यूपी को बेल्जियम, जर्मनी, स्वीडन से 77,140 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले: मंत्री Hindi-khabar
नोएडा/लखनऊ : उत्तर प्रदेश वैल्यू निवेश प्रस्तावों को आकर्षित करता है ₹ यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ने कहा कि राज्य के वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले जर्मनी, बेल्जियम और स्वीडन से 77,140 करोड़ रु.
गुप्ता इस महीने की शुरुआत में कार्य मंत्री जितिन प्रसाद, अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल, आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी और एमएसएमई सचिव प्रांजल यादव के साथ इन देशों की नौ दिवसीय यात्रा पर थे।
यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (यूपी जीआईएस) फरवरी 2023 में लखनऊ में आयोजित होने वाला है। गुप्ता के कार्यालय निवेश नीतियों का महत्व ने एक बयान में कहा कि मंत्रियों ने इन देशों में निवेशकों और सरकारी अधिकारियों से मिलने के लिए 9 से 14 दिसंबर तक जर्मनी, बेल्जियम और स्वीडन का दौरा किया।
दौरे से लौटने के बाद, प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की और उन्हें यात्रा के बारे में जानकारी दी और एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी।
मंत्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और जर्मनी, बेल्जियम और स्वीडन के अपने दौरे और इन तीन प्रमुख यूरोपीय देशों के निवेश प्रस्तावों की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी। मंत्री ने मुख्यमंत्री को बताया कि निवेश प्रस्ताव मूल्यवान हैं। ₹ बयान में कहा गया है कि तीन देशों के नौ दिवसीय दौरे के दौरान 77,140 करोड़ रु.
बयान में कहा गया है कि रक्षा, फिल्म, चिकित्सा उपकरण, अपशिष्ट प्रबंधन और वस्त्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रतिष्ठित कंपनियों से निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
मंत्री ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि तीन देशों की अपनी यात्रा से पहले, उन्होंने संबंधित देशों के दूतावास के अधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉल बैठक की और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता के उद्देश्यों पर चर्चा की। विवरण के लिए जाएँ।
कंपनियों, निवेशकों और कारखानों के कार्यालयों का नियोजित दौरा किया गया, इस दौरान उन्हें राज्य सरकार की क्षेत्रवार औद्योगिक नीतियों से अवगत कराया गया।
बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने रोड शो और यूपी जीआईएस 2023 लक्ष्यों के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
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राजस्थान को बड़ा औद्योगिक केंद्र बनाने निवेश नीतियों का महत्व के लिए सभी मिलकर काम करेंः राज्यपाल
जयपुर, 24 दिसम्बर (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य को बड़ा औद्योगिक केंद्र बनाने का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र के प्रभावी विकास के साथ वहां कार्यरत कार्मिकों के कुशल प्रबंधन और वैश्विक जरूरतों के अनुरूप बेहतर कामकाजी हालात के निर्माण पर भी ध्यान देना होगा।
मिश्र ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उद्योग और सेवा क्षेत्र के अंतर्गत राजस्थान के सर्वांगीण विकास के लिए सभी को मिलकर कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने उद्योगों एवं सेवा क्षेत्र द्वारा सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए भी प्रतिबद्ध रहकर कार्य करने का आह्वान किया।
उन्होंने निवेश नीतियों का महत्व कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में ‘श्रमेव जयते’ तथा ‘सत्यमेव जयते’ को समान महत्व देते हुए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने देश के श्रम कल्याण कानूनों की चर्चा करते हुए कहा कि इनका उद्देध्य यही है कि उद्योग या सेवा क्षेत्र में काम करने वाले प्रोत्साहित रहें और वे उत्पादन वृद्धि के साथ गुणवत्तापूर्ण कार्य करें।
राज्य की उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने औद्योगिक क्षेत्र के विकास के निवेश नीतियों का महत्व लिए राज्य में चलाई जा रही विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार राजस्थान को औद्योगिक विकास और निवेश में देश का अग्रणी राज्य बनाने की कोशिश में जुटी है।
उन्होंने उद्योगों को दी जाने वाली सुविधाओं के साथ प्रदत्त छूट का लाभ लेकर लघु, वृहद और मध्यम उद्योगों के आधिकारिक विकास का आह्वान किया।
‘द एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान’ के स्थापना दिवस कार्यक्रम में मिश्र ने ‘सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता पुरस्कार’ के अलावा उत्कृष्ट औद्योगिक उत्पादन, श्रमिक संबंधों और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया।
Chanda Kochhar arrest: ICICI बैंक के पूर्व सीईओ पर क्या हैं आरोप?
Chanda Kochhar arrest: सीबीआई ने शुक्रवार को ICICI बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया। एक समय भारत के शीर्ष बैंकरों में से एक कोचर को सीबीआई मुख्यालय बुलाया गया था और संक्षिप्त पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। बताया गया कि उन्होंने गोलमाल जवाब दिया और जांचकर्ताओं के साथ सहयोग नहीं किया।
सीबीआई आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप से जुड़े ऋण धोखाधड़ी मामले में पूछताछ के लिए कोचर परिवार से पुलिस रिमांड मांग रही है। जांच एजेंसी ने कई आरोप लगाए हैं। आरोप लगाया गया कि वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा मंजूर किए गए ऋणों में धोखाधड़ी और अनियमितताएं थी। यह तब की बात है जब कोचर बैंक में टॉप पद पर थीं।
ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर पर क्या हैं आरोप?
चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत को सीबीआई ने भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश मामले में आरोपी बनाया है। ऋण धोखाधड़ी मामले में प्राथमिकी में नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भी आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई के अनुसार, वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को स्वीकृत लगभग 3,250 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधाएं आरबीआई के नियमों और आईसीआईसीआई बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन थीं।
सीबीआई ने दावा किया है कि धूत ने बदले में दीपक कोचर की नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया। धूत ने यह निवेश एक कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से किया था, जिसे उन्होंने दीपक कोचर द्वारा प्रबंधित पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को स्थानांतरित कर दिया था। ये ट्रांसफर 2010 से 2012 के बीच अलग-अलग तरीकों से हुए।
1,875 रुपये के छह लोन दिए
सीबीआई ने आरोप लगाया कि 2009 और 2011 के बीच कोचर के कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप और उससे जुड़ी फर्मों को 1,875 रुपये के छह ऋण वितरित किए। प्राथमिकी में कहा गया है कि चंदा कोचर 300 करोड़ रुपये और 750 करोड़ रुपये के दो मामलों में ऋण स्वीकृत करने वाली समितियों में थीं।
सितंबर 2009 में 300 करोड़ रुपये के ऋण के एक दिन बाद धूत ने नूपावर को 64 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए। चंदा कोचर ने मई 2009 में आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ के रूप में कार्यभार संभाला था। यह भी आरोप लगाया गया है कि इनमें से अधिकांश ऋण गैर-निष्पादित एसेट में बदल गए।
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Cyber Insurance: क्या है साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी, फ्रॉड होने पर कैसे मिलता है बेनिफिट
साइबर इंश्योरेंस आपको न सिर्फ साइबर खतरों से होने वाले किसी भी वित्तीय नुकसान से कवर देगा बल्कि डाटा बहाली, किसी रेगुलेटरी एक्शन या मुकदमेबाजी से होने वाले अन्य संबंधित खर्चों को भी कवर करेगा। आज के दौर में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आए दिन ऑनलाइन ठगी की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि सुरक्षा के लिए ‘साइबर इंश्योरेंस’ कराएं। साइबर इंश्योरेंस आपको न सिर्फ साइबर खतरों से होने वाले किसी भी वित्तीय नुकसान से कवर देगा बल्कि डाटा बहाली, किसी रेगुलेटरी एक्शन या मुकदमेबाजी से होने वाले अन्य संबंधित खर्चों को भी कवर करेगा। इस बारे में हमने ICICI Lombard GIC के चीफ अंडरराइटिंग, रीइंश्योरेंस एंड क्लेम्स, संजय दत्ता से बातचीत की है।
क्या है साइबर सिक्योरिटी इंश्योरेंस
साइबर इंश्योरेंस या साइबर सिक्योरिटी इंश्योरेंस कस्टमर्स को बैंक अकाउंट की ठगी, अनधिकृत लेन-देन और बहुत कुछ इस तरह की गतिविधियों से कवरेज प्रदान करता है। इसके लिए अभी तक 2 तरह के प्रोडक्ट हैं। जिसमें कॉर्पोरेट्स के लिए कॉर्पोरेट साइबर लायबिलिटी पॉलिसीज और इंडिविजुअल खरीदार के लिए रिटेल साइबर लायबिलिटी पॉलिसी हैं। निवेश नीतियों का महत्व इसके अलावा, B2B2C का एक बढ़ता हुआ सेग्मेंट है, जहां एक कॉर्पोरेट अपने ग्राहकों के लिए पॉलिसी खरीदता है या उन्हें अपने प्लेटफॉर्म या एप्लिकेशन पर इसे खरीदने का ऑफर करता है।
1. प्री-पैनडेमिक क्लेम के बाद से किस तरह के (संख्या भी) साइबर हमले हुए हैं और यह पैनडेमिक की शुरुआत के साथ कैसा रहा है?
महामारी के पहले क्लेम की संख्या तुलनात्मक रूप से कम थी। प्रमुख रूप से यह सिर्फ विशिष्ट क्षेत्रों (जैसे BFSI) और हाई नेट वर्थ वाले कॉरपोरेट्स को टारगेटेड थे। हालांकि कोविड के बाद कई अलग अलग इंडस्ट्री में क्लेम की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. ईमेल कॉम्प्रोमाइज और रैंसमवेयर अटैक को प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में देखा गया है।
2. बढ़ रहे साइबर हमलों के साथ आप पिछले कुछ समय निवेश नीतियों का महत्व में दावों की संख्या में किस तरह की बढ़ोतरी देख रहे हैं
हमने पिछले साल से साइबर सूचनाओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी देखी है। ये हमले प्रमुख रूप से रैंसमवेयर और बिजनेस ईमेल कॉम्प्रोमाइज अटैक के संयोजन रहे हैं। बिजनेस में रुकावटों के चलते क्लेम की बड़ी संख्या देखने को मिली, क्योंकि साइबर अटैकर लगातार चालाक होते जा रहे हैं। इसके साथ ही, हमने बड़े पैमाने पर डाटा एक्सफिल्ट्रेशन की एक परेशान करने वाला ट्रेंड भी देखा है, जिसके कारण डाटा लायबिलिटी के क्लेम सामने आए हैं।
3. कंपनियों को साइबर बीमा प्रोवाइड करते समय आप किन मापदंडों को देखते हैं? ( क्या आप कंपनी के आकार को देखते हैं या यह देखते हैं कि कंपनी किस तरह के साइबर सुरक्षा प्रबंधन का पालन करती है)
निहित जोखिम की समीक्षा करने के अलावा, हम कंपनी का व्यापक मूल्यांकन करते हैं। हम 3 प्रमुख पिलर्स को ध्यान में रखते हुए जोखिम का मूल्यांकन करते हैं। मसलन जो लोग हैं (मानव फायरवॉल कितना मजबूत है), प्रक्रिया (आंतरिक प्रक्रियाएं कितनी मैच्योर हैं) और टेक्नोलॉजी (सुरक्षा कंट्रोल कितने अच्छी तरह से व्यवस्थित किए गए हैं)। यह मूल्यांकन सूचना सुरक्षा नीति, व्यापार निरंतरता योजनाओं, डाटा की प्रकृति, इंडस्ट्री, उनके ऑपरेशन की जियो ग्राफिकल प्रेजेंस और बाहरी स्कैन की विभिन्न समीक्षाओं के संयोजन के माध्यम से किया जाता है।
4. ग्राहकों में साइबर सुरक्षा अनुपालन संबंधी कौन-सी बातें देखते हैं? क्या बढ़ते साइबर हमलों को देखते हुए पिछले कुछ साल में इन विचारों में कोई बदलाव आया है?
इन घटनाओं से संबंधित रेगुलेटरी व्यवस्था में डायनेमिक बदलावों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने ग्राहकों के अनुपालन की स्थिति पर विशेष रूप से एक रेगुलेटर वातावरण में काम करने वाले ग्राहककुनिर्भरता रखनी होगी। हाल के दिनों में विकसित हुए कुछ अतिरिक्त विचार इस तरह हैं-
a. वर्कफोर्स को जागरूक करना और ट्रेनिंग देना
b. सूचना सुरक्षा प्रमाणपत्र जैसे ISO 27001
c. डाटा जुटाने और स्टोरेज (GDPR, व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक और आईटी अधिनियम) के संबंध में आंतरिक नीतियां
d. बाहरी ऑडिट की फ्रीक्वेंसी और कमजोरियों को दूर करने में प्रगति।
5. क्या आपने अनुपालन संबंधी विचारों को आगे बढ़ाया है?
हाल की घटनाओं को देखें तो जोखिम का आकलन करते समय, हम उन फैक्टर को अधिक महत्व देते हैं, जो विभिन्न वैधानिक आवश्यकताओं के साथ बीमाधारक के अनुपालन से संबंधित हैं।
संजय दत्ता, चीफ- अंडरराइटिंग, रीइंश्योरेंस, क्लेम्स & एक्चुरियल, ICICI लोंबार्ड GIC
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