बीमा कंपनी द्वारा दो प्रकार के बीमा सेवा उपलब्ध कराई जाती है

शेयर बाजार में कैसे काम करता है बुल मार्केट, जानें स्टाक पर क्या होता है इसका प्रभाव

जब स्टॉक की प्राइस 20-20 प्रतिशत की दो अवधियों की गिरावट के बाद भी 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। वहीं ट्रेडर बुल मार्केट का लाभ उठाने के लिए खरीद में बढ़ोतरी होल्ड या रिट्रेसमेंट जैसी कई रणनीतियों को अपना लेता हैं।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। बुल मार्केट (Bull Market) किसी फाइनेंशियल मार्केट की वह स्थिति होती है जिसमें किसी एसेट या सिक्योरिटी की प्राइस बढ़ रही होती है या बढ़ने की उम्मीद होती है। ‘बुल मार्केट' शब्द का उपयोग अक्सर स्टॉक मार्केट के लिए किया जाता है लेकिन इसे किसी भी चीज के लिए प्रयोग किया जा सकता है जिसे ट्रेड किया जा सकता है जैसे कि बॉन्ड्स, रियल एस्टेट, करेंसी और कमोडिटीज। हालांकि, ट्रेडिंग के दौरान सिक्योरिटीज की प्राइस अनिवार्य रूप से घटती और बढ़ती रहती हैं। बुल मार्केट' को विशेष रूप से विस्तारित अवधि के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसमें सिक्योरिटी मूल्यों का बड़ा हिस्सा बढ़ रहा होता है।

बुल मार्केट के लक्षण

बुल मार्केट इन्वेस्टर के बाजार का अध्ययन आत्मविश्वास और उम्मीदें को लंबे समय तक बनाए रखता है। साथ ही, इसका अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि मार्केट में ट्रेंड में कब बदलाव आएगा।हाल के वर्षों में बुल मार्केट 2003 और 2007 की अवधि के दौरान देखा गया था जब एसएंडपी 500 में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई थी। आम तौर पर यह तब होता है जब अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही होती है या पहले से ही मजबूत होती है।

जो इन्वेस्टर बुल मार्केट का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें बढ़ती प्राइस का लाभ उठाने के लिए आरंभ में ही खरीद कर लेनी चाहिए और जब वे अपनी पीक पर पहुंच जाएं तो उन्हें बेच डालना चाहिए। हालांकि यह तय करना मुश्किल और रिस्क भरा होता बाजार का अध्ययन है कि कब गिरावट आएगी और कब पीक पर जाएगा, अधिकांश नुकसान कम मात्रा में होते हैं और अस्थायी होते हैं।

अगर आप भी किसी कंपनी में निवेश करना चाहते हैं तो आज ही 5paisa.com पर जाएं और अपने निवेश के सफर को और भी बेहतर बनाएं। साथ ही DJ2100 - Coupon Code के साथ बनाइये अपना Demat Account 5paisa.com पर और पाएं ऑफर्स का लाभ।

शेयर बाजार में हाथ आजमाने वाले लोग ट्रेडिंग करने से पहले ‘फ्यूचर और ऑप्शंस’ के बारे में समझ लें

फ्यूचर और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स डेरिवेटिव ट्रेडिंग के प्रमुख साधनों में से एक हैं। डेरिवेटिव्स शुरुआत करने वालों के लिए एक प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं जिनका मूल्य अंतर्निहित संपत्तियों या परिसंपत्तियों के सेट पर ही निर्भर करता है।

ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर आपने सुना होगा कि शेयर बाजार से दिन दोगुना रात चौगुना पैसा कमाया जा सकता है। लेकिन क्या यह इतना आसान है? क्या इस बाजार में कोई भी पैसे लगा सकता है? क्या इस बाजार में पैसा लगाने में किसी भी तरह का कोई जोखिम नहीं होता है? क्या बाजार का अध्ययन इसके कुछ खास नियम भी हैं?

अगर आपके मन में भी इस तरह के सवालों को लेकर संशय बना हुआ है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस आर्टिकल में शेयर मार्केट से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गई हैं, बाजार का अध्ययन जो आपको शेयर मार्केट की दुनियां में कदम रखने में सहायक साबित हो सकती हैं।

शेयर बाजार कैसे काम करता है?

शेयर बाजार में पैसा बनाने के अनेक विकल्प हैं जो इसे अत्यंत रोचक बनाते हैं I साथ ही निवेशकों के लिए सीख-कर व बाजार का अध्ययन समझ-कर अपनी पसंद के उत्पाद में निवेश से लाभ कमाने का अवसर प्रदान करते हैं। इन्हीं उत्पादों में से दो प्रमुख उत्पाद हैं- फ्यूचर और ऑप्शंस। इन्हें समझने से बाजार का अध्ययन पहले आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि शेयर बाजार, कमोडिटी बाजार या मुद्रा बाजार में सबसे अधिक प्रभाव कीमतों का होता है।

फ्यूचर और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स डेरिवेटिव ट्रेडिंग के प्रमुख साधनों में से एक हैं। डेरिवेटिव्स, शुरुआत करने वालों के लिए एक प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं, जिनका मूल्य अंतर्निहित संपत्तियों या परिसंपत्तियों के सेट पर निर्भर करता बाजार का अध्ययन है। इनमें कोई एसेट बॉन्ड, स्टॉक, मार्केट इंडेक्स, कमोडिटी या करेंसी हो सकते हैं।

डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार

स्वैप, फॉरवर्ड, फ्यूचर और ऑप्शन सहित चार प्रमुख प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होते हैं।

1. स्वैप- जैसा कि नाम से पता चलता है, ऐसे कॉन्ट्रैक्ट होते हैं जहां दो पार्टी अपनी देयताओं या नकदी प्रवाह का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

2. फॉरवर्ड- कॉन्ट्रैक्ट में ओवर-द-काउंटर ट्रेडिंग शामिल होती हैं और विक्रेता और खरीदार के बीच निजी कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। डिफॉल्ट जोखिम फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट में अधिक होता है, जिसमें सेटलमेंट करार के अंत की ओर होता है। भारत में, दो सबसे व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट फ्यूचर और ऑप्शन हैं।

3. फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स- मानकीकृत किए जाते हैं और माध्यमिक बाजार में इनका ट्रेड किया जा सकता है। वे आपको भविष्य में डिलीवर किए जाने वाले एक निर्दिष्ट कीमत पर अंतर्निहित एसेट खरीदने/बेचने की सुविधा देते हैं।

फ्यूचर और ऑप्शन के फायदे

बाजार में अस्थिरता की आशंका को कम करने के लिए विकल्प एक अन्य जरिया है। फ्यूचर एंड ऑप्शन का कॉन्ट्रैक्ट सामान होता है पर इस संदर्भ में खरीददार या विक्रेता के पास यह अधिकार होता है जिस से वो कॉन्ट्रैक्ट का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं होता।

आमतौर पर विकल्प दो प्रकार के होते हैं, जिसमें पहला है CALL ऑप्शन और दूसरा PUT ऑप्शन। जहां CALL ऑप्शन में खरीददार के पास एक निश्चित मूल्य और भविष्य में तय तारीख़ पर परिसंपत्ति (एसेट) के हिस्से की खरीद-फरोख्त करने का विकल्प सुरक्षित रहता है और उसे इस कॉन्ट्रैक्ट का पालन नहीं करने की भी छूट होती है।

वहीं, PUT ऑप्शन में विक्रेता के पास यह अधिकार होता है कि वो एक निश्चित मूल्य और भविष्य में तय तारीख पर कोई परिसंपत्ति (एसेट) के हिस्से का खरीद-फरोख्त करेगा या नहीं। उसके पास भी इस कॉन्ट्रैक्ट का पालन नहीं करने की छूट होती है।

बाजार-दर्शन-अध्ययन

पाठ का सारांश बाजार-दर्शन पाठ में बाजारवाद और उपभोक्तावाद के साथ-साथ अर्थनीति एवं दर्शन से संबंधित प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास किया गया है। बाजार का जादू तभी असर करता है जब मन खाली हो| बाजार के जादू को रोकने का उपाय यह है कि बाजार जाते समय मन खाली ना हो, मन में लक्ष्य भरा हो| बाजार की असली कृतार्थता है जरूरत के वक्त काम आना| बाजार को वही मनुष्य लाभ दे सकता है जो वास्तव में अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदना चाहता है| जो लोग अपने पैसों के घमंड में अपनी पर्चेजिंग पावर को दिखाने के लिए चीजें खरीदते हैं वे बाजार को शैतानी व्यंग्य शक्ति देते हैं| ऐसे लोग बाजारूपन और कपट बढाते हैं | पैसे की यह व्यंग्य शक्ति व्यक्ति को अपने सगे लोगों के प्रति भी कृतघ्न बना सकती है | साधारण जन का हृदय लालसा, ईर्ष्या और तृष्णा से जलने लगता है | दूसरी ओर ऐसा व्यक्ति जिसके मन में लेश मात्र भी लोभ और तृष्णा नहीं है, संचय की इच्छा नहीं है वह इस व्यंग्य-शक्ति से बचा रहता है | भगतजी ऐसे ही आत्मबल के धनी आदर्श ग्राहक और बेचक हैं जिन पर पैसे की व्यंग्य-शक्ति का कोई असर नहीं होता | अनेक उदाहरणों के द्वारा लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि एक ओर बाजार, लालची, असंतोषी और खोखले मन वाले व्यक्तियों को लूटने के लिए है वहीं दूसरी ओर संतोषी मन बाजार का अध्ययन वालों के लिए बाजार की चमक-दमक, उसका आकर्षण कोई महत्त्व नहीं रखता।

बाजार का अध्ययन

प्रश्न 36. मुद्रा बाजार की प्रकृति या विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर- मुद्रा बाजार की प्रकृति या बाजार का अध्ययन विशेषताओं को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है-

1. वित्तीय बाजार का प्रमुख अंग- मुद्रा बाजार वित्तीय बाजार का प्रमुख अंग है। इसके द्वारा उद्योगपतियों, व्यवसायियों एवं सरकारी अल्पकालीन अवधि की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।

2. तरलता- मुद्रा बाजार में अत्यधिक तरलता पायी जाती है। इस उद्देश्य से Discount Finance House of India की स्थापना की गई है।

3. सन्तुलन कार्य- अल्पकालीन वित्तीय पूर्ति तथा अल्पकालीन वित्तीय माँग में संतुलन स्थापित करने का कार्य मुद्रा बाजार करता है।

4. दो स्वरूप- मुद्रा बाजार के संगठित एवं असंगठित दो स्वरूप होते हैं। संगठित मुद्रा बाजार में रिजर्व बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक तथा सहकारी बैंक आते हैं। असंगठित मुद्रा बाजार में साहूकार एवं देशीय बैंकर इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है।

भारत का वित्तीय बाजार

NCERT कक्षा- 12 की व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्याय- 5 ( नई व पुरानी NCERT) उपभोक्ता एवं फर्म के व्यवहार को कीमत के रूप में दर्शाया जाता है। वित्तीय बाजार को ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है , जहाँ बाजार में सभी उपभोक्ताओं तथा फर्म की योजना को सुमेलित करके बाजार में उतारा जाता हैं।

वित्तीय बाजार के अंतर्गत हम कई प्रमुख वित्तीय संस्थानों के बारे में पढ़ते हैं। जैसे- इरडा- भारत सरकार के वित्त मंत्रालय का उपक्रम है

वित्तीय बाजार के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

1. निवेशको एवं ऋणियों के मध्य आपसी समझौता करवाना।

2. वित्तीय संम्पति के लेनदेन को सुरक्षा प्रदान करना।

3. निवेशको के वित्तीय सम्पति के विक्रय को तरलता बनाना।

4. यह लेनदेनों डेव संबधित सूचना की न्यूनतम लागत सुनिश्चित करना।

भारत का वित्तीय बाजार

रेटिंग: 4.77
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 694