ पर यह सोच कर बैअत की थी कि उन्हें ह़ुकूमत में कुछ ह़िस्सा मिलेगा इसी लिए जब तल्ह़ा औऱ ज़ुबैर इमाम के पास अपने ह़िस्से की बात करने आये तो आपने जलता हुआ चिराग़ बुझा दिया। और दूसरा चिराग़ जलाया जो आपका अपना चिराग़ था।
उन्होंने पूछाः अली आपने एक चिराग़ बुझा कर दूसरा चिराग़ क्यों जलाया? आपने जवाब दियाः वह ह़ुकूमत का चिराग़ था और यह मेरा चिराग़ है अगर तुम ह़ुकूमत के काम से आये होते तो वही चिराग़ जलने देता लेकिन चूंकि तुम अपने काम से मेरे पास आये हो इस लिए अपने पैसों से ख़रीदा हुआ चिराग़ जलाया है। जब उन्होंने यह देखा तो बिना कोई बात कहे चले गये। क्योंकि वह समझ गये थे कि जो अली ( अ स) एक चिराग़ के लिए इतना ज़्यादा उसूल का पक्का हो वह मुफ़्त में किसी को ह़ुकूमत में ह़िस्सा कैसे देगा) क्योंकि इमाम की नज़र में माल व दौलत और पोस्ट को कोई महत्व नहीं था बल्कि ईमान, तक़वा, ख़ुलूस, पवित्रता और इंसानियत महत्व थी। उन्होंने उसूलों के बेस पर इमाम अली (अ स) ने 5 साल से भी कम हुकूमत किया लेकिन कई सदियों से उनकी ज़िन्दगी, उनकी हुकूमत, उनके इंसाफ़ के बारे में लिखा जा रहा है और रिसर्च की जा रही है लेकिन आज तक कोई यह नहीं कह सका है कि उसने ह़क़ अदा कर दिया है।
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