म्यूचुअल फंड: कम रिस्क के साथ चाहिए ज्यादा रिटर्न तो इंडेक्स फंड में करें निवेश, ये हैं टॉप 7 फंड
कोरोना महामारी के कारण बाजार में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। इसका असर म्यूचुअल फंड पर भी पड़ा है, और इसी का नतीजा है कि पिछले 3 से 6 महीनों में इसकी कई कैटेगरी में निगेटिव रिटर्न मिला या रिटर्न कम रहा है। ऐसे में लोग अब म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने से हिचकिचा रहे हैं। ऐसे में जो म्यूचुअल फंड निवेशक कम से कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए इंडेक्स फंड सही ऑप्शन हो सकते हैं।
क्या हैं इंडेक्स फंड?
इंडेक्स फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स मसलन निफ्टी 50 या सेंसेक्स 30 में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वेटेज होता है, स्कीम में उसी रेश्यो में उनके शेयर खरीदे जाते हैं। इसका मतलब यह है कि ऐसे फंडों का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है। यानी इंडेक्स का प्रदर्शन बेहतर होता है तो उस फंड में भी बेहतर रिटर्न की गुंजाइश होती है।
एक्सपेंस रेश्यो रहता है कम
इंडेक्स फंड में निवेश करने का खर्च अपेक्षाकृत कम होता है। बता दें कि अन्य प्रत्यक्ष रूप से प्रबंधित म्युचुअल फंडों में जहां एसेट मैनेजमेंट कंपनी तकरीबन 2% तक शुल्क वसूलती है, वहीं इंडेक्स फंडों का शुल्क बहुत कम यानी कि तकरीबन 0.5% से 1 के बीच होता है।
डाइवर्सिफिकेशन का मिलता है फायदा
इंडेक्स फंड से निवेशक अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं। इससे नुकसान की संभावना घट जाती है। अगर एक कंपनी के शेयर में कमजोरी आती है तो दूसरे में ग्रोथ से नुकसान कवर हो जाता है। इसके अलावा इंडेक्स फंडों में ट्रैकिंग एरर कम होता है। इससे इंडेक्स को इमेज करने की एक्यूरेसी बढ़ जाती है। इस तरह रिटर्न का सटीक अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
कितना देना होता है टैक्स?
12 महीने से कम समय में निवेश भुनाने पर इक्विटी फंड्स से कमाई पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है। यह मौजूदा नियमों के हिसाब से कमाई पर 15% तक लगाया जाता है। अगर आपका निवेश 12 महीनों से ज्यादा के लिए है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) माना जाएगा और इस पर 10% ब्याज देना होगा।
किसके लिए सही हैं इंडेक्स फंड?
इंडेक्स फंड उन निवेशकों के लिए सही हैं जो कम रिस्क के साथ शेयरों में निवेश करना चाहते हैं। इंडेक्स फंड ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो रिस्क कैलकुलेट करके चलना चाहते हैं, भले ही कम रिटर्न मिले।
Henley Passport Index 2022: भारत के पासपोर्ट के मुकाबले किस स्थान पर हैं चीन और पाकिस्तान?
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2022 (Henley Passport Index 2022) संकेतक किसके लिए हैं? की रैंकिंग आ गई है. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2022 के मुताबिक, भारत 87वें स्थान पर है. इस हिसाब से भारत के लोग 60 देशों में बिना वीजा या वीजा ऑन अराइवल के जरिए यात्रा कर सकते हैं. इस रैंकिंग में भारत समेत दुनिया के 199 देशों के शक्तिशाली और कमजोर पासपोर्ट के बारे में जानकारी दी गई है. हमें पता है कि अब आपके मन में चीन और पाकिस्तानी पासपोर्ट के बारे में जानने की इच्छा हो रही होगी.
उससे पहले हम आपको बता दें कि हेनले पासपोर्ट इंडेक्स ने दुनिया के सभी 199 पासपोर्ट को उनके डेस्टीनेशन की संख्या के अनुसार स्थान दिया है. जहां उनके धारक बिना किसी वीजा के पहुंच सकते हैं. जिसकी रैंकिंग इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के डेटा पर आधारित है. जो दुनिया की सबसे बड़ी यात्रा जानकारी के डेटाबेस को बनाए रखता है.
अब बात करें अपने पड़ोसी संकेतक किसके लिए हैं? यानी चीन और पाकिस्तान की तो इस रैंकिंग में चीन 69वें रैंक पर तो पाकिस्तान 109वें रैंक पर है. 69वें रैंक के साथ चीनी पासपोर्ट रखने वाले लोग 80 देशों में वीजा फ्री जा सकते हैं. वहीं, पावरफुल पासपोर्ट की इस रैंकिंग में पाकिस्तान का हाल बेहाल है. पाकिस्तानी पासपोर्ट दुनिया के सबसे खराब पासपोर्ट में चौथे स्थान में बना हुआ है.
पिछले साल भी पाकिस्तान का यही हाल था, जिसमें कोई सुधार नहीं हुआ है. हेनले रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी पासपोर्ट रखने वाले लोग मात्र 32 देश में ही फ्री वीजा जा सकते हैं, जिसमें सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं. अब बात टॉप 10 पासपोर्ट की करें तो इस सूची में 2022 में दुनिया के सबसे शक्तिशाली 10 पासपोर्ट हैं.
बिजनेस के 6 संकेत, जिसके बाद आपको बिजनेस लोन ले लेना चाहिए
जिस प्रकार से इंसान को जब भूख लगती है तो वह बोल कर संकेत करता है कि उसे खाना चाहिए। पशु चिल्लाना शुरु कर देते हैं। जिसका संकेत होता है कि उन्हें भूख लगी है। उनके लिए चारा चाहिए। ठीक उसी प्रकार से बिजनेस भी होता है। बिजनेस की जरुरतों को जब पूरा नहीं किया जाता है तो वह कुछ संकेत करते हैं। तब व्यापारी को समझ जाना चाहिए कि अब बिजनेस में पैसा लगाने का समय है।
बहुत बार ऐसा होता है कि जब बिजनेस में पैसा लगाने की आवश्यकता होती है, तब व्यापारी के पास खुद पैसा नहीं होता है। लेकिन, बिजनेस को तो ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता है। तो यहां पर काम आता है बिजनेस लोन। हालांकि, व्यापारी लोग बिजनेस लोन से पहले अपने दोस्त या परिवार जनों से मदद का इंतजाम चाहते हैं। लेकिन, यह एक नाकाफी प्रयास साबित होता है।
आइये इस आर्टिकल में समझते हैं कि बिजनेस में कब और कौन सा संकेत मिलता है, जब व्यापारी को बिजनेस लोन ले लेना चाहिए।
Table of Contents
एका-एक आपके पास बड़ा ऑर्डर आ गया हो
जब आप अपने छोटे व्यवसाय को बढ़ाना चाहते हैं, तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि क्या उस वृद्धि को सही ठहराने के लिए पर्याप्त बड़ा बाजार है। यदि आप संभावित निवेशकों के पास जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको यह प्रदर्शित करने की आवश्यकता है कि आपके उत्पाद की आवश्यकता है।
क्या आपने कई बाजारों में लोगों से पूछताछ की है? यदि आपके इनबॉक्स में आपके स्थान से अधिक बाजारों से ईमेल हैं, तो यह एक अच्छा संकेतक है कि अधिक फंडिंग से अधिक व्यवसाय होगा।
जब यह तय करने की बात आती है कि किसी व्यवसाय में निवेश करना है या नहीं, तो एक संभावित फंडर जानना चाहता है कि आपका विचार काम करता है और इसके लिए एक प्रदर्शित बाजार है। संभावित ग्राहकों से पूछताछ कि आपके पास अभी तक सेवा करने की क्षमता नहीं है, यह निश्चित प्रमाण है कि आप सही संसाधनों के साथ बढ़ने में सक्षम होंगे।
आपको प्रोडक्ट या सर्विस की मांग बढ़ती जा रही हो
आपके व्यवसाय की सफलता दो बातों पर निर्भर करती है: आपको कितनी लीड मिलती है, और उनमें से कितनी लीड आप बिक्री में परिवर्तित करते हैं। पिच से परे, निवेशक अंततः आपके विचार की संभावित लाभप्रदता में रुचि रखते हैं।
यह तय करते समय कि आपको फंडिंग को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है या नहीं (और, इसके अलावा, आप इसे प्राप्त करने में सफल होंगे या नहीं), देखने के लिए पहली जगह आपकी लीड है। यदि आपकी लीड ट्रेंड कर रही है, तो पंप को प्राइम करने और उन लीड को नए ग्राहकों में बदलने के लिए नकदी का उपयोग करने का समय आ गया है।
आपके व्यवसाय का प्रॉफिटबल ट्रैक रिकॉर्ड है
डेवलमेंट की संभावना से परे, दूसरी चीज जो फंडर्स की परवाह करती है वह है आपका ट्रैक रिकॉर्ड। इस मामले में, आप यह दिखाना चाहते हैं कि आपके व्यवसाय ने लाभ कमाया है और जारी है।
प्रदर्शित सफलता का अर्थ है कि आपका व्यवसाय मॉडल काम कर रहा है और संभवत: और अधिक के लिए तैयार है। बशर्ते आप बहुत तेज़ी से विस्तार न करें, आप बड़े पैमाने पर कुछ करने के अपने रास्ते पर हैं, और यह कुछ ऐसा है जिसे निवेशक भी ढूंढ रहे हैं।
आपने दिखाया है कि आपका प्रोडक्ट ग्राहकों के लिए काम करता है
एक शांत दिखने वाले प्रोटोटाइप का मज़ाक उड़ाना और कुछ अच्छी तकनीक और पावरपॉइंट के साथ निवेशकों को लुभाना एक बात है। जीवित, सांस लेने, बात करने वाले ग्राहकों के साथ परीक्षण और त्रुटि के माध्यम से किसी उत्पाद संकेतक किसके लिए हैं? को बनाना और पुनरावृत्त करना एक और बात है।
फीडबैक सत्र में जाते समय यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपके पास सही मानसिकता है। सुनिश्चित करें कि आप आलोचना संकेतक किसके लिए हैं? को एक अवसर के रूप में सुन रहे हैं, न कि खारिज करने या अनदेखा करने के लिए।
यहां तक कि अगर आपकी पहली प्रतिक्रिया यह मान लेना है कि ग्राहक के पास सभी तथ्य नहीं हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप ग्राहक के “क्यों” के बारे में जानने के लिए समय निकाल रहे हैं। आमतौर पर, वहाँ कुछ है।
नये लोगों को काम पर रखना हो
एक छोटा व्यवसाय कई अलग-अलग टोपी पहनने वाले लोगों के बारे में है। हर टीम 100 प्रतिशत समय लचीला और उत्तरदायी नहीं हो सकती है, लेकिन यदि आपका व्यवसाय किसी भी समस्या से निपटने में सक्षम है, तो यह एक महत्वपूर्ण संकेतक हो सकता है कि यह धन का पीछा करने का समय है।
जैसे-जैसे आप विस्तार करेंगे, आपको अपनी टीम को अधिक से अधिक जिम्मेदारियां सौंपने की आवश्यकता होगी। निर्णय लेने के अधिकार के साथ उन पर भरोसा करना महत्वपूर्ण होगा। यदि आप जानते हैं कि जब आपका व्यवसाय लाइन पर है तो आप अपनी टीम पर भरोसा कर सकते हैं, तो यह वित्त पोषण की तलाश करने का समय है।
आपके पास शानदार बिजनेस प्लान है
यदि आपके पास लाभप्रदता का एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है, तो आप पहले ही साबित कर चुके हैं कि आपके पास एक अच्छा व्यवसाय मॉडल है। आपकी व्यावसायिक योजना “क्यों” उसके पीछे “क्या” है।
हम जानते हैं कि आप छोटे पैमाने पर पैसा कमा सकते हैं, लेकिन जब आप बड़े हो जाते हैं तो क्या होता है? आप यह प्रदर्शित करना चाहते हैं कि आप जानते हैं कि दांव उठाए जाने पर क्या करना है। इसका मतलब है कि यह दिखाना कि आपका व्यवसाय कानूनी रूप से कैसे संरचित होगा, आपकी परिचालन लागत कैसी दिखती है, आपको किस तरह के उपकरणों की आवश्यकता होगी, आप स्टाफिंग और मार्केटिंग पर कैसे खर्च करेंगे, और बहुत कुछ।
आगे बढ़ने की संभावना दिख रही है
अपने व्यवसाय को बढ़ाना सही समय के बारे में है। आप बहुत तेज़ी से नहीं बढ़ना चाहते हैं, या आप अपने समय और ध्यान की बढ़ी हुई माँगों को पूरा करने के लिए दौड़ने में समस्याओं का सामना करेंगे। उसी समय, महान विचारों वाले कई व्यवसाय स्थिर हो जाते हैं क्योंकि वे उस फाइनेंशियल कंडिशन को सुरक्षित करने का अवसर नहीं लेते हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है। अगर आप फंडिंग को आगे बढ़ाने के संकेतक किसके लिए हैं? बारे में सोचते हुए, उन छह संकेतकों की तलाश करें, जिनका विस्तार करने के लिए आप तैयार हैं।
World Happiness Index 2021 : वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2021 में फिनलैंड फिर बना दुनिया का सबसे खुशहाल देश, जानें भारत समेत कौन-सा देश किस नम्बर पर
कहते हैं कि दुनिया की कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो लेकिन फिर भी परेशानी होने का मतलब यह नहीं है कि वहां के लोग खुश नहीं रह सकते। बहरहाल, आपकी खुशी का जो भी पैमाना हो.
कहते हैं कि दुनिया की कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो लेकिन फिर भी परेशानी होने का मतलब यह नहीं है कि वहां के लोग खुश नहीं रह सकते। बहरहाल, आपकी खुशी का जो भी पैमाना हो लेकिन हैप्पीनेस इंडेक्स में जगह बनाने के लिए कुछ इंडिकेटर्स रखे गए हैं, जिनके आधार पर हर साल वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स (World Happiness Index) की लिस्ट जारी की जाती है। इस लिस्ट में दुनिया के सबसे खुशहाल देश और नाखुश देशों का नाम होता है।
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2021 के अनुसार लगातार चौथे साल फिनलैंड सबसे खुश देशों में टॉप पर रहा। यूनाइटेड नेशंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क की जारी इस रिपोर्ट में दूसरे से पांचवें नंबर तक डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड और हॉलैंड का नाम रहा। वहीं नाखुश देशों की लिस्ट में भारत चौथे नंबर पर रहा। आइए, जानते हैं इस लिस्ट में कौन-कौन से देशों ने जगह बनाई है।
World Happiness Index top 20 list
।. फिनलैंड
17. यूनाइटेड किंगडम
19. संयुक्त राज्य अमेरिका
यूनाइटेड नेशंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क ने तीन मुख्य इंडिकेटर्स जीवन का मूल्यांकन (life evaluations), सकारात्मक भावनाएं (positive emotions) और नकारात्मक भावनाएं (negative emotions) को आधार मानते हुए विभिन्न देशों को इस लिस्ट में जगह दी है।
जिम्बाब्वे को वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में सबसे कम नंबर मिले हैं। इस वजह से यह दुनिया का सबसे परेशान और खुशहाल देश बन गया है। पिछले साल भी ये देश सबसे आखिर में था। इस देश में लंबे समय तक तानाशाही रही और अब भी राजनैतिक अस्थिरता बनी हुई है। भुखमरी और बेरोजगारी के अलावा स्वास्थ्य सुविधाएं संकेतक किसके लिए हैं? भी जिम्बाब्वे में नहीं के बराबर हैं। भारत 149 देशों की इस लिस्ट में 139 नम्बर पर है।
संकेतक किसके लिए हैं?
कृषि भूमि कीमत सूचकांक : कम उपज और कर्ज से जूझते किसानों के लिए बन सकता है सहारा
पायलट योजना के तहत अभी छह राज्यों को इसमें शामिल किया गया है। इनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। सितंबर, 2022 तक इसमें और राज्य शामिल किए जाएंगे।
By Vivek Mishra
On: Thursday 02 June 2022
Photo : भारतीय कृषि भूमि मूल्य सूचकांक को लेकर प्रेस कांफ्रेंस, फोटो : विवेक मिश्रा
किसानों के पास ऐसा कोई जरिया नहीं है जिससे वह ठीक से यह जानें कि उनकी कृषि योग्य जमीन की उचित कीमत क्या है? कभी किसान कृषि भूमि के अधिग्रहण पर हर्जाने को लेकर कानूनी विवाद में फंस जाता है तो कभी किसान अपने जमीन की वास्तविक कीमत नहीं हासिल कर पाता। कृषि जमीन से जुड़ी ऐसी ही समस्याओं के हल के लिए एक सूचकांक का रास्ता खोजा जा रहा है।
देश में पहली बार भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद के मिसरा सेंटर फॉर फाइनेंसियल मार्केट्स एंड इकोनॉमी सेंटर के जरिए ऐसा भारतीय कृषि भूमि मूल्य सूचकांक (आईएसएलपीआई) बनाने की कोशिश की गई है जो कृषि जमीनों की वास्तविक और उचित लाभकारी कीमत बताएगा। यह वेबसाइट सेंटर के जरिए ही होस्ट की जाएगी।
पायलट योजना के तहत अभी छह राज्यों को इसमें शामिल किया गया है। इनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। सितंबर, 2022 तक इसमें और राज्य शामिल किए जाएंगे।
आईआईएम अहमदाबाद के रियल इस्टेट फाइनेंस के एसोसिएट प्रोफेसर प्रशांत दास ने आईएसएलपीआई को जरूरत को लेकर बताया कि ज्यादातर किसान अपनी कृषि भूमि से जो रिटर्न हासिल कर रहे हैं वह नाकाफी है। मसलन किसानों को खेती में उपज से महज 0.5 से 2 फीसदी का रिटर्न हासिल हो पा रहा है। ऐसे में कृषि भूमि की बिक्री के रास्ते उन्हें अच्छी कीमत हासिल करने में यह सूचकांक काफी मददगार साबित हो सकता है।
दास ने बताया कि देश में 80 फीसदी कृषि परिवार खुद के कामकाज पर निर्भर हैं जबकि 70 फीसदी फसलों का उत्पादन करते हैं। खेती की जमीनों के अच्छे सौदे का भी उनके पास कोई साधन और उम्मीद नहीं है। ऐसे में रीयल इस्टेट की तर्ज पर कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त लाभकारी रास्ते पर चल सकती है।
यह सूचकांक डिजिटल डिवाईड झेलने वाले लघु और सीमांत किसानों की मदद किस तरह से कर पाएगा? इस सवाल को लेकर दास ने कहा कि यह उनके सामने एक चुनौती है जो आगे हल की जाएगी।
सूचकांक किस तरह से जमीन की कीमत निर्धारण करेगा। इसके लिए अभी चार प्रमुख फैक्टर्स लिए गए हैं। इनमें सिंचाई, नजदीकी कस्बे से दूरी, नजदीकी एयरपोर्ट से दूरी, इंटरनेशनल एयरपोर्ट की संभावना को प्रमुखता से शामिल किया गया है। सिंचाई की सुविधा के नजदीक होने पर कीमतों में 15 फीसदी और इंटरनेशनल एयरपोर्ट की संभावना होने पर 20 फीसदी कीमतों में सुधार होता है जबकि कस्बे से प्रति कलोमीटर दूर जाने पर 0.5 फीसदी और नजदीकी एयरपोर्ट से प्रति किलोमीटर दूर जाने पर एक फीसदी प्रति किलोमीटर कीमतों में फर्क पड़ता है। यानी कम होती हैं।
इस सूचकांक में डेटा आधारित मदद एसफार्मस इंडिया के जरिए की जा रही है। डाउन टू अर्थ के सवाल पर कि आखिर इस सूचकांक के लिए किस तरह के आंकड़े जुटाए गए? एस फार्म्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुप्पाराजू सिवकामेश्वरा राव ने कहा कि इसके लिए पूरे देश में 30 हजार किसानों का आंकड़ा इकट्ठा किया गया था। इसमें से 7 हजार किसानों ने 0.25 से लेकर 50 एकड़ तक की जमीनें बेची हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादा जमीनें बिक्री करने वाले बड़े रकबे वाले किसान हैं।
इन 30 हजार किसानों के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण से शुरु हुई पायलट योजना के तहत कृषि भूमि कीमत सूचकांक में दावा किया गया है कि वह छह राज्यों के कृषि जमीनों की उचित कीमत बताने में सक्षम होगा।
इस सूचकांक में कृषि योग्य भूमि की कीमत निर्धारण करने के लिए सर्कल रेट, रेवन्यू में दर्ज जमीन के प्रकार आदि विषयों का अभी समावेश नहीं किया गया है। दास ने कहा कि सूचकांक के लिए इन बिंदुओं को आगे शामिल किया जाएगा।
दास ने कहा कि हम चाहते हैं कि यह सूचकांक नीति-निर्माताओं को भी आकर्षित करे, ताकि वह किसी कृषि भूमि अधिग्रहण या अन्य कामकाज के लिए कृषि भूमि का उचित और वैज्ञानिक रूप से मुआवजा प्रदान कर सकें। यह सूचकांक बायर्स और सेलर्स के बीच प्राइस मूवमेंट से लेकर वित्तीय समावेश में लाभ पहुंचा सकता है। खासतौर से कृषि जमीन पर प्राप्त होने वाले लोन और बीमा भुगतान को बेहतर तरीके से निपटाने में यह मददगार होगा।
आईआईएमए के निदेशक प्रोफेसर एर्रोल डिसूजा ने कहा भारत में दुनिया का सिर्फ 2 फीसदी फसली जमीन का हिस्सा है लेकिन यह दुनिया के 15 फीसदी लोगों का पेट भरती है। हाल ही में हमने कृषि भूमि और संबद्ध व्यवासायों में उद्यमशीलका की रुचि में वृद्धि देखी है। कृषि इंजीनयिरिंग और अन्य तरह की उद्यमिता भी बढ़ी है। ऐसे में यह सही समय है कि एक ऐसा सूचकांक हो जो ऐसे लोगों को कृषि योग्य भूमि की कीमतों को लेकर गाइड कर सके।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 539