Author: Dan Mulligan
RBI Governor: विकसित देशों की मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर स्थिति में, जानें क्या कहा आरबीआइ गवर्नर ने
RBI Governor आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि लक्ष्य के अनुसार मुद्रास्फीति का स्तर बनाए रखने के लिए 2016 में अपनाए गए मौजूदा ढांचे ने बहुत अच्छा काम किया है और अर्थव्यवस्था तथा वित्तीय क्षेत्र के हित की खातिर यह जारी रहना चाहिए।
मुंबई, प्रेट्र। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपया अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब घरेलू मुद्रा कुछ दिन पहले 80 रुपये प्रति डालर के स्तर को पार कर गई थी। दास ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा और आरबीआइ द्वारा उठाए गए कदमों से रुपये के सुगम कारोबार में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि डिजिटल माध्यम से ऋण देने के विषय पर आरबीआइ जल्द ही नियमन लाएगा।
उठाए गए कदमों से रुपये के सुगम कारोबार में मिली मदद: शक्तिकांत
बैंक आफ बड़ौदा के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शक्तिकांत दास आरबीआइ डालर की आपूर्ति करके बाजार में नकदी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने यह भी साफ किया कि केंद्रीय बैंक ने रुपये के किसी विशेष स्तर का लक्ष्य तय नहीं किया है। आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि बिना जोखिम (अनहेजिंग) से बचाव वाली विदेशी मुद्रा की उधारी से परेशान होने की जरूरत नहीं है।
बड़ी संख्या में ऐसे लेनदेन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां कर रही हैं और सरकार जरूरत पड़ने पर इसमें हस्तक्षेप कर स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ सकती है और मदद भी दे सकती है। दास ने कहा कि लक्ष्य के अनुसार मुद्रास्फीति का स्तर बनाए रखने के लिए 2016 में अपनाए गए मौजूदा ढांचे ने बहुत अच्छा काम किया है और अर्थव्यवस्था तथा वित्तीय क्षेत्र के हित की खातिर यह जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा, 'तात्कालिक आवश्यकताओं के लिए हमें अपने लक्ष्य नहीं स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ बदलने चाहिए।'
गवर्नर बोले- ऐसे समय के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार जमा किया था
रुपये को संभालने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग कर रहा है, इसकी बानगी आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास के एक बयान से मिलती है। उन्होंने कहा कि आप बारिश होने पर इसका इस्तेमाल एक छाता खरीदने के लिए करते हैं। उन्होंने कहा कि आखिरकार इसी उद्देश्य के लिए हमने विदेशी मुद्रा भंडार जमा किया था। आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डालर घटकर 580.252 अरब डालर रह गया है।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में आ रही रिकवरी धीरे-धीरे सुदृढ़ हो रही है, चालू खाते का घाटा बहुत ज्यादा नहीं है और मुद्रास्फीति स्थिर है। इस महीने की शुरुआत में आरबीआइ ने विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ावा देने और रुपये में गिरावट को थामने के लिए सरकारी बांड में विदेशी निवेश के मानदंड को उदार बनाने और कंपनियों के लिए विदेशी उधार सीमा में वृद्धि सहित कई उपायों की घोषणा की थी।
योनि मुद्रा की विधि
- इसे करने के लिए सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं।
- अपने कंधों को ऊपर उठाकर या दीवार के सहारे सीधे बैठकर अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करें।
- अपने हाथ को इस तरह मोड़ें कि वह गर्भ जैसा आकार बना ले।
- अपने स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और अंगूठों को कानों के पास रखें।
- फिर तर्जनी उंगली को अपनी आंखों पर और मध्यमिका को नाक के बगल और अनामिका को होंठों के ऊपरी हिस्से पर रखें।
- साथ ही छोटी उंगली को होंठों के नीचे वाले हिस्से पर रख दें।
- सांस को नाक से भरते हुए मध्यमिका से नाक को दोनों से बंद कर दें।
- सांस को अपनी क्षमतानुसार रोकें और कुछ समय पश्चात ओम का जाप करते हुए धीरे से सांस को बाहर छोड़ दें।
- धीरे से वापस पुरानी पोजीशन में आ जाएं।
- शुरुआत में किसी की देखरेख में करें।
महिलाओं के लिए योनि मुद्रा के लाभ
योनि मुद्रा के कई लाभ हैं। मुद्रा का अभ्यास करने के कुछ प्राथमिक लाभ नीचे दिए गए हैं।
यूट्रस का कामकाज होता है नियंत्रित
यह यूट्रस के लिए लाभकारी और अनुशंसित योग है और प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। इस मुद्रा का अभ्यास महिलाओं के लिए एक बेहतरीन व्यायाम माना जाता है। यह हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करता है और एक महिला की प्रजनन प्रणाली के इष्टतम कामकाज में परिणाम देता है।
स्त्री ऊर्जा को बढ़ाती है यह मुद्रा
योनि मुद्रा एक महिला को उसकी आंतरिक स्त्री ऊर्जा से जुड़ने में मदद करती है। यह शरीर और प्राण के बीच सामंजस्य और संतुलन महिलाओं को खुद को उत्तेजित और फिर से जीवंत करने में मदद करती है।
पीरियड्स के लिए योनि मुद्रा
योनि मुद्रा गर्भ और मासिक धर्म चक्र और जड़ चक्र से जुड़ी होती है। यह गर्भ में प्राण को मजबूत करने में मदद करती है। इसलिए यह पीरियड्स के दौरान बेहद फायदेमंदहोती है।
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धरती से जोड़ती है आपको
योनि मुद्रा आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने वाली है। यह जीवित प्राणियों की उत्पत्ति और पोषण का प्रतीक है। इन आसनों से उत्पन्न शांति और मन की शांति आत्मा को मुक्त करती है और आत्मविश्वास का निर्माण करती है। यह मन के भीतर शरीर के तत्वों के बारे में जागरूकता पैदा करती है।
मुद्रा एक अच्छा सेवक है, किन्तु बुरा स्वामी | मुद्रा के दोष
मुद्रा एक अच्छा सेवक है, किन्तु बुरा स्वामी
‘मुद्रा एक अच्छा सेवक है, किन्तु बुरा स्वामी”– जार्ज एन. हॉम के शब्दों में, ‘निःसन्देह मुद्रा बाजार अर्थव्यवस्था के संचालन हेतु एक अपरिहार्य आवश्यकता है तथापि साथ ही साथ वह गम्भीर खतरे का स्रोत भी हो सकती है” आधुनिक विचारक मुद्रा को एक ‘आवश्यक बुराई’ या एक ‘अमिश्रित वरदान’ या एक ‘बहुमूल्य किन्तु खतरनाक आविष्कार’ या एक ‘अच्छा स्वामी किन्तु बुरा सेवक’ स्वीकार करते हैं। एक सेवक के रूप में मुद्रा मानव जाति की अनेक प्रकार से बहुमूलय सेवा करती है। परन्तु जब मेनुष्य मुद्रा को अपना स्वामी या जीवन का साध्य स्वीकार कर लेता है तब मुद्रा समाज में विभिन्न प्रकार की बुराइयों को जन्म देती है।
मुद्रा के दोष
मुद्रा के प्रमुख सामाजिक-आर्थिक दोष (बुराइयॉ) निम्नलिखित हैं-
1. ऋणग्रस्तता, अति पूँजीकरण और अति उत्पादन को प्रोत्साहन – मुद्रा ने उधार लेन-देन की क्रियाओं को सरल बना दिया है, जिसके कारण अदूरदर्शी व्यक्तियों को ऋण लेने का प्रोत्साहन मिला है। उद्योगपतियों को सहज रूप से पूँजी उधार मिल जाने के कारण कभी-कभी उद्योगों में अति पूँजीयन हो जाता है तथा अर्थव्यवस्था में अत्युत्पादन का संकट उत्पन्न हो जाता है।
2. आर्थिक विषमता और वर्ग संघर्ष का जन्म – मुद्रा ने समाज को ‘धनी’ एवं ‘निर्धन’ वर्गों में विभक्त करके वर्ग संघर्ष को जन्म दिया है। चूँकि मुद्रा ‘सामान्य माँग की वस्तु’ है, इसलिए मुद्रा के स्वामी को अन्य प्राकर की परिसम्पत्तियाँ रखने वाले व्यक्तियों की तुलना में विशेष आर्थिक शक्ति प्राप्त हो जाती है, जिसके द्वारा वह दुर्बल व्यक्तियो का शोषण करने में सफल हो जाता है।
स्थिर सिक्के क्या हैं? पूर्ण शुरुआती गाइड
Stablecoins वे क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनकी कीमत किसी अन्य मुद्रा, कमोडिटी या वित्तीय साधन से आंकी जाती स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ है। ऐतिहासिक रूप से, क्रिप्टोकरेंसी पारंपरिक मुद्राओं की तुलना में जोखिम भरा निवेश रहा है। यह काफी हद तक उनकी कीमत में उतार-चढ़ाव के कारण है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी के लिए रोजमर्रा के लेनदेन के साधन के रूप में काम करना मुश्किल हो गया है।
Stablecoin संभावित रूप से क्रिप्टो की कीमत में उतार-चढ़ाव की समस्याओं के समाधान के रूप में कार्य कर सकता है। ये क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन द्वारा संचालित होती हैं और सरकार समर्थित मुद्राओं जैसे अमेरिकी डॉलर, कीमती धातुओं जैसे चांदी या सोना, या यहां तक कि बिटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य से जुड़ी होती हैं।
स्थिर सिक्कों की आवश्यकता
स्टैब्लॉक्स के सबसे बड़े लाभों में से एक उन्हें फिएट और क्रिप्टोकरेंसी के बीच एक सेतु के रूप में उपयोग करने की क्षमता है। नतीजतन, क्रिप्टो व्यवसाय नियमित रूप से नकदी लेनदेन करने के लिए स्थिर सिक्कों का उपयोग करते हैं, अस्थिरता को कम करते हुए दक्षता सुनिश्चित करते हैं।
स्थिर सिक्के भी मूल्य के भंडार के रूप में कार्य कर सकते हैं जबकि अभी भी कई क्रिप्टो पारिस्थितिक तंत्रों के माध्यम से स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने में सक्षम हैं।
उदाहरण के लिए, Stablecoins व्यापारियों को अपना पैसा एक्सचेंज, प्रोटोकॉल और वॉलेट में रखने में सक्षम बनाता है, जबकि अन्य क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए उन्हें स्वैप करने के लिए हमेशा त्वरित पहुंच होती है।
यह व्यापारियों को जोखिम भरी संपत्ति पर होल्ड किए बिना कैश आउट से जुड़े उच्च शुल्क से बचने की अनुमति देता है।
स्थिर सिक्कों के प्रकार
फिएट संपार्श्विक – वर्तमान में प्रचलन में सबसे लोकप्रिय स्थिर मुद्राएं अमेरिकी डॉलर, यूरो या येन जैसी फिएट मुद्रा द्वारा 1:1 समर्थित हैं। इन स्थिर सिक्कों का समर्थन जारीकर्ता के पास होता है और प्रचलन में स्थिर सिक्कों के कुल मूल्य के बराबर होना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक स्थिर मुद्रा जारीकर्ता जिसके पास फिएट मुद्रा में $ 100 मिलियन है, केवल $ 100 मिलियन तक स्थिर मुद्रा में जारी कर सकता है, प्रत्येक का मूल्य $ 1 है। फिएट संपार्श्विक द्वारा समर्थित कुछ सबसे लोकप्रिय स्टैब्लॉक्स में टीथर (यूएसडीटी), यूएसडी कॉइन (यूएसडीसी), और पैक्सोस स्टैंडर्ड (पीएएक्स) शामिल हैं।
कमोडिटी संपार्श्विक – कमोडिटी-समर्थित स्थिर स्टॉक कीमती धातुओं, तेल या अचल संपत्ति जैसी भौतिक संपत्ति की कीमत पर आंकी जाती है। कमोडिटी-समर्थित स्टैब्लॉक्स नकदी के लिए टोकन का आदान-प्रदान करने या बहुत कम रखरखाव लागत के साथ अंतर्निहित कमोडिटी की स्थिति लेने की सुविधा प्रदान करते हैं, निवेशकों को सोने और चांदी जैसी वस्तुओं के मालिक होने का प्रस्ताव देते हैं जिनकी पहले उच्च भंडारण लागत होती थी। जबकि कमोडिटी-आधारित स्टैब्लॉक्स कमोडिटी की कीमत को ट्रैक करके अपना मूल्य रखते हैं, वे फ़िएट-समर्थित स्टैब्लॉक्स की तुलना में कीमत में उतार-चढ़ाव की अधिक संभावना रखते हैं। कुछ कमोडिटी संपार्श्विक टोकन में पैक्सोस गोल्ड और टीथर स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ गोल्ड शामिल हैं।
Stablecoins का उपयोग करने का जोखिम
हालांकि स्टैब्लॉक्स के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कई नुकसान हैं जिनके बारे में पता होना चाहिए।
केंद्रीकरण जोखिम – क्योंकि एक ही कंपनी केंद्रीकृत स्थिर मुद्रा को नियंत्रित करती है, खाते चोरी, निष्क्रियता और दुरुपयोग की चपेट में हैं। एक केंद्रीकृत स्थिर मुद्रा उन सभी मौद्रिक मुद्दों के अधीन होती है जो फ़िएट मुद्राओं को प्रभावित करते हैं जब एक केंद्रीय प्राधिकरण बिना निरीक्षण के पैसे प्रिंट कर सकता है, संभावित रूप से हाइपरइन्फ्लेशन की ओर अग्रसर होता है।
नियामक जोखिम – अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में स्थिर सिक्के उच्च नियामक जोखिम के अधीन हो सकते हैं, क्योंकि वे राज्यों की संप्रभुता के लिए खतरा हैं।
पारदर्शिता जोखिम – केंद्रीकृत संस्थाएं अधिकांश स्थिर शेयरों को नियंत्रित करती हैं, इसलिए बैकिंग ऑफ-चेन होती है। इससे यह निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है कि क्या एक स्थिर मुद्रा पूरी तरह से समर्थित है, और उत्तर खोजना कई बार मुश्किल हो सकता है।
इधर खींचो, उधर उघाड़
- नई दिल्ली,
- 10 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 10 अक्टूबर 2022, 6:00 PM IST)
इस साल जुलाई में भारतीय रुपए ने तब पहली बार प्रति डॉलर 80 का मनोवैज्ञानिक स्तर पार किया, जब महंगाई पर लगाम कसने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें कई बार बढ़ाईं, नतीजतन डॉलर मजबूत हुआ. कुछ दिन थमने के बाद रुपए ने 28 सितंबर को एक बार फिर प्रति डॉलर 80 का निशान पार कर लिया और 81.9 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया. थोड़ा संभला पर 3 अक्तूबर को स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ फिर 81.7 पर आ लगा.
भारत के लिए ज्यादा फिक्र की बात यह है कि रुपए की गिरावट को थामने की आरबीआइ की कोशिशें आंशिक तौर पर ही कामयाब रही हैं. इतना ही नहीं, रुपए को थामने के चक्कर में वह देश का विदेशी मुद्रा भंडार उलीच रहा है, जो पिछले साल 3 सितंबर को 642 अरब डॉलर (52.4 लाख करोड़ रुपए) से घटते-घटते 23 सितंबर को 537 अरब डॉलर (43.9 लाख करोड़ रुपए) पर आ गया. दरअसल, आरबीआइ की तरफ से सरकारी बैंक डॉलर की भारी खरीद का सहारा ले रहे हैं.
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