How to do Intraday Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है.

Margin Trading क्या है? हिंदी में

मार्जिन ट्रेडिंग क्या है? हिंदी में [What is Margin Trading? In Hindi]

मार्जिन ट्रेडिंग से तात्पर्य ट्रेडिंग की उस प्रक्रिया से है जहां एक व्यक्ति जितना खर्च कर सकता है उससे अधिक निवेश करके निवेश पर अपने संभावित रिटर्न को बढ़ाता है। यहां, निवेशक अपने वास्तविक मूल्य के मामूली मूल्य पर स्टॉक खरीदने की सुविधा से लाभ उठा सकते हैं। इस तरह के व्यापारिक लेनदेन को दलालों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है जो निवेशकों को स्टॉक खरीदने के लिए नकद उधार देते हैं। मार्जिन को बाद में तब सुलझाया जा सकता है जब निवेशक शेयर बाजार में अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर दें।

इस संबंध में, मार्जिन ट्रेडिंग निवेशकों को निवेश के लिए उच्च पूंजी तक पहुंच प्रदान करती है, इस प्रकार उन्हें सुरक्षा या नकदी के माध्यम से बाजार में अपनी स्थिति का लाभ उठाने में मदद करती है। इसके बाद, यह ट्रेडिंग परिणामों को बढ़ावा देने में मदद करती है, ताकि निवेशक सफल ट्रेडों पर अधिक मुनाफा कमा सकें।

हालांकि, यह Trading काफी जोखिम भरा हो सकता है, और निवेशक तभी लाभ कमा सकते हैं जब अर्जित कुल लाभ मार्जिन से ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं अधिक हो।

'मार्जिन ट्रेडिंग' की परिभाषा [Definition of "Margin trading"In Hindi]

शेयर बाजार में, मार्जिन ट्रेडिंग उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसके तहत व्यक्तिगत निवेशक जितना खर्च कर सकते हैं उससे अधिक स्टॉक खरीदते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग भारत में इंट्राडे ट्रेडिंग को भी संदर्भित करता है और विभिन्न स्टॉक ब्रोकर यह सेवा प्रदान करते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग में एक ही सत्र में प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री शामिल है। समय के साथ, विभिन्न ब्रोकरेज ने समय अवधि पर दृष्टिकोण में ढील दी है। प्रक्रिया के लिए एक निवेशक को किसी विशेष सत्र में स्टॉक की गति का अनुमान लगाने या अनुमान लगाने की आवश्यकता होती है। मार्जिन ट्रेडिंग तेजी से पैसा बनाने का एक आसान तरीका है। इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंजों के आगमन के साथ, एक बार विशिष्ट क्षेत्र अब छोटे व्यापारियों के लिए भी सुलभ है।

Margin Trading क्या है? हिंदी में

मार्जिन ट्रेडिंग की विशेषताएं [Features of Margin Trading] [In Hindi]

  • मार्जिन ट्रेडिंग निवेशकों को प्रतिभूतियों में स्थिति का लाभ उठाने की अनुमति देती है जो डेरिवेटिव के खंड से नहीं हैं।
  • सेबी के नियमों के अनुसार केवल अधिकृत ब्रोकर ही मार्जिन ट्रेड अकाउंट की पेशकश कर सकते हैं।
  • मार्जिन ट्रेडेड सिक्योरिटीज सेबी और संबंधित स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा पूर्व-परिभाषित हैं।
  • निवेशक शेयरों के माध्यम से नकद या संपार्श्विक के रूप में मार्जिन के खिलाफ स्थिति बना सकते हैं।
  • मार्जिन निर्मित पोजीशन को अधिकतम N+T दिनों तक आगे बढ़ाया जा सकता है, जहां N उन दिनों की संख्या है, जिन्हें उक्त पोजीशन को आगे बढ़ाया जा सकता है, यह सभी ब्रोकरों में भिन्न होता है और T ट्रेडिंग के दिन होते हैं।
  • मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा का उपयोग करने के इच्छुक निवेशकों को अपने संबंधित दलालों के साथ एक एमटीएफ खाता बनाना चाहिए, जो उन नियमों और शर्तों को स्वीकार करते हैं जो बताते हैं कि वे इसमें शामिल लाभों और जोखिमों से अवगत हैं। Management Buyout (MBO) क्या है?

मार्जिन ट्रेडिंग के लाभ [Advantage of Margin Trading] [In Hindi]

  • अल्पकालिक लाभ सृजन के लिए आदर्श (Ideal for short term profit generation)–

मार्जिन ट्रेडिंग उन निवेशकों के लिए आदर्श है जो शेयर बाजार में कीमतों में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से लाभ चाहते हैं, लेकिन निवेश के लिए पर्याप्त नकदी नहीं है।

  • उत्तोलन बाजार की स्थिति (Leverage market position)-

यह ट्रेडिंग प्रक्रिया निवेशकों को उन प्रतिभूतियों में अपनी स्थिति का लाभ उठाने में मदद करती है जो डेरिवेटिव क्षेत्र से नहीं हैं।

  • अधिकतम रिटर्न (Maximize Return)-
  • प्रतिभूतियों को संपार्श्विक के रूप में उपयोग करें (Utilize securities as collateral)-

निवेशक अपने डीमैट खाते या अपने निवेश पोर्टफोलियो में प्रतिभूतियों का उपयोग मार्जिन ट्रेडिंग के लिए संपार्श्विक के रूप में कर सकते हैं।

  • सेबी के तहत विनियमित (Regulated under SEBI)-

म्यूचुअल फंड में मार्जिन ट्रेडिंग [Margin Trading in Mutual Fund] [In Hindi]

म्युचुअल फंड इकाइयों को उनके व्यापार तंत्र के कारण मार्जिन ट्रेडिंग के माध्यम से नहीं खरीदा जा सकता है। म्यूचुअल फंड यूनिट्स को स्टॉक की तरह नहीं बेचा जाता है। निवेशक म्यूचुअल फंड इकाइयों को म्यूचुअल फंड हाउस के माध्यम से खरीदते और भुनाते हैं। फंड की कीमतें तभी निर्धारित की जाती हैं जब प्रत्येक कार्य दिवस के बाद बाजार बंद हो जाता है। यह इस प्रतिबंध के कारण है कि म्युचुअल फंडों के व्यापार को मार्जिन करना संभव नहीं है।

ऐसे जानिए ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी हर बात, होगा फायदा

Option Trading

पिछले कुछ सालों में हमने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में ऑप्शन सेगमेंट की ट्रेडिंग गतिविधियों में तेज वृद्धि देखी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट में दैनिक कारोबार 4 लाख करोड़ को पार कर गई है और इस इंडेक्स में ऑप्शन का 80% से अधिक योगदान रहा है। यही कारोबार बैंक निफ्टी पर साप्ताहिक और मासिक समाप्ति के दिनों पर 10 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। आजकल ऑप्शन सेगमेंट अपनी प्रोफ़ाइल के कारण अधिक लोकप्रिय हो गया है और यह 50 ओवर या टेस्ट सिरीज मैचों की तुलना में आईपीएल या टी-20 मैचों की लोकप्रियता की तरह ही लगता है। इस सेगमेंट में ट्रेडिंग गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि यह सभी प्रकार के बाजार सेंटिमेंट्स का लाभ पाने का अवसर प्रदान करती है चाहे वह बुलिश, बियरिश, रेंज बाउंड या अत्यधिक अस्थिर हो। आइए पहले समझें कि ऑप्शन है क्या जो सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है? नकद बाजार, जहाँ शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, के अलावा एक्सचेंज में एक ऐसा सेगमेंट भी होता है जहाँ इन शेयरों या इंडेक्स के भविष्य और विकल्प खरीदे या बेचे जाते हैं।

वास्तविक लाभ क्या है, यह जानने के लिए ट्रेड सारांश पढ़ना

बिक्री के बाद लाभ और लाभ की उम्मीद Olymp Trade मंच

अपेक्षित लाभ वह धनराशि है जो ट्रेड समाप्त होने के बाद मिल सकती है या उसकी हानि हो सकती है। यदि आप एक अप-ट्रेड खोलते हैं तो क्लोजिंग कीमत एसेट की ओपेनिंग कीमत से अधिक होगी, अपेक्षित लाभ हरे रंग में होगा। डाउन-ट्रेड के लिए भी ऐसा ही होता है, क्लोजिंग कीमत, ओपेनिंग कीमत से कम होगी।

हालाँकि, यदि आप एक अप-ट्रेड खोलते हैं, लेकिन समापन कीमत ओपेनिंग कीमत से कम है, या डाउन पोजीशन के केस में, क्लोजिंग कीमत ओपेनिंग कीमत से अधिक है तो, अपेक्षित लाभ की राशि लाल रंग में दिखाई जाएगी।

ध्यान दें कि बिक्री के बाद लाभ कैसे बढ़ा जब अपेक्षित लाभ सकारात्मक संख्या में बदल गया

इस सटीक क्षण में ट्रेड को बेचने के बाद स्केल के बाद का लाभ आपके खाते के बैलेन्स में जुडने वाली धनराशि है। यह अपेक्षित लाभ के साथ बढ़ता है। ट्रेड के सफल होने की जितनी अधिक संभावना होगी, बिक्री के बाद का लाभ भी उतना अधिक होगा। लेकिन ध्यान दें, कि इसकी कोई गारंटी नहीं है। यदि आप सावधानी से ट्रेड नहीं करते तो नुकसान भी हो सकता है।

कभी-कभी समाप्ति से पहले ट्रेड बेचना आपको भारी नुकसान से बचा सकता है। हालांकि, सावधान रहें, क्योंकि बाजार अप्रत्याशित है। ऐसा हो सकता है कि स्थिति तेजी से बदल जाए और आपको पता चले कि आपने बहुत कम में ट्रेड बेच दिया। हमेशा बाजार का विश्लेषण करते रहें और पोजीशन खोलने से पहले सही प्रवेश बिंदु की खोज करें।

Intraday Trading Tips: क्या होती है डे ट्रेडिंग? कुछ घंटों में ही मिल सकता है मोटा मुनाफा, ध्यान रखें जरूरी टिप्स

How to start Day Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है.

Intraday Trading Tips: क्या होती है डे ट्रेडिंग? कुछ घंटों में ही मिल सकता है मोटा मुनाफा, ध्यान रखें जरूरी टिप्स

How to do Intraday Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है.

How to start Day Trading or Intraday Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है. हालांकि निवेशकों की सोच अलग अलग होती है. कुछ निवेशकों का लक्ष्य लंबी अवधि का होता है और वे अपना पैसा अलग अलग लक्ष्य पूरा करने के लिए लांग टर्म के लिए निवेश करते हैं. वहीं, कुछ निवेशक शॉर्ट टर्म गोल लेकर बाजार में पैसा लगाते हैं. इन्हीं में से कुछ इंट्राडे इन्वेस्टर्स या डे ट्रेडर्स ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं होते हैं. इंट्राडे ट्रेड में अगर सही स्टॉक की पहचान हो जाए तो शेयर बाजार में डेली बेसिस पर पैसा लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है.

क्या है इंट्राडे ट्रेडिंग

असल में बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहते हैं. इसमें सुबह पैसा लगाकर दोपहर तक अच्छी कमाई की जा सकती है. यहां शेयर खरीदा तो जाता है लेकिन उसका मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि एक दिन में उसमें होने वाली बढ़त से मुनाफा कमाना होता है. ध्यान रहे कि इसमें जरूरी नहीं है कि आपको फायदा ही हो. डे-ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए पहले आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होता है.

चुनें सही स्टॉक: ऐसे शेयर चुनें, जिन्हें बेचना भी आसान हो. जिन शेयरों में हाई लिक्विडिटी हो और आप उन्हें आसानी से सेल कर सकें. क्यों कि अगर आपके शेयर का कोई बॉयर नहीं होगा तो आप नुकसान में पड़ जाएंगे. लेकिन लिक्विड स्टॉक में भी 2 या 3 ही स्टॉक चुनेंं.

मिडकैप स्‍कीम: म्‍यूचुअल फंड्स की इन स्‍कीम ने किया कमाल, 1, 3, 5, 10 और 15 साल, लगातार दे रही हैं तगड़ा रिटर्न

Pension Plans: रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम, बुढ़ापे में भी रुपये पैसे की नहीं होगी दिक्‍कत, पेंशन प्लान के समझें फायदे

Mutual Funds 2022: इन म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम ने 1 साल में 78% तक दिया रिटर्न, आपने किसी में किया है निवेश

हॉयर ट्रेडिंग वॉल्यूम: हॉयर ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयरों का ही चुनाव करें. ऐसे शेयरों ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं में ज्यादा से ज्यादा इन्वेसटर्स का रूझान होता है.

शेयर बाजार से अपडेट रहें: अपको डे ट्रेडिंग करते समय शेयर बाजार से अपडेट रहना जरूरी है. जानना जरूरी है कि बाजार को लेकर किस तरह कीर खबरें चल रही हैं. इससे आपको सही शेयर चुनने में मदद मिलेगी और आपद जोखिम से बच जाएंंगे.

मार्केट का ट्रेंड देखें: वोलेटाइल स्टॉक से दूर रहें और अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों में करें खरीददारी. शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देख लें, मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं.

एक्सपर्ट से सलाह लें: निवेश के पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें. उसके बाद रिसर्च के बाद जिन शेयरों को लेकर कांफिडेंट हैं, उनमें निवेश करें.

तय करें टारगेट: शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है.
जैसे ही लक्ष्य पूरा हो, प्रॉफिट बुकिंग करें.

स्टॉप लॉस स्ट्रैटेजी: इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस जरूर लगाएं. पेनी स्टॉक में निवेश करने से बचें.

(Source: इसमें अलग अलग ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट के आणार पर टिप्स दिए गए हैं.)

कितने पैसों की पड़ती है जरूरत

इंट्रा डे में आप किसी शेयर में कितनी भी रकम लगा सकते हें. शेयर बाजार में नियम है कि जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उस दिन पूरा पैसा नहीं देना होता है. नियम के तहत जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उसके 2 ट्रेडिंग दिनों के बाद पूरा भुगतान करना होता है. फिर भी आपको शेयर के भाव का शुरू में 30 फीसदी रकम निवेश करना होता है.

कैसे मिलता है फायदा

इसका उदाहरण 1 अगस्त के कारोबार में देख सकते हैं. आज एयरटेल में निवेश करने वालों की चांदी रही है और शेयर में 5 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ मिली है. असल में आज एजीआर इश्यू पर निवेशकों की नजर थी. सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए टेलिकॉम कंपनियों को 10 साल का समय दिया है. जिसके बाद एयरटेल में 5 फीसदी तेजी आ गई. ऐसे ट्रेड का ध्यान रखना डे ट्रेडर्स के लिए जरूरी है.

एक्सपर्ट का मानना है कि शेयर बाजार का अधिकांश कारोबार डे ट्रेडिंग का ही होता है, लेकिन फिर भी सावधानी के साथ कारोबार करना चाहिए. शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देखना चाहिए. मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं. शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.

(Discliamer: हम यहां इंट्राडे कारोबार के बारे में जानकारी दे रहे हैं, न कि निवेश की सलाह. शेयर बाजार के अपने जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)

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जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.

  • nupur praveen
  • Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्‍कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.

यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर

शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्‍वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्‍वाइंट ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्‍वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्‍वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.

कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न

स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे

– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल ट्रेडिंग के क्या लाभ हैं पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न

भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.

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