टर्नअराउंड समय को कम करने के लिए, कंपनी टैली सहित एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सॉफ्टवेयर टूल्स के साथ एकीकरण भी विकसित कर रही है, ताकि फैक्टरिंग और कार्यशील पूंजी फाइनेंस स्पेस में कर्जदारों को सुविधा प्रदान की जा सके। डॉ. मोदानी ने कहा, “हमारा दृष्टिकोण भारत में किसी भी व्यवसाय के लिए क्रेडिट पर बिक्री करने में सक्षम बनाना है और 121 फाइनेंस नवीनतम वित्तीय तकनीकों का लाभ उठाते हुए विक्रेता को प्राप्य और नकद की पेशकश करने में सक्षम बनाना है और भारत को डिजिटल फैक्टरिंग के क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता बनाना है।”

आरबीआई ने 121 फाइनेंस को एनबीएफसी-फैक्टर के रूप में प्रमाणित किया

121 फाइनेंस, रजिस्ट्रेशन ऑफ फैक्टर्स (रिजर्व बैंक) रेग्युलेशंस 2022 के तहत पंजीकरण प्रमाणपत्र हासिल करने वाला भारत का पहला फिनटेक-नेतृत्व वाला एनबीएफसी-फैक्टर बन गया है। एनबीएफसी-फैक्टर सबसे महत्वपूर्ण चुनौती का समाधान करता है, जिससे अधिकांश व्यवसायों को गुजरना पड़ता है, जिसमें बिना किसी कोलैटरल के एमएसएमई के लिए अल्पकालिक पूंजी की व्यवस्था करना शामिल है।

अभी तक, फैक्टरिंग की पेशकश केवल बड़े कॉरपोरेट्स को ही की जाती थी, हालांकि, 121 फाइनेंस माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमईज) के लिए फैक्टरिंग करने में सफल रहा है, और इसकी जड़ें फिनटेक में काफी गहरी हैं। एमएसएमई सक्रिय रूप से कार्यशील पूंजी के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहे हैं, खासकर जब से बैंक छोटे व्यवसायों के लिए नकद ऋण सीमा से बाहर जा रहे हैं।

उद्योगों की रूपरेखा: वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ी दखल, बीमा क्षेत्र अपना रही एआई तकनीक

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने उद्योगों की रूपरेखा बदलते हुए, हर क्षेत्र में बिजली की तेजी से उपभोक्ता सेवाओं का नेतृत्व किया है। आज एआई एप्लिकेशन स्वास्थ्य देखभाल, रसद और परिवहन, खाद्य प्रौद्योगिकी, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, यात्रा, अचल संपत्ति और मनोरंजन जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के अभिन्न अंग हैं। वित्तीय निर्णय लेने और निवेश दक्षता और उत्पादकता में सुधार करने मशीन लर्निंग एंड फाइनेंस में एआई, मशीन लर्निंग (एमएल) और फिनटेक की भूमिका काफी बढ़ रही है।

बीमा क्षेत्र का तकनीकी परिवर्तन एआई अनुप्रयोगों के सर्वाेपरि उपयोग को दर्शाता है। बीमा क्षेत्र में एआई का उपयोग करते समय मूल्य निर्धारण नीतियों, परिचालन लागत और दावों के बीच संतुलन बनाए रखता है, यह नए जोखिम और नैतिक मुद्दों को भी पेश करता है। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र में युवा पीढ़ी और प्रशासनिक और सुरक्षा कार्यकर्ता एआई-संचालित प्रौद्योगिकियों की सराहना करते रहे हैं।

NPCI अब क्रेडिट कार्ड लॉन्च करे की तैयारी में, टैप एंड गो भी होगा लॉन्च

RuPay

  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2017,
  • (अपडेटेड 16 जून 2017, 7:14 PM IST)

नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन आफ इंडिया एनपीसीआई ने क्रेडिट कार्ड कारोबार में कदम रखा है और एक महीने में रूपे क्रेडिट कार्ड की वाणिज्यक रूप से शुरू करेगा.

एनपीसीआई के चेयरमैन एम बालचंद्रन ने मशीन लर्निंग एंड फाइनेंस यहां संवाददाताओं से कहा, एक महीने में संभव है हम RuPay मशीन लर्निंग एंड फाइनेंस मशीन लर्निंग एंड फाइनेंस मशीन लर्निंग एंड फाइनेंस क्रेडिट कार्ड वाणिज्यिक रूप से शुरूआत करेंगे.

फिलहाल एनपीसीआई सिर्फ RuPay डेबिट कार्ड की पेशकश कर रहा है. उसने पायलट आधार पर RuPay क्रेडिट कार्ड के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के साथ पार्टनर्शिप किया गया है.

Digital University: क्या है डिजिटल यूनिवर्सिटी, कैसे काम करेगी और डिस्टेंस लर्निंग से यह कितनी अलग होगी?

Digital University: क्या है डिजिटल यूनिवर्सिटी, कैसे काम करेगी और डिस्टेंस लर्निंग से यह कितनी अलग होगी?

केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान किया है.

देश में डिजिटल यूनिवर्सिटी खुलेगी. बजट-2022 पेश करते हुए मंगलवार को वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने इसकी घोषणा की. कोरोना महामारी (Pandemic) के कारण देशभर में स्‍टूडेंट की शिक्षा प्रभावित होने के कारण डिजिटल यूनिवर्सिटी (Digital University) का ऐलान किया गया है. वित्‍त मंत्री का कहना है, डिजिटल यूनिवर्सिटी के जरिए कई भाषाओं में शिक्षा (मशीन लर्निंग एंड फाइनेंस Education) उपलब्‍ध होगी. इस यूनिवर्सिटी के जरिए देश के किसी भी कोने से स्‍टूडेंट्स पढ़ाई कर सकेंगे. देश की प्रमुख सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की मदद से इसकी शुरुआत होगी.

क्‍या है डिजिटल यूनिवर्सिटी और कैसे काम करेगी?

यह ऐसी यूनिवर्सिटी होती है, जहां पढ़ाई पूरी से ऑनलाइन होती है. आसान भाषा में समझें तो डिजिटल यूनिवर्सिटी में दाखिला वाले स्‍टूडेंट्स को कहीं जाना नहीं होगा. घर बैठे ही ऑनलाइन पढ़ाई हो सकेगी. देश के किसी कोने से स्‍टूडेंट्स पढ़ाई कर सकेंगे. यहां अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञ ऑनलाइन वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षा देंगे.

विदेशों में ड‍िजिटल यूनिवर्सिटी इसी पैटर्न पर काम कर रही हैं. स्‍पेन की मिया यूनिवर्सिटी इसका एक उदाहरण है. यहां पर ऑनलाइन मास्‍टर, सर्टिफिकेट और एग्‍जीक्‍यूटिव प्रोग्राम चलाए जाते हैं. जिसे ऑनलाइन किया जा सकता है. कई विषयों में कोर्सेस उपलब्‍ध हैं, जैसे- फैशन, मार्केटिंग, बिजनेस, कम्‍प्‍यूटर साइंस आदि.

देश में बनने वाली डिजिटल यूनिवर्सिटी में किस तरह प्रोग्राम उपलब्‍ध कराए जाएंगे? यहां से सर्टिफ‍िकेट या डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम करने का मौका मिलेगा या यूपी-पीजी प्रोग्राम भी होंगे, इसकी कोई भी आध‍िकारिक जानकारी नहीं जारी की गई है.

यह डिस्‍टेंस लर्निंग प्रोग्राम से कितना अलग होगी?

डिजिटल यूनिवर्सिटी डिस्‍टेंस लर्निंग (Distance Learning) प्रोग्राम उपलब्‍ध कराने वाले इग्‍नू विश्‍वविद्यालय से कितनी अलग होगी, अब इसे समझें. डिस्‍टेंस लर्निंग यूनिवर्सिटीज ऑनलाइन प्रोग्राम की सुविधा नहीं देते. यहां से पढ़ाई करने वाले स्‍टूडेंड्स को स्‍टडी मैटेरियल घर पर भेज दिया जाता है. इस मैटेरियल से स्‍टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं.

वहीं, डिजिटल यूनिवर्सिटीज ऑनलाइन प्रोग्राम्‍स के जरिए शिक्षा देती हैं. सेलेबस और दूसरी जानकारी ऑनलाइन मेल पर जारी की जाती हैं. ऑनलाइन वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग प्रोग्राम के जरिए स्‍टूडेंट्स अपनी पढ़ाई कर पाते हैं.

केरल में खुली थी देश की पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी

देश में पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी की शुरुआत पहले केरल में हो चुकी है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट केरल (IIITM-K) को अपग्रेड करके ही डिजिटल यूनिवर्सिटी में तब्‍दील किया गया था. यहां पोस्‍ट ग्रेजुएट प्रोग्राम से लेकर अलग-अलग तरह के कई कोर्सेज संचालित किए जा रहे हैं. यहां सायबर सिक्‍योरिटी, ब्‍लॉक चेन, मशीन लर्निंग समेत कई विषयों में कोर्स उपलब्‍ध हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के अलावा राजस्‍थान के जोधपुर में डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने की कवायद तेज की जा रही है. यहां 400 करोड़ रुपये की लागत से 30 एकड़ क्षेत्र में डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाई जा रही है. हालांकि यह कब शुरू होगी, इस बारे में कोई आध‍िकारिक जानकारी नहीं जारी की गई है.

Sass News

ओके क्रेडिट एप और रोबोट की मदद से सोलर पैनल के रखरखाव की तकनीक को विकासित करने वाले आईआईटी कानपुर के पांच छात्रों को फोर्ब्स की 30 अंडर 30 एशिया की सूची में शामिल किया गया है। इस कामयाबी पर आईआईटी निदेशक प्रो.अभय करंदीकर और डीन ऑफ एल्युमिनाई एसोसिएशन प्रो.जयंत कुमार सिंह ने बधाई दी है।

2014 बैच के मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग के आदित्य प्रसाद, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के गौरव कुमार व हर्ष पोखरना मशीन लर्निंग एंड फाइनेंस और 2017 बैच के मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक निखिल कुरेले और हर्षित राठौर ने 22 देशों के करीब 3500 प्रतिभागियों के बीच यह कामयाबी हासिल की है। फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया में 10 कैटेगरी निर्धारित थीं।

आईआईटी कानपुर के तीन पूर्व छात्र फाइनेंस एंड वेंचर कैपिटल और दो पूर्व छात्रों को इंडस्ट्रीज मैनुफैक्चरिंग एंड एनर्जी कैटेगरी में शामिल किया गया है। आदित्य प्रसाद, गौरव कुमार व हर्ष पोखरना ने आईआईटी से पास होने के बाद एक कंपनी बनाई। 25 अगस्त 2017 को बिजनेसमैन और कारोबारियों के लिए ओके क्रेडिट नाम से एप लांच किया।

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