चेन्नई तमिलनाडु के सेंट जॉर्ज किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी

भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित तमिलनाडु राज्य भारत का सबसे प्रमुख राज्य है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में स्थित सेंट जॉर्ज किला भारत के उपनिवेशवाद होने का सबसे अच्छा उदाहरण है, क्यूंकि इस किले का निर्माण ब्रिटिश सरकार द्वारा करवाया गया था। यह किला यूरोपीय वास्तुकला शैली का प्रतिनिधित्व करता है।

फोर्ट सेंट जॉर्ज का इतिहास

ईस्ट इंडिया कंपनी लगभग 1600 ई. के आसपास व्यापार के उद्देश्य से भारत में आई थी, जिसने सूरत की सरकार से लाइसेंस प्राप्त अपने व्यापार को शुरू कर दिया था। जब उन्होंने व्यापार शुरू किया था तब उन्हें मलक्का जलडमरूमध्य (इंडोनेशिया) के नजदीक एक बंदरगाह की आवश्यकता महसूस हुई थी, जिस कारण उन्होंने भारत के पूर्वी तट पर एक भूमि का टुकड़ा खरीदने का निश्चय किया जिसमे वह सफल रहे और उन्होंने उस क्षेत्र को मूल रूप से चेनिर्यायरपट्टिनम (चन्नपट्टनम) का नाम दिया गया था।

इस भूमि के टुकड़े पर वर्ष 1638 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सेंट जॉर्ज फोर्ट का निर्माण शुरू किया गया था जिसे वर्ष 1644 ई. तक बनाकर पूर्ण कर दिया गया। इस किले से ही जॉर्ज टाउन नामक एक योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके अनुसार उस क्षेत्र के गांवों को समाप्त कर एक शहर के निर्माण की योजना को कार्यप्रणाली में लाया गया था, इसके परिणाम स्वरूप ही मद्रास शहर का निर्माण हुआ था।

इस किले ने ही कर्नाटक पर अंग्रेजी सरकार के प्रभाव को बढ़ाने, आर्कोट और श्रीरंगपटना के राजाओं के शासन को समाप्त करने का भी कार्य किया था। यह किला 18वीं शताब्दी तक कई हमलों से जूझता रहा, जिसे वर्ष 1746 ई. में फ्रांसीसी ने अपने कब्जे में ले लिया, जिसे बाद में उसने एक एक्स ला चैपल संधि के तहत सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? इसे ग्रेट ब्रिटेन सौंप दिया था। वर्ष 1947 के बाद से इस किले पर भारत सारकार का नियंत्रण है।

लगातार दूसरे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना अमेरिका

अमेरिका-भारत

अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था।

17.42 अरब डॉलर रहा व्यापार अंतर
अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा। 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था। अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था।

भारत और चीन के बीच घटा द्विपक्षीय व्यापार
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के मुताबिक, चीन 2013-14 से 2017-18 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। चीन से पहले, यूएई देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिया बयान
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, 'विश्व का आर्थिक परिदृश्य बहुत अनुकूल है, चीन से निपटने के लिए दुनिया बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं है। इसलिए यह भारतीय उद्योगों के लिए बहुत अच्छा अवसर है। हम अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं और स्थिति का लाभ उठा सकते हैं। विश्व बैंक ने पहले ही कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) में भारत की रैंक बढ़ा दी है लेकिन क्लीयरेंस, सर्टिफिकेट और कंप्लायंस की प्रक्रियाएं बहुत जटिल हैं। हम सभी को डिजिटलाइज बनाने की कोशिश कर रहे हैं।'

आयात पर निर्भरता कम की जाए- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जानकारों का मानना है कि इस समय भारत को जो दो महत्वपूर्ण काम करने हैं, उसमें चीन पर आर्थिक दबाव डालना और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ना है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात के प्रसारण में आत्मनिर्भर भारत बनने की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में बनने वाली वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाए और दूसरे देशों से आयात पर निर्भरता कम की जाए।

जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ता गया, वैसे ही चीन की भारत में हिस्सेदारी भी बढ़ती गई। साल 2001-2002 में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार महज तीन अरब डॉलर का था सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? जो 2018-19 में बढ़कर 87 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आयात-निर्यात के गणित को समझें तो भारत ने चीन से करीब 70 अरब डॉलर का आयात किया, वहीं चीन को करीब 17 अरब डॉलर का निर्यात किया।

अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था।

17.42 अरब डॉलर रहा व्यापार अंतर
अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा। 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था। अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था।

भारत और चीन के बीच घटा द्विपक्षीय व्यापार
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के मुताबिक, चीन 2013-14 से 2017-18 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। चीन से पहले, यूएई देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिया बयान
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, 'विश्व का आर्थिक परिदृश्य बहुत अनुकूल है, चीन से निपटने के लिए दुनिया बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं है। इसलिए यह भारतीय उद्योगों के लिए बहुत अच्छा अवसर है। हम अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं और स्थिति का लाभ उठा सकते हैं। विश्व बैंक ने पहले ही कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) में भारत की रैंक बढ़ा दी है लेकिन क्लीयरेंस, सर्टिफिकेट और कंप्लायंस की प्रक्रियाएं बहुत जटिल हैं। हम सभी को डिजिटलाइज बनाने की कोशिश कर रहे हैं।'

आयात पर निर्भरता कम की जाए- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जानकारों का मानना है कि इस समय भारत को जो दो महत्वपूर्ण काम करने हैं, उसमें चीन पर आर्थिक दबाव डालना और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ना है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात के प्रसारण सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? में आत्मनिर्भर भारत बनने की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में बनने वाली वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाए और दूसरे देशों से आयात पर निर्भरता कम की जाए।

जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ता गया, वैसे ही चीन की भारत में हिस्सेदारी भी बढ़ती गई। साल 2001-2002 में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार महज तीन अरब डॉलर का था जो 2018-19 में बढ़कर 87 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आयात-निर्यात के गणित को समझें तो भारत ने चीन से करीब 70 अरब डॉलर का आयात किया, वहीं चीन को करीब 17 अरब डॉलर का निर्यात किया।

FIFA World Cup Final 2018: क्रोएशिया को 4-2 से हराकर फ्रांस 20 साल बाद फिर बना चैंपियन

फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था. तब उसके कप्तान डिडियर डेसचैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं

Updated: July 15, 2018 11:28 PM IST

FIFA World Cup Final 2018: क्रोएशिया को 4-2 से हराकर फ्रांस 20 साल बाद फिर बना चैंपियन

मॉस्को: महत्वपूर्ण मौकों पर स्कोर करने की अपनी काबिलियत और भाग्य के दम पर फ्रांस ने रविवार को यहां फीफा विश्व कप के रोमांचक फाइनल में दमदार क्रोएशिया को 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मैंडजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनायी लेकिन सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया. फ्रांस को हालांकि जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस मध्यांतर तक 2-1 से आगे रहा. पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी. जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगायी.

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20 साल बाद फिर जीता कप
फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था. तब उसके कप्तान डिडियर डेसचैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं. इस तरह से डेसचैम्प्स खिलाड़ी और कोच के रूप में विश्व कप जीतने वाले तीसरे व्यक्ति बन गये हैं. उनसे पहले ब्राजील के मारियो जगालो और जर्मनी फ्रैंक बेकनबऊर ने यह उपलब्धि हासिल की थी.क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा था. उसने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किये और अपने कौशल और चपलता से दर्शकों का दिल भी जीता लेकिन आखिर में जालटको डालिच की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा.

भाग्य ने दिया फ्रांस का साथ
निसंदेह क्रोएशिया ने बेहतर फुटबाल खेली लेकिन फ्रांस अधिक प्रभावी और चतुराईपूर्ण खेल दिखाया, यही उसकी असली ताकत है जिसके दम पर वह 20 साल बाद फिर चैम्पियन बनने में सफल रहा. दोनों टीमें 4-2-3-1 के संयोजन के साथ मैदान पर उतरी. क्रोएशिया ने इंग्लैंड की खिलाफ जीत दर्ज करने वाली शुरुआती एकादश में बदलाव नहीं किया तो फ्रांसीसी कोच डेसचैम्प्स ने अपनी रक्षापंक्ति सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? को मजबूत करने पर ध्यान दिया. क्रोएशिया ने अच्छी शुरुआत और पहले हाफ में न सिर्फ गेंद पर अधिक कब्जा जमाये रखा बल्कि इस बीच आक्रामक रणनीति भी अपनाये रखी. उसने दर्शकों में रोमांच भरा जबकि फ्रांस ने अपने खेल से निराश किया. यह अलग बात है कि भाग्य फ्रांस के साथ था और वह बिना किसी खास प्रयास के दो गोल करने में सफल रहा.

18वें मिनट में पहला मौका
फ्रांस के पास पहला मौका 18वें मिनट में मिला और वह इसी पर बढ़त बनाने में कामयाब रहा. फ्रांस को दायीं तरफ बाक्स के करीब फ्री किक मिली. ग्रीजमैन का क्रास शॉट गोलकीपर डेनियल सुबासिच की तरफ बढ़ रहा था लेकिन तभी मैंडजुकिच ने उस पर हेडर लगा दिया और गेंद गोल में घुस गयी. इस तरह से मैंडजुकिच विश्व कप फाइनल में आत्मघाती गोल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गये. यह वर्तमान विश्व कप का रिकार्ड 12वां आत्मघाती गोल है.

दर्शनीय गोल
पेरिसिच ने हालांकि जल्द ही बराबरी का गोल करके क्रोएशियाई प्रशंसकों और मैंडजुकिच में जोश भरा. पेरिसिच का यह गोल दर्शनीय था जिसने लुजनिकी स्टेडियम में बैठे दर्शकों को रोमांचित करने में कसर नहीं छोड़ी. क्रोएशिया को फ्री किक मिली और फ्रांस इसके खतरे को नहीं टाल पाया. मैंडजुकिच और डोमागोज विडा के प्रयास से गेंद विंगर पेरिसिच को मिली. उन्होंने थोड़ा समय लिया और फिर बायें पांव से शाट जमाकर गेंद को गोल के हवाले कर दिया. फ्रांसीसी गोलकीपरी ह्यूगो लोरिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था.

पेरिसिच की गलती से फ्रांस को पेनल्टी मिली
लेकिन इसके तुरंत बाद पेरिसिच की गलती से फ्रांस को पेनल्टी मिल गयी. बाक्स के अंदर गेंद पेरिसिच के हाथ से लग गयी. रेफरी ने वीएआर की मदद ली और फ्रांस को पेनल्टी दे दी. अनुभवी ग्रीजमैन ने उस पर गोल करने में कोई गलती नहीं की. यह 1974 के बाद विश्व कप में पहला अवसर है जबकि फाइनल में मध्यांतर से पहले तीन गोल हुए. क्रोएशिया सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? ने इस संख्या को बढ़ाने के लिये लगातार अच्छे प्रयास किये लेकिन फ्रांस ने अपनी ताकत गोल बचाने पर लगा दी. इस बीच पोग्बा ने देजान लोवरान को गोल करने से रोका. क्रोएशिया ने दूसरे हाफ में भी आक्रमण की रणनीति अपनायी और फ्रांस को दबाव में रखा. खेल के 48वें मिनट में लुका मोड्रिच ने एंटे रेबिच का गेंद थमायी जिन्होंने गोल पर अच्छा शाट जमाया लेकिन लोरिस ने बड़ी खूबसूरती से उसे बचा दिया.

फ्रांस ने फिर बाजी मारी
लेकिन गोल करना महत्वपूर्ण होता है और इसमें फ्रांस ने फिर से बाजी मारी. दूसरे हाफ में वैसे भी उसकी टीम बदली हुई लग रही थी. खेल के 59वें मिनट में किलियान एमबापे दायें छोर से गेंद लेकर आगे बढ़े. उन्होंने पोग्बा तक गेंद पहुंचायी जिनका शॉट विडा ने रोक दिया. रिबाउंड पर गेंद फिर से पोग्बा के पास पहुंची जिन्होंने उस पर गोल दाग दिया. इसके छह मिनट बाद एमबापे ने स्कोर 4-1 कर दिया. उन्होंने बायें छोर से लुकास हर्नाडेज से मिली गेंद पर नियंत्रण बनाया और फिर 25 गज की दूरी से शाट जमाकर गोल दाग दिया जिसका विडा और सुबासिच के पास कोई जवाब नहीं था.

गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी
एमबापे ने 19 साल 207 दिन की उम्र में गोल दागा और वह विश्व कप फाइनल में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गये. पेले ने 1958 में 17 साल की उम्र में गोल दागा था. क्रोएशिया लेकिन हार मानने वाला नहीं था. तीन गोल से पिछड़ने के बावजूद उसका जज्बा देखने लायक था लेकिन उसने दूसरा गोल फ्रांसीसी गोलकीपर लोरिस की गलती से किया. उन्होंने तब गेंद को ड्रिबल किया जबकि मैंडजुकिच पास में थे. क्रोएशियाई फारवर्ड ने उनसे गेंद छीनकर आसानी से उसे गोल में डाल दिया. इसके बाद भी क्रोएशिया ने हार नहीं मानी. उसने कुछ अच्छे प्रयास किये लेकिन उसके शाट बाहर चले गये. इस बीच इंजुरी टाइम में सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? पोग्बा को अपना दूसरा गोल करने का मौका मिला लेकिन वह चूक गये. रेफरी की अंतिम सीटी बजते ही फ्रांस जश्न में डूब गया.

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यहां पैसा देकर होता है सबसे ज्यादा सेक्स, ये हैं दुनिया के 10 सबसे बड़े रेडलाइट एरिया

दुनिया भले ही कितनी आधुनिक और प्रोग्रेसिव हो जाए, महिलाएं आज भी देह व्यापार कर रोजी-रोटी कमाने को मजबूर हैं. अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया के कई इलाकों में स्थित रेडलाइट एरिया इसका प्रमाण हैं. हालांकि कुछ देशों में रेड लाइट एरिया को कानूनी मान्यता मिली है, तो कई देशों में यह अवैध रूप से आज भी चल रहे हैं. भारत में रेडलाइट इलाकों को कानूनी मान्यता नहीं मिली है, बावजूद इसके कोलाकाता के सोनागाछी और मुंबई के कमाठीपुरा जैसे इलाके देश में महिलाओं के सेक्स बाजार में फंसे होने की दर्दनाक कहानी बयां करते हैं. आइए आपको बताते हैं दुनिया के 10 बड़े रेडलाइट एरिया के बारे में, जहां तमाम समाज सुधार कार्यक्रमों के बाद भी कई महिलाएं सेक्स व्यापार करने को मजबूर हैं.

  • News18Hindi Last Updated : August 30, 2018, 16:16 IST

 दुनिया भले ही कितनी आधुनिक और प्रोग्रेसिव हो जाए, महिलाएं आज भी देह व्यापार कर रोजी-रोटी कमाने को मजबूर हैं. अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया के कई इलाकों में स्थित रेडलाइट एरिया इसका प्रमाण हैं. हालांकि कुछ देशों में रेड लाइट एरिया को कानूनी मान्यता मिली है, तो कई देशों में यह अवैध रूप से आज भी चल रहे हैं. भारत में रेडलाइट इलाकों को कानूनी मान्यता नहीं मिली है, बावजूद इसके कोलाकाता के सोनागाछी और मुंबई के कमाठीपुरा जैसे इलाके देश में महिलाओं के सेक्स बाजार में फंसे होने की दर्दनाक कहानी बयां करते हैं. आइए आपको बताते हैं दुनिया के 10 बड़े रेडलाइट एरिया के बारे में, जहां तमाम समाज सुधार कार्यक्रमों के बाद भी कई महिलाएं सेक्स व्यापार करने को मजबूर हैं.

दुनिया भले ही कितनी आधुनिक और प्रोग्रेसिव हो जाए, महिलाएं आज भी देह व्यापार कर रोजी-रोटी कमाने को मजबूर हैं. अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया के कई इलाकों में स्थित रेडलाइट एरिया इसका प्रमाण हैं. हालांकि कुछ देशों में रेड लाइट एरिया को कानूनी मान्यता मिली है, तो कई देशों में यह अवैध रूप से आज भी चल रहे हैं. भारत में रेडलाइट इलाकों को कानूनी मान्यता नहीं मिली है, बावजूद इसके कोलाकाता के सोनागाछी और मुंबई के कमाठीपुरा जैसे इलाके देश में महिलाओं के सेक्स बाजार में फंसे होने की दर्दनाक कहानी बयां करते हैं. आइए आपको बताते हैं दुनिया के 10 बड़े रेडलाइट एरिया के बारे में, जहां तमाम समाज सुधार सबसे अच्छा फ्रांसीसी व्यापारी कौन है? कार्यक्रमों के बाद भी कई महिलाएं सेक्स व्यापार करने को मजबूर हैं.

 मोंटे मात्रे, पेरिस फ्रांस: मोंटे मात्रे पेरिस का सबसे लो‍कप्रिय रेडलाइट इलाका है. यहां हर तरह के बार, होटल उपलब्‍ध हैं. इसके अलावा यहां सेक्‍स वीडियो, पॉर्न सीडी की बड़ी दुकानें हैं जबकि सेक्‍स टॉकिज और थियेटर भी यहां आसानी से मिल जाएंगे. यहां पर दुनिया के सबसे लोकप्रिय नाइट क्‍लब इलाई मोंटे मात्रे और मुलिन रॉ स्थित हैं.

मोंटे मात्रे, पेरिस फ्रांस: मोंटे मात्रे पेरिस का सबसे लो‍कप्रिय रेडलाइट इलाका है. यहां हर तरह के बार, होटल उपलब्‍ध हैं. इसके अलावा यहां सेक्‍स वीडियो, पॉर्न सीडी की बड़ी दुकानें हैं जबकि सेक्‍स टॉकिज और थियेटर भी यहां आसानी से मिल जाएंगे. यहां पर दुनिया के सबसे लोकप्रिय नाइट क्‍लब इलाई मोंटे मात्रे और मुलिन रॉ स्थित हैं.

फ्रांस का राष्ट्रीय पक्षी क्या है | National Bird of France

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गैलिक रोस्टर (फ्रेंच मुर्गा) फ्रांस के एक राष्ट्र का एक अनौपचारिक राष्ट्रीय प्रतीक है, और फ्रांस का राष्ट्रीय पक्षी फ्रेंच मुर्गा है । फ्रेंच मुर्गा वालोनिया क्षेत्र और बेल्जियम के फ्रांसीसी समुदाय का प्रतीक भी है। गैलिक रोस्टर (फ्रेंच मुर्गा) का उपयोग प्रारंभिक मध्य युग के बाद से फ्रांस में चर्च की घंटी टावरों पर एक आभूषण के रूप में किया गया है, लेकिन उस समय संभवतः इसका उपयोग सतर्कता का प्रतीक करने के लिए किया गया था क्योंकि रोस्टर को सूर्योदय की उम्मीद में क्रो के लिए जाना जाता है।

गैलिक रोस्टर सदियों से लोक कलाकारों द्वारा सिरेमिक या नक्काशीदार और लकड़ी के फर्नीचर पर एक सजावटी आकृति के रूप में उपयोग किया जाता है। फ्रांस पश्चिमी यूरोप और कई विदेशी क्षेत्रों में महानगरीय फ्रांस से मिलकर बना देश है। फ्रांस का महानगरीय क्षेत्र भूमध्य सागर से इंग्लिश चैनल और उत्तरी सागर और राइन से अटलांटिक महासागर तक फैला हुआ है।

यह बेल्जियम, लक्समबर्ग और जर्मनी को उत्तर-पूर्व, स्विट्जरलैंड, मोनाको और पूर्व में इटली और दक्षिण में अंडोरा और स्पेन की सीमा में आता है। विदेशी क्षेत्रों में दक्षिण अमेरिका में फ्रेंच गुयाना और अटलांटिक, प्रशांत और भारतीय महासागरों में कई द्वीप शामिल हैं। देश के 18 अभिन्न क्षेत्र (जिनमें से पांच विदेशों में स्थित हैं) 643,801 वर्ग किलोमीटर के संयुक्त क्षेत्र में फैला हुआ है।

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  • Computer Gk Quiz |Physics Gk Quiz | One Liner GK in Hindi

फ्रांस यूरोपीय संघ और यूरोजोन का संस्थापक और प्रमुख सदस्य है, नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD), विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है।

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