ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स
अपने आपको को फिट रखने के लिए हम स्विमिंग, डांसिंग, साइकिलिंग, वाकिंग और रनिंग जैसी कई नैचुरल ऐक्टिविटीज कर सकते हैं। वैसे चलना और दौड़ना एक जैसी गतिविधियां लग सकती हैं, लेकिन दोनों में काफी अंतर है। यदि आप दौड़ना और चलना पसंद करती हैं, तो आपको अपने पैरों के लिए परफेक्ट जूते लेने चाहिए, ताकि इन गतिविधियों ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स से आपके शरीर को पूरा-पूरा फायदा मिल सके।
सुनने में ये अजीब लग सकता है कि दौड़ने और चलने के लिए अलग-अलग जूतों की क्या ज़रूरत है। लेकिन एक्स्पर्ट्स की मानें तो हमारे पैर हर एक गतिविधि में अलग तरह से रिऐक्ट करते हैं। चलते वक़्त हमारे पैर अलग तरह से ज़मीन/ट्रेड मील पर पड़ते हैं, वहीं दौड़ते वक़्त पैर और ज़मीन/ट्रेड मील के बीच का संपर्क बिल्कुल बदल जाता है।
ग़लत जूते आपके पैरों की नसों पर दबाव बनाकर दर्द पैदा कर सकते हैं। ग़लत जगह पर दबाव पड़ने से आपके पैरों में सूजन और तेज़ दर्द उठ सकता है। इसलिए हम आपको दौड़ने और चलने के लिए किस तरह के जूतों का इस्तेमाल करना चाहिए इसके बारे में बता रहे हैं और यह भी बता रहे हैं कि दोनों के बीच क्या अंतर होता है।
रनिंग शूज कैसा होना चाहिए?
रनिंग शूज हल्के होने चाहिए, ताकि उन्हें पहनकर दौड़ने में आसानी हो। अब इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है, कि वाकिंग शूज भारी होने चाहिए। यह सच है कि वाकिंग शूज, रनिंग शूज के मुक़ाबले बस थोड़े-से भारी होते हैं। कम वज़न के जूते आपके पैरों पर कम इम्पैक्ट डालते हैं, जिससे आपको कम थकान महसूस होती है।
अच्छे जूते दौड़ते हुए और उसके बाद आपके पैरों को जल्दी रिकवर होने में मदद करते हैं। अब आप सोच रही होंगी कि जूतों का थकान व रिकवरी से क्या कनेक्शन? तो इसे समझने के लिए ध्यान दीजिए कि जब आप हील्स पहनकर चलती हैं, तो पैरों पर अतिरिक्त दबाव बनता है और आप जल्दी थका हुआ महसूस करती हैं।
जूता जितना ज़्यादा कम्फ़र्टेबल होगा, पैरों की नसों पर दबाव उतना कम पड़ेगा और पैर थकेंगे कम। मिडसोल में कुशन वाले जूते ज़मीन से कॉन्टैक्ट होने पर महसूस होनेवाले धक्के, शॉक या चोट के प्रभाव को कम करते हैं और आपके संतुलन को बनाए रखते हैं। सामने की ओर की फ़्लैक्सिबिलिटी आपको तेज़ी से भागने में मदद करती है। मिड-फ़ुट लैंडिंग सपोर्ट वाले जूते आपके पैरों को शॉक और किसी भी तरह की चोट से बचाते हैं।
वाकिंग शूज कैसा होना चाहिए?ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स
वाकिंग शूज थोड़े भारी और कम सपोर्ट वाले हो सकते हैं, क्योंकि चलते समय पैरों पर बहुत ज़्यादा दबाव नहीं पड़ता। लेकिन यदि आप लॉन्ग वॉक्स पर जाना पसंद करती ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स हैं, तो हल्के और पर्याप्त कुशनिंग वाले शूज लें, ताकि वॉक के बाद आपके पैरों में जलन या दर्द न उठे। राहुल वीरा, स्केचर्स साउथ एशिया, सीईओ का कहना है,“रनिंग की तरह वाकिंग शूज में भी मिडसोल बहुत ज़रूरी होते हैं, क्योंकि कमोबेश चलते वक़्त भी पैरों को शॉक लगता ही है और आपको संतुलन की ज़रूरत होती है। चलने-फिरने के लिए आप बिना हील सपोर्ट वाले शूज ले सकती हैं।”
रनिंग शूज और वाकिंग शूज में अंतर
एक्स्पर्ट्स का माने तो दौड़ते वक़्त आपके पैरों को ज़्यादा कुशनिंग की ज़रूरत होती है। क्योंकि आप अपने हर क़दम पर अपने वज़न का तीन गुना अधिक ज़ोर डालते हैं। वहीं इसके उलट चलने के लिए आपको अपने पैर के आगे के हिस्से पर ज़्यादा दबाव की ज़रूरत नहीं होती और इसलिए कुशनिंग भी नहीं चाहिए होता। चलते वक़्त आपके पैरों पर केवल आपके शरीर का सामान्य वज़न पड़ता है।
रनिंग शूज में बिल्ट-अप हील्स की मदद से स्टेबिलिटी मुहैया कराई जाती है, ताकि दौड़ते वक़्त आपका संतुलन न बिगड़े। रनिंग और वाकिंग दोनों जूतों का फ्लैक्सिबल होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि आपके पैरों का दबाव तलवों के किसी भी हिस्से पर ज़्यादा हो सकता है।
शूज चूज करते समय रखें इन बातों का ख्याल
आपके पैरों और जूतों दोनों की उम्र को लंबा करने के लिए सही जूते ज़रूर चुनें। आप किस चीज़ के लिए जूते ले रही हैं, यह पहले ही तय कर लें, तभी जूते ख़रीदने जाएं। जूतों को पैरों को सपोर्ट देने के लिए पहनें, न कि केवल स्टाइल स्टेटमेंट की तरह। इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि कोई एक जूता रनिंग और वाकिंग दोनों के लिए परफ़ेक्ट नहीं हो सकता।
अगर आपको पैरों की कोई समस्या है या फिर आप ऐथलेटिक ऐक्टिविटीज़ में शामिल होना चाहती हैं, तो शूज एक्स्पर्ट या डॉक्टर की सलाह पर ही जूते का चुनाव करें। जूते ख़रीदते वक़्त हमेशा अपने पैरों के नैचुरल मोशन और शेप को ध्यान में रखकर जूते लें। आजकल बाज़ार में मैश शूज ख़ूब चलन में हैं। मैश शूज का फ़ायदा यह है कि यह आपके जूतों से हवा को आसानी से पास होने देते हैं, जिससे जूतों व पैरों दोनों से बदबू नहीं आती।
(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
About author
News Batao Desk (News Batao Desk)
News Batao is a News ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स Website, mainly focused on Political-Social affairs and daily happenings of the country and the World. We are trying to create a space for not just only news, but the various range of analysis of any incident going beyond the news.
More posts
नियंत्रण खो रही कांग्रेस, अब केंद्रीय नेतृत्व को मजबूत होना होगा
कांग्रेस पार्टी भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल है, जिसने आजादी के बाद से लगातार लंबे समय तक केंद्र में.
व्यंग्य | सोशल मीडिया पर रहता हूँ, मैं चितकबरा हूँ
मुझे पता है कि चुनाव क्या होता है। मुझे ये भी पता है कि चुनाव में मतदान किसे करना है।.
तेजस्वी यादव ने की सगाई, सामने आई दुल्हन एलेक्सिस की पहली तस्वीर
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मुखिया लालू प्रसाद ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स यादव के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने.
Yes Bank के शेयर में आई ताबड़तोड़ तेजी मात्र दो दिन में 20 फीसदी बढ़ चुका ये शेयर अब पंहुचा
Yes Bank share price Today :- यस बैंक (Yes Bank) के शेयर में आई ताबड़तोड़ तेजी मात्र दो कारोबारी दिन में ही 20 फीसदी बढ़ चुका ये शेयर। येस बैंक एनएसई का शेयर 7.11% 7% से अधिक चढ़ गया और निजी ऋणदाता को कार्लाइल, वेरवेंटा होल्डिंग्स से पूंजी जुटाने के लिए आरबीआई की मंजूरी मिलने के बाद सोमवार के इंट्राडे ट्रेड में 52-सप्ताह के उच्च स्तर 21.15 रुपये पर पहुंच गया। ऐसे में शेयर का आगे का टारगेट क्या होगा, इस पर निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। निवेशक एक बार फिर से यस बैंक (Yes Bank) के शेयर की तरफ बढ़ रहे हैं।
इसके साथ ही यस बैंक (Yes Bank) का शेयर अपने दो साल के हाई पर भी पहुंच चुका है। यस बैंक (Yes Bank) के शेयर में आई तेजी के कारण शेयर का दाम 21 रुपये के पार पहुंच चुका है। ऐसे में शेयर का आगे का टारगेट क्या होगा, इस पर निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। आइये जानते है इसके पीछे क्या कारण है।
Yes Bank के शेयर में आई ताबड़तोड़ तेजी मात्र दो दिन में 20 फीसदी बढ़ चुका ये शेयर अब पंहुचा
एक्स्पर्ट्स के मुताबिक ये है कारण According to experts, this is the reason
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को कार्लाइल ग्रुप और वेरवेंटा होल्डिंग्स से अपनी प्रस्तावित पूंजी जुटाने की योजना के लिए अंतिम हरी झंडी के रूप में यस बैंक को दो पत्र जारी किए। शेयर बाजार एक्स्पर्ट्स के मुताबिक, यस बैंक (Yes Bank) के शेयर शुक्रवार को निजी ऋणदाता के खुलासे के बाद बढ़ रहे हैं, जहां उसने Carlyle Group और वेरवेंटा होल्डिंग्स लिमिटेड (Verventa Holdings) के जरिए नए निवेश के संबंध में सकारात्मक विकास के बारे में भारतीय बाजारों को सूचित किया। और यस बैंक (Yes Bank) का एनएसई पर 52 Week Low Price जहां 12.10 रुपये है तो वहीं इसका 52 Week High Price Rs.21.20 है।
स्ट्रेटेजी की बात करे तो If we talk about strategy
स्ट्रेटेजी की बात करे तो यस बैंक (Yes Bank) के शेयर की कीमत ने चार्ट पैटर्न पर साइडवेज ट्रेंड ब्रेकआउट दिया है और यह लघु से मध्यम अवधि में 28 रुपये प्रति शेयर तक जा सकता है। वहीं Market Expert Positional निवेशकों को सलाह दे ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स रहे हैं कि जब तक यह 18 रुपये प्रति शेयर के स्तर से ऊपर न हो जाए, तब तक शेयर में गिरावट पर खरीदारी की रणनीति बनाए रखें।
यस बैंक का शेयर लक्ष्य Yes Bank Share Target
यस बैंक (Yes Bank) के शेयर के लक्ष्य को लेकर चॉइस ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक सुमीत बगड़िया ने यस बैंक के शेयरों के संबंध में ‘Buy on Dips’ की रणनीति को बनाए रखने की सलाह देते हुए कहा, “यस बैंक (Yes Bank) के शेयर ने 18 रुपये के स्तर पर Sideways Trend Breakout दिया है। वहीं यह 24 रुपये तक जा सकता है।
लघु और मध्यम अवधि में 28 रुपये का स्तर देखा जा सकता है Rs 28 level can be seen in short and medium term
इसके अलावा लघु और मध्यम अवधि में 28 रुपये का स्तर देखा जा सकता है। जिनके पास अपने स्टॉक पोर्टफोलियो में यस बैंक (Yes Bank) है, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे 17 रुपये पर स्टॉप लॉस बनाए रखें और 24 रुपये और 28 रुपये के Target के लिए Share जमा करते रहें।
छह महीनों में लगभग 63% बढ़ गया स्टॉक The stock gained almost 63% in six months
सुबह 11.07 बजे, शेयर अपने पिछले दिन के बंद भाव 19.7 रुपये प्रति शेयर के मुकाबले 6.8% बढ़कर 21 रुपये पर कारोबार कर रहा था। स्टॉक भी पिछले छह महीनों में लगभग 63% बढ़ गया है, जबकि यह साल-दर-साल आधार पर लगभग 50% बढ़ा है।
(डिस्कलेमर :- किसी भी तरह का निवेश करने से पहले एक्सपर्ट से जानकारी कर लें। बैतूल समाचार किसी भी तरह के निवेश के लिए आपको सलाह नहीं देता।)
10.9 करोड़ टन गेहूं पैदा होने की उम्मीद, सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है ज्यादा पैदावार
मुंबई– एक तरफ जबकि भारत कोविड की दूसरी भयावह लहर से जूझ रहा है, दूसरी ओर नई दिल्ली के बाहरी इलाके में हजारों किसान अभी भी उन कैम्पों में डटे हुए हैं, जहां वे सरकारी कानून के विरोध में महीनों से धरने पर बैठे हैं। वे लगातार कहते आ रहे हैं कि किसान कानून उनके लिए काफी नुकसानदायक है। सरकार के लिए नई समस्या यह है कि इस साल देश में 10.9 करोड़ टन गेहूं की पैदावार हो सकती है।
किसानों का आंदोलन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को किसान कानून को वापस लेने का जबरदस्त दबाव बना रहा है। केंद्र सरकार इस कानून से कृषि को अधिक कुशल बनाने का दावा कर रही है। पर इस दौरान यह देखा जा रहा है कि किसान आंदोलन की धार कुंद ना पड़े इसलिए इस साल गेहूं की फसल की कटाई के लिए किसानों को गांवों की ओर आते और जाते देखा जा रहा है।
कम से कम किसानों के नजरिए से उनका लॉजिस्टिक काम कर रहा है। वे इस साल 10.9 करोड़ टन का रिकॉर्डतोड़ उत्पादन इकट्ठा करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह सरकार के लिए अधिक सिरदर्द पैदा करने वाला होगा क्योंकि सरकार ने किसानों के गुस्से की ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स ताकत को कम करके आंका है। ट्रेड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को लुभाने के लिए, राज्यों के अनाज खरीदार को गारंटीड कीमतों पर बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद करने की संभावना है जिससे सरकार का बजट और भी बिगड़ जाएगा।
फूड पॉलिसी एक्स्पर्ट्स देविंदर शर्मा ने कहा कि सरकार शायद यह मानती थी कि किसान फसल काटने के लिए अपने गांव को निकलेंगे, लेकिन वे ज्यादा से ज्यादा दिनों तक इस आंदोलन को चलाने के लिए जुटे हैं। कृषि नीति में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की और सरकार किसानों के साथ अब भी बैठना चाहती है और उनकी शिकायतों को दूर करना चाहती है, लेकिन किसानों को भी खुले दिमाग से आगे आने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि किस तरह से हरियाणा राज्य के अनाज उगाने वाले शाहजहांपुर गाँव में किसानों के जाने के बावजूद उनकी साइट पर प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार बनी हुई है। स्वयंसेवकों ने यह सुनिश्चित करने के लिए गांव में रोस्टर तैयार किए हैं कि हर बार किसानों का एक समूह गेहूं की फसल काटने के लिए जाता है, तो उतनी ही तादाद में किसानों का दूसरा समूह विरोध प्रदर्शन में शामिल होता है। सिंधु बॉर्डर पर देख-रेख कर रहे एक आंदोलनकारी ने कहा कि हरियाणा के अलावा पंजाब और उत्तर प्रदेश राज्यों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था थी, जहां किसानों का एक जत्था गाँव खेती करने जाता है तो दूसरा आंदोलन को सपोर्ट करने आ जाता है। सिंधु मे आयोजकों ने गर्मियों में प्रदर्शनकारियों के लिए सफेद टेंट और कूटिया बना दी है जो उन्हें गर्मी से राहत प्रदान करने में मदद कर ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स रही है।
उन्हीं किसानों में से एक राजेंद्र बेनीवाल हैं, जिन्होंने कटाई में हिस्सा लेने के लिए मध्य अप्रैल में दिल्ली के उत्तर में लगभग 100 किमी की यात्रा की। उन्होंने काम पूरा होते ही विरोध प्रदर्शन पर लौटने का लक्ष्य रखा है। अपने 12 एकड़ के प्लॉट के बगल में गेहूं के फसल के पास खड़े 55 साल के इस किसान ने कहा कि मैं अपने गाँव के 23 किसानों के साथ आया हूँ। गेहूं की कटाई हमेशा से थोड़ा मुश्किल भरी रही है, लेकिन इस साल जैसा कभी नहीं हुआ। बड़ी निराशा होती है। फ़सल काटने के समय, कोई भी अपने खेतों और अपने गाँवों से दूर नहीं रहना चाहता है।
किसानों ने तीन कानूनों के विरोध में पिछले साल नवंबर में ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स नई दिल्ली की ओर मार्च करना शुरू किया। मोदी, उनकी सरकार और कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि भारत की कृषि को आधुनिक बनाने के लिए कानूनों की आवश्यकता है, जिससे इस क्षेत्र में प्राइवेट इनवेस्टमेंट आकर्षक बन सके।
किसानों के कैम्प में अब स्वयंसेवकों ने फेस मास्क बांटना और कीटाणुनाशक का छिड़काव करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही हैंड सैनिटाइजर डिस्पेंसर भी लगा दिए हैं। पिछले साल से शुरू आंदोलन के साथ किसान अपनी आजीविका को नहीं भूले। नवंबर के अंत तक उन्होंने रिकॉर्ड 34.5 मिलियन हेक्टेयर पर गेहूं बोया था, जिसके परिणामस्वरूप इस साल की बंपर फसल का अनुमान लगभग 40 अरब डॉलर से अधिक है।
बम्पर फसल ने सरकारी अनाज खरीदार भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए समस्याएं खड़ी कर दी हैं, जो उत्पादन बढ़ने पर अधिक गेहूं खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है। चूंकि निजी वैश्विक व्यापारिक कंपनियां कोरोना के बीच गायब हैं इसलिए इन फसल की खरीदारी का दारोमदार सरकार पर ही होगा।1 अप्रैल को एफसीआई के गोदामों में गेहूं का स्टॉक लक्ष्य से लगभग चार गुना अधिक 2.73 करोड़ टन था। 13.6 मिलियन के लक्ष्य के बावजूद कुल चावल 49.9 मिलियन टन जमा था। पिछले साल एफसीआई को अस्थायी शेड (temporary sheds) में 14 मिलियन टन से अधिक गेहूं का स्टोरेज करना था। अब 2021/22 में अधिक अस्थायी स्टोरेज खोजना होगा।
पिछले एक दशक में, एफसीआई ने किसानों से गेहूं और सामान्य चावल खरीदने की कीमत क्रमशः 64% और 73% बढ़ाई है जबकि इस दौरान स्टोरेज लागत भी बढ़ी है। फिर भी एफसीआई हर महीने 5 किलोग्राम गेहूं और चावल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को क्रमशः 2 रुपए और ट्रेडिंग एक्स्पर्ट्स 3 रुपए किलो पर बेचता है।
एफसीआई का कर्ज 3.81 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ गया है, जो कि खतरनाक है। मार्च 2021 तक के वित्तीय वर्ष में, सरकार ने अपने 2020-21 के खाद्य सब्सिडी बिल के लिए FCI को 3.44 लाख करोड़ रुपए दिए। इसमें 1.18 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए गए, ताकि यह अपने कर्ज को कम कर सके। एफसीआई को अतिरिक्त आवंटन और राजस्व में कमी के कारण भारत का राजकोषीय घाटा 3.5% से बढ़कर 9.5% हो गया।
भारतीय गेहूं की कीमत इस समय विदेशों में 280 डॉलर प्रति टन है जबकि अच्छी क्वालिटी वाले ऑस्ट्रेलियाई गेहूं की कीमत 220- 225 डॉलर प्रति टन है। जून-जुलाई तक, रूस और यूक्रेन से भी गेहूं आ जाएगा जिससे भारतीय निर्यात का दरवाजा पूरी तरह से बंद हो जाएगा। भारत की हालिया बंपर फसल 1960 के दशक की “हरित क्रांति” का परिणाम है। इसने सरकार को 2014 और 2015 में सूखे से उबरने में मदद की और मोदी के प्रशासन को पिछले साल के लॉकडाउन के दौरान मुफ्त अनाज वितरित करने के योग्य बनाया।
Gold Price Today: सोने के दाम में बड़ी गिरावट! 4,235 रुपये सस्ता हुआ Gold, चांदी भी लुढ़की; जानिए latest Rate
Gold Price Today: पिछले 15 दिन में सोने की कीमत में जबरदस्त गिरावट आई है. एमसीएक्स (MCX) पर सोना 10 ग्राम Gold का वायदा रेट अभी 51,365 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा है, जो दो हफ्ते पहले 55,600 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया था. जबकि चांदी की कीमत भी एमसीएक्स पर 78 रुपये कमजोर होकर वायदा भाव 67,614 रुपये प्रति किलोग्राम पर ट्रेड कर रहा है.
नई दिल्ली: Gold Price Today: वैश्विक बाजार में हो रहे उतार-चढ़ाव के बीच सोने-चांदी की कीमत में एक बार फिर से गिरावट देखने को मिल रहा है. मल्टीकमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर गोल्ड की कीमत में मामूली कमी दिख रही है.
MCX पर इस समय सोने का वायदा भाव 14 रुपये से गिरकर 51,365 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा है.
चांदी की कीमत भी एमसीएक्स पर 78 रुपये कमजोर होकर वायदा भाव 67,614 रुपये प्रति किलोग्राम पर ट्रेड कर रही है.
गौरतलब है कि महज 15 दिन में ही सोने की कीमत में 4,235 रुपये की कमी आ गई है.
आपको बता दें कि इसी महीने यानी मार्च के दूसरे हफ्ते में एमसीएक्स पर सोने का भाव 55,600 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया था.
वैश्विक बाजार में दिख रही है तेजी
भारतीय वायदा बाजार में सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट का माहौल है लेकिन वैश्विक मार्केट में सोने-चांदी में तेजी है.
आपको बता दें कि न्यूयॉर्क के बाजार में सोना 0.031 फीसदी चढ़कर 1,922.28 डॉलर प्रति औंस के भाव बिक रहा है.
वहीं, चांदी की कीमतों में भी 0.16 फीसदी की तेजी आई है, जिसके बाद चांदी 24.84 डॉलर प्रति औंस के भाव पहुंच गई.
मार्केट के एक्स्पर्ट्स की मानें तो रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध समाप्त होने के बाद सोने की कीमतों में तेजी से गिरावट आ सकती है.
दरअसल, रूस के पास भी सोने का बड़ा भंडार है और वह इसे ग्लोबल मार्केट में बेचने की तैयारी कर रहा है.
अगर सोने का यह भंडार बाजार में आता है तो मार्केट में इसकी आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों में बड़ी गिरावट आ सकती है.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 90