नीरज चोपड़ा अपने आहार पर नियंत्रण रखते हैं। वह देसी भोजन पसंद करते हैं। (सोर्स- इंस्टाग्राम/नीरज चोपड़ा)

My Greatest Olympic Prize Story In Hindi

1936 की गर्मी थी। ओलंपिक खेलों का आयोजन बर्लिन में हो रहा था। क्योंकि एडोल्फ हिटलर ने मूर्खतापूर्ण इस बात पर जोर दिया था कि उनके कलाकार एक "श्रेष्ठ जाति" के सदस्य थे, राष्ट्रवादी भावनाएँ ऊँची चल रही थी।

मैं इन सब को लेकर ओलंप व्यापार पर एक खाता जोड़ें ज्यादा चिंतित नहीं था। जब मैं नाव पर जा रहा था, मैं केवल उन स्वर्ण पदकों में से एक या दो को घर ले जाने के बारे में सोच सकता था। मेरी नजर खासतौर पर लम्बी कूद पर थी। एक साल पहले ही मैंने 26 फीट 8.5 इंच का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। सभी को उम्मीद थी कि मैं उस ओलंपिक प्रतियोगिता को आसानी से जीत लूंगा।

मैं आश्चर्य में था। जब लम्बी-कूद के आरम्भिक चरण का समय आया तो मैं एक लम्बे लड़के को देखकर चौक गया जो अपने अभ्यास में लगभग 25 फुट की कूद लगा रहा था। वह लूज लॉन्ग नाम का एक जर्मन हुआ करता था। मुझे बताया गया था कि हिटलर ने उसे छिपा कर रखा था, जाहिर तौर पर उम्मीद थी कि वह कूद जीत जाएगा।

मैंने सोचा था कि अगर लॉन्ग जीत गया, तो यह नाजियों के आर्य श्रेष्ठता सिद्धान्त को कुछ नया समर्थन देगा। आखिर मैं एक अश्वेत हूँ। हिटलर के तौर-तरीकों से थोड़ा नाराज होकर, मैंने वहाँ जाने का निश्चय किया और वास्तव में दिखा दूँगा हिटलर और उसकी श्रेष्ठ जाति को, कि ओलंप व्यापार पर एक खाता जोड़ें कौन श्रेष्ठ है और कौन नहीं।

एक क्रोधित खिलाड़ी एक ऐसा खिलाड़ी होता है जो गलतियां करेगा, जैसा कि कोई भी कोच आपको बता देगा। मैं भी अपवाद नहीं था। अपनी 3 Qualifying कूद में से पहली पर, कूदने वाली रेखा से कई इंच आगे चला गया और कूद नहीं मानी गई। दूसरी कूद पर, मैं और भी बुरा था। "क्या मैं इसके लिए 3,000 मील आया था?" मैंने कड़वाहट के साथ सोचा। "अभ्यास कूदों में असफल हो जाने के लिए और अपनी मूर्खता दिखाने के लिए?"

गड्ढे से कुछ गज की दूरी पर चलते हुए, मैंने घृणा से जमीन पर लात मारी। अचानक मैंने अपने कंधे पर एक हाथ महसूस किया। मैंने घूम कर अपने आपको लम्बी कूद करने वाले एक लम्बे जर्मन की मित्रता पूर्ण आंखों में जागते हुए पाया। उसने अपने पहले ही प्रयास में आसानी से फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया था। उसने मुझसे गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाने की पेशकश की।

"जेसी ओवेन्स, मैं लूज लॉन्ग हूँ। मुझे नहीं लगता कि हम मिले हैं।" वह अच्छी तरह से अंग्रेजी बोलता था, हालांकि इसमें एक जर्मन प्रभाव था।

"तुमसे मिलकर खुशी हुई," मैंने कहा, अपनी घबराहट को छिपाने की कोशिश करते हुए, मैंने जोड़ा, "तुम कैसे हो?"

"कोई बात निश्चय ही आपको परेशान कर रही है," उसने कहा, "आपको अपनी आँखें बन्द करके योग्यता प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए।"

अगले कुछ मिनटों तक हम एक दूसरे से बात करते रहे। मैंने लॉन्ग को नहीं बताया कि मुझे क्या बात परेशान कर रही थी, लेकिन वह मेरे गुस्से को समझ रहा था और उसने मुझे आश्वस्त करने के लिए कष्ट उठाया। हालांकि उसे नाजी युवा आन्दोलन में प्रशिक्षित किया गया था, वह आर्य-वर्चस्व के व्यवसाय में मेरी तुलना में अधिक विश्वास नहीं करता था। हम इस बात पर खूब हँसे कि वह शारीरिक रूप से श्रेष्ठ जाति का लगता था। मुझसे एक इंच लम्बा, उसका दुबला मांसल फ्रेम, स्पष्ट नीली आंखें, गोरा बाल और आकर्षक रूप से सुन्दर चेहरा था। "आखिरकार, मैं शांत हो गया, उसने टेक-ऑफ बोर्ड की ओर इशारा किया।"

"देखो" उसने कहा, "तुम बोर्ड के पीछे कुछ इंच की रेखा क्यों नहीं खींचते और वहां से अपना टेक-ऑफ करने का लक्ष्य रखते हो? तुम निश्चय ही गलती नहीं करोगे और अवश्य ही सफलता के लिए काफी अच्छा कूद पाओगे। इससे क्या फर्क पड़ता है कि तुम अभ्यास में प्रथम नहीं आये? कल क्या मायने रखता है।"

उसने कहा उस बात का सत्य समझ में आते ही अचानक मेरे शरीर से सारा तनाव उतर गया। विश्वास के साथ, मैंने बोर्ड से पूरे एक फुट पीछे एक रेखा खींच दी और वहीं से कूद लगाई। मैंने लगभग 1 फुट अधिक कूदकर Qualify किया ।

उस रात मैं ओलंपिक गांव में लूज लॉन्ग के कमरे में गया और उसे धन्यवाद दिया। मैं जानता था कि अगर मैंने उसके अनुसार ना किया होता तो शायद मैं अगले दिन फाइनल में नहीं पहुँच पाता। हम उनके क्वार्टर में बैठे और दो घंटे तक एथलेटिक्स, खुद, दुनिया की स्थिति, एक दर्जन अन्य विषयों के बारे में बात की।

जब मैं अन्त में विदा लेने के लिए उठा, तो हम दोनों जानते थे कि हमारे बीच वास्तविक मित्रता हो चुकी है। लूज अगले दिन इस इरादे से स्टेडियम जाएगा कि वह मुझे हराने की भरपूर कोशिश कर सके यदि वह कर सकता। लेकिन मुझे पता था कि वह चाहता है कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूं - भले ही इसका मतलब मेरी जीत हो।

मानो हुआ ही, लूज ने अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया। ऐसा करके, उसने मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया। मुझे याद है कि जिस क्षण मैं अपनी अन्तिम कूद से Land किया, जिसने 26 फीट 5 इंच का ओलंपिक रिकॉर्ड ओलंप व्यापार पर एक खाता जोड़ें बनाया, वह मेरे बगल में खड़ा होकर, मुझे बधाई दे रहा था। इस तथ्य के बावजूद कि हिटलर 100 गज से भी कम दूरी पर से क्रोध से हमें घूर रहा था, लूज ने मेरा हाथ जोर से हिलाया - और यह 'टूटे ह्रदय की मुस्कुराहट' जैसी झूठी कमजोर पकड़ भी नहीं थी।

आप मेरे सभी स्वर्ण पदकों और कपों को पिघला डालें। मेरे पास है और वे 24 कैरेट के प्लेट के बराबर भी नहीं होंगे। जो मित्रता मैंने लूज के प्रति उस क्षण महसूस की।

मुझे तब एहसास हुआ कि आधुनिक ओलंपिक खेलों के संस्थापक पियरे डी कुबर्टिन के दिमाग में लूज का अच्छा उदाहरण था, जब उन्होंने कहा, "ओलंपिक खेलों में महत्वपूर्ण बात जीतना नहीं बल्कि भाग लेना है। जीवन में जरूरी चीज जीतना नहीं है बल्कि अच्छी तरह से लड़ना है।"

खेल ग्रीस

एक मास्टर की डिग्री एक स्नातकोत्तर शैक्षणिक डिग्री है. एक पहले से ही एक मास्टर 'कार्यक्रम के लिए आवेदन करने के लिए एक स्नातक की डिग्री होनी चाहिए. हाल मास्टर थीसिस या शोध पत्र की डिग्री कार्यक्रम छात्रों के लिए एक मास्टर पूरा करने की आवश्यकता होगी '.

खेल के अकादमिक अध्ययन आमतौर पर, शारीरिक या रणनीति और खेल के व्यापार पर केंद्रित है इस प्रकार खेल संगठनों, कोच टीमों या तो सिखाने का प्रबंधन या स्कूलों में या एथलीटों के लिए शारीरिक प्रशिक्षण मार्गदर्शन करने के लिए छात्रों की तैयारी।

के रूप में प्राचीन काल से बुलाया आधिकारिक तौर पर ग्रीस, यूनानी गणराज्य, या Hellas, दक्षिण पूर्व यूरोप में एक देश है. 2011 की जनगणना के अनुसार, ग्रीस की आबादी 11 लाख के आसपास है.

नीरज चोपड़ा रिकवरी के लिए करते हैं खास उपाय, खुद को ऐसे रखते हैं फिट और तंदुरुस्त; ये है ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट का डाइट प्लान

नीरज ने इंटरव्यू में अपना डाइट प्लान (खासकर टूर्नामेंट के दौरान) भी शेयर किया था। उन्होंने बताया था कि मैच के दिनों में, वह ऐसा कुछ भी नहीं खाते हैं, जो बहुत अधिक वसायुक्त हो। वह सलाद या फल जैसी चीजें खाना पसंद करते हैं।

नीरज चोपड़ा रिकवरी के लिए करते हैं खास उपाय, खुद को ऐसे रखते हैं फिट और तंदुरुस्त; ये है ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट का डाइट प्लान

नीरज चोपड़ा अपने आहार पर नियंत्रण रखते हैं। वह देसी भोजन पसंद करते हैं। (सोर्स- इंस्टाग्राम/नीरज चोपड़ा)

किसी भी प्लेयर के लिए अपने खेल में महारत हासिल करने के साथ-साथ फिटनेस बहुत बड़ा चैलेंज होता है। अच्छी फिटनेस के बिना खेल प्रभावित हो सकता है। ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा भी फिटनेस का बहुत ख्याल रखते हैं।

नीरज को मिठाई बहुत पसंद है, लेकिन मोटा होने के डर से वह ऐसी चीजों से परहेज करते हैं। वह खुद को रिकवर करने के लिए खास उपाय अपनाते हैं। हालांकि, जब कभी-कभी वह गोल गप्पे और दही-चूरमा खा लेते हैं। आइए हम यहां गोल्डन ब्वॉय का डाइट प्लान जानते हैं, जिससे वह खुद को फिट और तंदुरुस्त रखते हैं।

24 दिसंबर 1997 को पानीपत के खांदर में जन्में नीरज चोपड़ा अपने आहार पर खासा नियंत्रण रखते हैं। वह देसी भोजन करना पसंद करते हैं। ओलंपिक में स्वर्ण जीतने से पहले ईएसपीएन को दिए साक्षात्कार में नीरज ने बताया था कि फास्ट फूड के मामले में वह सिर्फ गोल गप्पे ही खाते हैं।

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नीरज ने इंटरव्यू में अपना डाइट प्लान (खासकर टूर्नामेंट के दौरान) भी शेयर किया था। उन्होंने बताया था कि मैच के दिनों में, वह ओलंप व्यापार पर एक खाता जोड़ें ऐसा कुछ भी नहीं खाते हैं, जो बहुत अधिक वसायुक्त हो। वह सलाद या फल जैसी चीजें खाना पसंद करते हैं।

नीरज को ग्रिल्ड चिकन ब्रेस्ट और अंडे जैसी चीजें भी खाना पसंद है। वह सप्ताह में कभी भी रोटी और आमलेट खा लेते हैं। आमलेट और रोटी ही वह चीज है, जिसे वह किसी भी दूसरी चीजों से ज्यादा बार खाते हैं। नीरज ने करीब साल भर पहले अपने डाइट प्लान में कुछ परिवर्तन भी किया था।

नीरज ने अपने डाइट प्लान में सैल्मन मछली को शामिल किया है। नीरज खुद की रिकवरी के लिए ताजा फलों का जूस पीते हैं। खास यह है कि वह डिब्बाबंद जूस नहीं पीते। इसके बजाय वह फलों का ताजा रस पीते हैं। नीरज सामान्य दिनों में वर्कआउट के बाद दो गिलास ताजा जूस पीते हैं। उनके डाइट प्लान में ओलंप व्यापार पर एक खाता जोड़ें नमकीन चावल भी शामिल है।

गोल गप्पे को लेकर नीरज की राय है कि एक पेशेवर एथलीट को इन्हें खाने में कोई बुराई नहीं है। नीरज के मुताबिक, ‘गोल गप्पे में ज्यादातर पानी होता है। गोल गप्पे खाने से आपका पेट पानी से भर जाता है। इसकी पापड़ी देखने में बड़ी दिखती है, लेकिन उसमें आटे की मात्रा बहुत कम होती है।’

नीरज का कहना है, ‘इसके जरिए ज्यादातर पानी ही आपके पेट में जाता है। मसाले की मात्रा भी थोड़ी होती है। अगर आपको लगता है कि आप बहुत गोल-गप्पे खा रहे हैं तब भी आप अपने पेट में ज्यादातर पानी ही भर रहे हैं।’

सिर्फ गोल गप्पे ही नहीं, नीरज को मीठा भी पसंद है। वह घर का बना ताजा चूरमा खाना पसंद करते हैं। हालांकि, प्रशिक्षण के दौरान नीरज चूरमा को हाथ भी नहीं लगाते। दरअसल, चूरमा में बहुत ज्यादा घी और चीनी होती है, इसलिए यह ऐसी चीज है जिसे वह प्रशिक्षण के दौरान नहीं खा सकते।

1900 में पहली बार भारत ने ओलिंपिक में लिया था हिस्सा, अंग्रेजी मूल के खिलाड़ी ने खोला था मेडल्स का खाता

नॉर्मन प्रिचर्ड (Norman Pitchard) ने 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल्स इवेंट में सिल्वर मेडल हासिल किया था. उस समय उन्होंने ओलिंपिक खेलों में भारत की ओलंप व्यापार पर एक खाता जोड़ें ओर से हिस्सा लिया था

1900 में पहली बार भारत ने ओलिंपिक में लिया था हिस्सा, अंग्रेजी मूल के खिलाड़ी ने खोला था मेडल्स का खाता

ओलिंपिक खेलों को शुरू हुए 134 साल हो चुके हैं. एथेंस (Athens) से शुरू हुआ मॉडर्न ओलिंपिक खेलों का सफर टोक्यो (Tokyo Olympic) पहुंच चुका है. इन खेलों में भारत (India) का सफर 1900 में हुआ. उस समय भारत आजाद नहीं हुआ था बल्कि उस पर अंग्रेज शासन कर रहे थे. देश में अंग्रेजी हूकुमत का राज था. अंग्रेजी सेना भारतीयों को खुद से बहुत नीचे मानती थी. यही वजह थी कि जब ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लेने का मौका आया तो उन्होंने ब्रिटेन के नॉर्मन गिलबर्ट प्रिचर्ड (Norman Pritchard) को चुना. 1900 में पेरिस में हुए ओलिंपिक खेलों में भारत की ओर से हिस्सा लेने वाले इकलौते खिलाड़ी थे और उनके साथ ही भारत के मेडल का सफर भी शुरू हुआ.

नॉर्मन का जन्म 1877 में ब्रिटेन में हुआ था. इसके बाद वह भारत आए और परिवार के साथ यहीं रहने लगे. उन्होंने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढाई की. भारत के लिए एथलेटिक्स में मेडल जीतने वाले नॉर्मन उस समय फुटबॉल खेला करते थे. 1900 के पेरिस ओलिंपिक में हिस्सा लेने वाले पहले एशियन थे और उन्होंने पांच इवेंट में हिस्सा लिया था. इन पांच में से दो में वह मेडल जीतने में कायमाब रहे थे.

1900 के पेरिस ओलिंपिक में हासिल किए थे दो सिल्वर मेडल

नॉरमैन ने 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल्स में सिल्वर मेडल हासिल किया था. 200 मीटर में अमेरिका के वॉल्टर टीक्यबेरी ने उन्हें पीछे छोड़ा वहीं 200 हर्डल्स में वह अमेरिका के दिग्गज खिलाड़ी एलविन ओलंप व्यापार पर एक खाता जोड़ें से हारे. इसके बाद वह 110 मीटर हर्डल्स के फाइनल में भी पहुंचे लेकिन उनके हाथ मेडल नहीं आया. वहीं 60 और 100 मीटर में वह फाइनल के लिए क्वालिफाई करने में नाकाम रहे. वह पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने बतौर एशियन इन खेलों में हिस्सा लिया.

ओलिंपिक एसोसिएशन ने भारत के खाते में जोड़े मेडल

दिग्गज खिलाड़ी ने दो मेडल तो हासिल किए लेकिन इस बात को लेकर हमेशा चर्चा की जाती है कि आखिर यह मेडल किसके हिस्से में आते हैं. ब्रिटेन के या भारत के. वर्ल्ड एथलेटिक्स ने साल 2005 में 2004 ओलिंपिक तक के ट्रैक और फील्ड के आधिकारिक रिकॉर्डों की किताब जारी की थी, जिसमें लिखा गया था कि नॉर्मन ने ब्रिटेन की ओर से हिस्सा लिया था. वहीं उनके मेडल्स को ग्रेट ब्रिटेन के रिकॉर्ड में शामिल किया गया था. हालांकि आईओसी के मुताबिक नॉर्मन ने भारत की ओर से हिस्सा लिया था और मेडल्स को भारत के कोटे में शामिल किया गया. भारत के खाते में जिन 28 मेडल्स को गिना जाता है उनमें से दो मेडल नॉर्मन के ही हैं.

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